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जलवायु पर नया समझौता
Posted on 20 Dec, 2013 03:12 PM पिछले दिनों वारसा में हुए जलवायु सम्मेलन में समुद्री तूफान, भूकंप एवं अन्य प्राकृतिक विपदाओं से हुए विनाश की भरपाई के लिए नई रणनीत
climate change
क्या पानी में मौजूद रसायनों से लोगों को कैंसर हो रहा है
Posted on 09 Dec, 2013 01:12 PM संघ के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अप्रकाशित शोध के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर लिए गए नमूनों में से संयुक्त राज्य के एक तिहाई से अधिक जल केंद्रों के पेयजल में 18 अनियमित रसायनों का पता लगाया गया है।
सीरिया का सबक
Posted on 03 Dec, 2013 03:08 PM सचमुच घर की लड़ाई। गृह युद्ध। भाई ने भाई को मारा। दूर बैठे देशों ने दोनों को अपने-अपने हथियार बेचे, एक दूसरे को मारने के लिए। नतीजा है कोई एक लाख लोग मारे जा चुके हैं और करीब 20 लाख लोग अपने घरों से उजड़ कर पड़ोसी देशों में शरणार्थी बन कर भटक रहे हैं। सीरिया की इस भारी विपत्ति के पीछे सिर्फ संप्रदायों के सद्भाव की कमी नहीं है। वहां तो पर्यावरण, प्रकृति के प्रति भी सद्भाव की कमी आई और सबका नतीजा निकला यह रक्तपात। हम कुछ सबक सीखेंगे?

वैज्ञानिक हमें बराबर चेतावनी दे रहे हैं कि आने वाले बीस-तीस बरस में हमारे देश के भूजल भंडार का कोई 60 प्रतिशत भाग इस बुरी हालत में नीचे चला जाएगा कि फिर हमारे पास ऊपर से आने वाली बरसात, मानसून की वर्षा के अलावा कुछ बचेगा नहीं। हमारा समाज ऐसी किसी प्राकृतिक विपदा को सहने के लिए और भी ज्यादा मजबूत हो चला है। लेकिन इससे बेफ्रिक तो नहीं ही हुआ जा सकता। धरती गरम हो रही है। मौसम, बरसात का स्वभाव बदल रहा है। इसलिए बिना सोचे समझे भूजल भंडारों के साथ ऐसा जुआ खेलना हमें भारी पड़ सकता है। अपने ही लोगों पर जहरीले रासायनिक हथियारों से हमला करने वाले सीरिया को सबक सिखाना चाहता है अमेरिका। उस पर हमला कर। पर अमेरिका के ही संगी साथी देश उसे इस हमले से रोकने में लगे हैं। लेकिन बाकी दुनिया अभी भी ठीक से समझ नहीं पा रही कि सीरिया के शासक बशर अल-असद ने आखिर अपने लोगों पर यह क्रूर अत्याचार भला क्यों किया है। तुर्की के पुराने उसमानी साम्राज्य के खंडहरों में से कांट-छांट कर बनाया गया था यह सीरिया देश। इसमें रहने वाले अलाविया और सुन्नियों, दुरूजी और ईसाइयों के बीच पिछले कुछ समय से चला आ रहा वैमनस्य निश्चित ही इस युद्ध का एक कारण गिनाया जा सकता है। यह भी कहा जा सकता है कि अभी कुछ ही समय पहले अरब में बदलाव की जो हवा बही थी और जो छूत के रोग की तरह आसपास के कई देशों में फैल चली थी, उसी हवा ने अब सीरिया को भी अपनी चपेट में ले लिया है।
वन विनाश और वैश्विक मानसिकता
Posted on 30 Nov, 2013 02:47 PM पुनर्वनीकरण नष्ट हुए आदिम वनों का स्थान नहीं ले सकता, क्योंकि नए व
मॉन्सेंटो: बढ़ता वैश्विक विरोध
Posted on 14 Oct, 2013 04:25 PM

कोर्डोबा के अलावा अर्जेंटीना के 11 अन्य शहरों में मॉन्सेंटो के खिलाफ प्रदर्शन हुए। इसके अलावा च

पानी से हुई क्रांति
Posted on 01 Oct, 2013 09:52 AM

जनवरी 2000 में कोचाबांबा में नागरिकों का समन्वय ‘‘पानी और जीवन की रक्षा के लिए महासंघ‘‘ का गठन

ज्वालामुखी
Posted on 28 Sep, 2013 04:10 PM “प्रतिवर्ष भूमि पर लगभग 60 ज्वालामुखी उद्गारित होते हैं और किसी भी समय उद्गारित ज्वालामुखियों की संख्या 20 के आसपास हो सकती है। कुछ ज्वालामुखियों से लगातार अल्पमात्रा में गैसें और चट्टानें मुक्त होती रहती है लेकिन किसी समय ये ज्वालामुखी प्रचंड और विस्फोटक भी हो सकते हैं। कभी-कभी ज्वालामुखी घटनाएँ विस्फोटक होती हैं, किंतु अधिकतर घटनाओं में ज्वालामुखी पर्वत उनमें उत्पन्न दाब अथवा मैग्मा मंडार के उद्
सुनामी
Posted on 28 Sep, 2013 10:19 AM “26 दिसम्बर, 2006 को दक्षिण एशिया के कई देशों में तबाही मचाने वाली सुनामी की घटना ने मानव जाति या होमोसैपियंस को एक बार फिर से याद दिलाया कि उनकी अपनी ताकत के अहंकार के बावजूद प्राकृतिक ताकत के सामने वे कितने असहाय हैं। यदि समुद्र के अंदर की धरती का बहुत छोटा, लगभग 10 मीटर का, हिस्सा भी क्षुब्ध या स्थानांतरित हो जाए तो यह घटना लाखों लोगों की मौत का कारण बन सकती है। खुले समुद्र में आरंभ में लंबी, छ
Tsunami
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