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दिल्ली के पोखरे नहीं रहे मछलियों के रहने लायक
Posted on 16 Oct, 2009 10:04 AM

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के जलाशय इतने प्रदूषित हो चुके हैं कि ये जलचर जीवों के जीवन जीने लायक नहीं रह गए हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 96 जलाशयों में से तकरीबन 70 फीसदी में जलचर जीवों का बच पाना मुश्किल है। डीपीसीसी द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार यह पाया गया कि 42 जलाशय सूख गए थे। अन्य 24 जलाशयों में सीवेज के कारण से जाम हो गया था और उसमें

हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AM

गंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।

तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।


गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।

यमुना बचाने का संदेश देते स्वयंसेवक
Posted on 02 Oct, 2009 11:13 AM
मंगलवार, 1 सितम्बर से दिल्लीवासियों को यमुना नदी में अपने घर का कचरा और पूजा-पाठ तथा अन्य धार्मिक सामग्री फ़ेंकने में समस्या का सामना करना पड़ेगा। कुछ नागरिकों और स्कूली बच्चों ने स्वयंसेवकों की एक फ़ौज तैयार करके 'अडॉप्ट अ ब्रिज' अर्थात 'एक पुल को गोद लो' नामक योजना शुरु की है, ताकि यमुना नदी को कचरा फ़ेंकने का मैदान बनने से रोका जा सके। इस योजना को प्रायोगिक रूप से पहली बार निज़ामुद्दीन पुल से
दिल्ली की प्यास साल भर की बुझ जाती, मगर . .
Posted on 24 Sep, 2009 04:22 PM
नई दिल्ली। राजधानी में इस साल बाढ़ में जितना पानी आया था, अगर उसे सहेजकर रखने की व्यवस्था होती तो साल भर दिल्ली में पीने के पानी की कोई कमी नहीं होती। बाढ़ का पानी आया और गुजर गया लेकिन दिल्ली में इसे रोकने की कोई व्यवस्था नहीं की गई जबकि इस बारे में एक्सपर्ट कई साल पहले ही अपनी रिपोर्ट दे चुके हैं।
कहां करें पानी की समस्या की शिकायत
Posted on 18 Sep, 2009 06:57 PM

दिल्ली में जल बोर्ड पानी सप्लाई करता है। अगर आपको पानी की लीकेज , पानी न आने , गंदे पानी की सप्लाई की शिकायत करनी है तो सीधे सेंट्रल कंट्रोल रूम वरुणालय फेज -11 में कॉल करें। इनके फोन नंबर हैं - 1916 / 23538495 और 23527679 ।
 

यमुना सफाई में जुटेगा मोरारका फाउन्डेशन
Posted on 18 Sep, 2009 03:09 PM
नई दिल्ली। घरों से निकलने वाला गंदा पानी अब जल स्त्रोतों के लिए प्रदूषण का कारण नहीं बनेगा, बल्कि इस गंदे पानी को इको फ्रेंडली तरीके से साफ कर पार्कों के फूलों को महकाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर मोरारका फाउंडेशन ने उदयपुर की नगर परिषद के साथ मिलकर प्रतिदिन 50 हजार लीटर गंदे पानी को साफ करने वाला एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है। फाउंडेशन अब केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉ
निजामुद्दीन की बावड़ी का हुआ जीर्णोद्धार
Posted on 03 Sep, 2009 10:17 AM

एक जमाना था जब दिल्ली बावड़ियों का शहर था। हालाँकि अब चारों ओर उगे कंक्रीट के जगलों को देखकर इस बात का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। ऐतिहासिक महत्व की इन बावड़ियों में महाराजा अग्रसेन की बावड़ी, हजरत निजामुद्दीन द्वारा बनाई गई बावड़ी, महरौली स्थित बावड़ी शामिल हैं।
यमुना के सिपाही कपिल मिश्र
Posted on 02 Sep, 2009 11:56 AM यूथ फॉर जस्टिस के कपिल मिश्रा ने दिल्ली की यमुना को बचाने की पहल की है। सिटीज़न जर्नलिस्ट शो में इन्होंनें दिल्ली में यमुना के रिवरबेड पर निर्माण कार्य को लेकर कई सवाल उठाए। जिसकी वजह से यमुना के अस्तित्व पर खतरा हो रहा है। कपिल ने बताया कि किस तरह सरकार ही यमुना के रिवरबेड पर कॉमनवेल्थ खेलों के लिए खेलगांव, मेट्रो स्टेशन, मॉल और सड़कों का निर्माण कर रही है।

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