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दिल्ली
तो नहीं बनता अक्षरधाम और न खेलगांव
Posted on 15 Apr, 2010 02:46 PMनई दिल्ली। यमुना के बहाव क्षेत्र में अक्षरधाम बनाने को बतौर पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश किसी भी हालत में मंजूरी नहीं देते। रमेश का कहना है उस समय यह मंत्रालय उनके पास होता तो अक्षरधाम बनाने की योजना को मंजूरी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि अक्षरधाम के कारण यमुना के बहाव क्षेत्र पर असर पड़ा है। अक्षरधाम के कारण ही राष्ट्रमंडल खेल गांव बनाने को मंजूरी दी गई।हमको पानी नहीं दिया तो...
Posted on 07 Apr, 2010 11:14 AMरघुवीर सहाय की कविता की पंक्तियां हैं: पानी पानी बच्चा बच्चा मांग रहा है हिंदुस्तानी... हमको पानी नहीं दिया तो हमको मानी नहीं दिया...प्रदूषण मापने का नया पैमाना
Posted on 28 Mar, 2010 10:10 AMप्रदूषण सूचकांक प्रक्रिया को प्रारंभ कर सरकार ने स्वागत योग्य पहल की है। यह सूचकांक केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) व आईआईटी दिल्ली ने तैयार किया है। सीपीसीबी ने प्रदूषण पर ठोस कदम उठाने के लिए प्रदूषण की दृष्टि से समस्याग्रस्त क्षेत्रों की पहचान के लिए और राष्ट्रीय स्तर पर वायु, पानी की गुणवत्ता में सुधार एवं पारिस्थितिकीय नुकसान को दूर करने के लिए यह कार्यक्रम शुरु किया है।
पानी के पांच मंत्र हमें अपनाने हैं- डी चक्रवर्ती
Posted on 27 Mar, 2010 07:07 PMविश्व जल दिवस के अवसर पर विशेष रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है” इंडिया वाटर पोर्टल प्रस्तुत कर रहा है। यह कार्यक्रम वन वर्ल्ड साउथ इंडिया के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है। 23 मार्च के हमारे मेहमान रहे सीजीडब्ल्यूबी में कार्यरत वैज्ञानिक डी चक्रवर्ती। उनसे इंडिया वाटर पोर्टल हिन्दी की मीनाक्षी अरोड़ा ने बातचीत की। पेश है उनसे पूरी बातचीत।
यह कार्यक्रम एआईआर एफएम रेनबो इंडिया (102.6 मेगाहर्टज) पर रोजाना 18-23 मार्च, 2010 तक समय 3:45- 4:00 शाम को आप सुन सकते हैं।
रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है”
Posted on 19 Mar, 2010 08:37 AM
विश्व जल दिवस के अवसर पर विशेष रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है” इंडिया वाटर पोर्टल प्रस्तुत कर रहा है। यह कार्यक्रम वन वर्ल्ड साउथ इंडिया के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है।
निखर गया यमुना का आईटीओ घाट
Posted on 18 Mar, 2010 08:15 AMनई दिल्ली। बुधवार सुबह यमुना के आईटीओ घाट का नजारा देखने लायक था। 'मेरी दिल्ली मेरी यमुना' कैंपेन के लिए करीब 1500 वॉलंटियर्स इकट्ठा हुए थे। ये दिल्लीवाले ठान कर आए थे कि यमुना के इस घाट को साफ करके ही रहेंगे। श्री श्री रविशंकर खुद नाव में सवार होकर यमुना के दोनों किनारों के चक्कर लगा रहे थे और नदी की गंदगी निकालकर बोरों में भरवा रहे थे। नतीजा कुछ ही देर में सामने था, इस घाट को एक नई शक्ल मि
धरती की किस्मत का फैसला
Posted on 15 Mar, 2010 07:18 PMक्योतो के धरती सम्मेलन में प्रस्ताव हुआ था कि चालीस सबसे बड़े औद्यआई बरखा बहार
Posted on 08 Mar, 2010 07:47 AMछह ऋतुओं का देश है भारत। प्रत्येक ऋतु का अपना अलग ही सौंदर्य है, उसकी अपनी प्राकृतिक पहचान है जिससे प्रभावित होकर कवियों ने अनेक छंद रचे तो चित्रकारों एवं संगीतकारों की भी सदैव प्रेरणा स्त्रोत रही है। छह ऋतुओं के अंतर्गत जो ऋतुएं प्रकृति में स्पष्ट परिवर्तन लातीं है तथा जिनके आगमन से जनमानस आनंदातिरेक के कारण फाग तथा कजरी–जैसे गीत प्रकारों को शब्द–बद्ध एवं स्वरबद्ध करता है, वह हैं – वसंत तथा वर