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कम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया
Posted on 26 May, 2010 04:23 PM

कम्पोस्ट आमतौर से खाई के अंदर ही बनाना चाहिए, जिससे खाद में नमी बनी रहती है और नाइट्रोजन भी हवा में उड़ जाने से बचता है। खाई इतनी बड़ी होनी चाहिए, जिससे प्रतिदिन के कूड़े-कबाड़े, गोबर आदि से एक खाई लगभग तीन मास में भर जाय। यह नाप मुख्यतः ढोरों की संख्या पर अवलम्बित होगा। नीचे के तख्ते से इसका कुछ अन्दाज आयेगाः
 

भूमि का खाद्य ‘खाद’
Posted on 25 May, 2010 09:12 AM सफाई की आर्थिक बाजू है, मैले आदि का खाद के तौर पर उपयोग करना। फसलों को याने जमीन को खाद की कितनी जरूरत है, यह सभी जानते हैं। खाद, खातर (गुजराती), खत (मराठी) आदि शब्द शायद ‘खाद्य’ शब्द से बने हैं। याने खाद, भूमाता का खाद्य-अन्न-है। जिस तरह गोमाता घास आदि खाद्य खाकर हमें मधुर दूध देती है, वैसे ही यह दूसरी गो याने पृथ्वी-माता खाद-रूपी खाद्य खाकर फसलों के रूप में हमें मधुर रस देती है।सभ्यता और सम्पत्ति, दोनों को कायम रखने वाला सफाई का जो तरीका हमें चाहिए, वह हमने देखा। पुरानी भाषा में धर्म और अर्थ, दोनों देने वाला तरीका हमें चाहिए। गांधीजी ने कहा है कि जो धर्म और अर्थ एक-दूसरे की कसौटी पर खरे नहीं उतरते, वे टिकने वाले नहीं है। सफाई की आर्थिक बाजू है, मैले आदि का खाद के तौर पर उपयोग करना। फसलों को याने जमीन को खाद की कितनी जरूरत है, यह सभी जानते हैं। खाद, खातर (गुजराती), खत (मराठी) आदि शब्द शायद ‘खाद्य’ शब्द से बने हैं। याने खाद, भूमाता का खाद्य-अन्न-है। जिस तरह गोमाता घास आदि खाद्य खाकर हमें मधुर दूध देती है, वैसे ही यह दूसरी गो याने पृथ्वी-माता खाद-रूपी खाद्य खाकर फसलों के रूप में हमें मधुर रस देती है। खाद का महत्व आदमी को खेती के आरम्भ-काल से ही अवश्य मालूम हुआ होगा।
रेस्तरां और होटलों का होगा वॉटर ऑडिट
Posted on 22 May, 2010 08:33 AM नई दिल्ली।। राजधानी में पानी की किल्लत पर काबू करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) मिलकर होटलों व रेस्तरां का वॉटर ऑडिट करेंगे। वॉटर ऑडिट करने से यह पता चल जाएगा कि इन जगहों पर कहां पानी की बर्बादी हो रही है। अभी तक राजधानी के होटलों और रेस्तराओं में यह पता ही नहीं चल पाता है कि पानी की कितनी खपत हो रही है। कई होटल और रेस्तरां ऐसे हैं जहां हर रोज हजारों लीटर पानी
साफ पानी पर बोतलबंद डाका
Posted on 20 May, 2010 10:37 PM शेयर बाजार हमें सिखाता है कि आपको कल्पनाशील होना चाहिए. यह कल्पनाशीलता किसी भी ऊंचाई तक जा सकती है.

इसलिए साफ पानी के बारे में आपको भी कुछ कल्पनाएं करनी चाहिए. एक ऐसी दुनिया की कल्पना करिए जहां सारा साफ पानी बोतलों में बंद है. बहुत से लोग भले ही इस बात से इत्तेफाक न रखें लेकिन कुछ लोगों को पता है कि यह संभव हो सकता है. शीर्ष शीतलपेय कंपनियां इस तरह की कल्पना कर रही हैं और संभावना भी टटोल रही हैं कि भविष्य में साफ पानी और बोतल एक दूसरे के पर्याय कैसे बन जाएं. वैसे भी साफ पानी करोड़ों लोगों के लिए सपना हो गया है ऐसे में राजनीतिक दल कुछ बेहतर काम कर सकते हैं. उन्हें राष्ट्रीय स्वच्छ पेयजल योजना पर काम करना चाहिए. आजकल जैसे राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जा रही है उसी तरह चौबीसों घण्टे साफ पानी उपलब्ध कराने की योजना पर काम किया जाना चाहिए
जल बोर्ड ने अवैध जलदोहन के लिए 16 सौ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की
Posted on 20 May, 2010 01:57 PM पानी की चोरी करने वालों पर अंकुश लगाने में दिल्ली जल बोर्ड अभी तक सफल नहीं हो पाया है। पंद्रह दिन पहले सविता विहार में बोर्ड के अधिकारियों ने छापे मार कर 32 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे। बुधवार को सवेरे फिर छापे में 150 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पिछले चार महीने से चल रहे इस अभियान में अब तक 1600 से अधिक लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर उनसे 19 लाख रुपए की वसूली की गई। लेकिन बड़े पैमाने
पानी, जहर और जीडीपी
Posted on 17 May, 2010 10:13 PM

भारत में नदियों को प्रदूषित करने की अनुमति दी जाती है. आप जितना प्रदूषित पानी पिएंगे, बीमार पड़ने की उतनी ही अधिक संभावना होगी. फिर आप डाक्टर के पास जाएंगे, जो आपसे फीस वसूलेगा. जिसका मतलब हुआ कि पैसा हाथों से गुजरेगा. इससे जीडीपी बढ़ेगी. यहां तक कि सफाई अभियान भी, जैसे यमुना की सफाई के लिए एक हजार करोड़ रुपए, जीडीपी की गणना को ही बढ़ाती है.

इस चिलचिलाती गरमी में पानी का मुद्दा गरमाया हुआ है. जैसे-जैसे तापमान चढ़ रहा है और प्रमुख जलस्त्रोत सूखते जा रहे हैं, दिन-ब-दिन पीने के पानी को लेकर खून बहने लगा है. अपनी रोजमर्रा की जरूरत भी पूरी न होने से गुस्साएं प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकल रहे हैं. आने वाले महीनों में, पानी की अनुपलब्धता सुर्खियों में रहने वाली है.

पिछले 15 सालों से खतरे की घंटी बज रही है, किंतु किसी ने भी परवाह नहीं की. 1990 के दशक के मुकाबले पिछले दशक में 70 प्रतिशत अधिक भूजल का दोहन हुआ है और देश भर में जलस्त्रोत प्रदूषित हो गए हैं. जिससे कैंसर और फ्लूरोसिस जैसी बीमारियां फैल रही हैं.

पानी तय करेगा हमारा मानवीय होना
Posted on 16 May, 2010 05:23 PM

अब कोई अपने पानी को बांटना नहीं चाहता। वे भी नहीं जिनके पास अच्छा-खासा पानी है। मसलन, मुंबई की हाउसिंग सोसाइटी ये नियम बना रही हैं कि कोई बाहरी शख्स पानी को बाहर न ले जाए। असल में ये बाहरी भी अंदर के ही लोग हैं। ये हमारे घरों में काम करने वाले हैं। उनके बिना हमारी जिंदगी नहीं चल सकती। ये वे लोग हैं जो घरों में साफ-सफाई करते हैं, कपड़े धोते हैं, बर्तन मांजते हैं। ये उन घरों में काम करते हैं, जहां पानी पाइप के जरिए आता है। यहां काम करने के बाद वे अपने घरों को जाते हैं।

चार बाल्टी पानी से क्या आप पांच लोगों के परिवार का काम चला सकते हैं? यह ज्यादा से ज्यादा 80 लीटर दिन भर में हुआ। यानी 20 लीटर प्रति व्यक्ति हर रोज। यही नहीं कभी-कभी तो दिन भर में एक बूंद भी पानी नहीं। ये लाखों लोग इस चुनौती को किसी रेगिस्तान में नहीं झेल रहे हैं। ये मुंबई के लोग हैं, जहां हिंदुस्तान के किसी भी शहर से बेहतर पानी की व्यवस्था है। अगली पानी की लड़ाई देशों के बीच नहीं होगी। वह तो शहरों में दो वर्गो के बीच होगी। अगर लोग ऐसा कहते हैं, तो क्या गलत है।

असल में अगली लड़ाई गरीब और अमीर के बीच होनी है। यों अमीरों को भी पानी कटौती का सामना करना पड़ेगा।
सच्चे माथे के समाज से निकला अनुपम पुरुषार्थ
Posted on 13 May, 2010 07:59 AM

अनुपम मिश्र को समाज के सच्चे लोग बड़े आदर की दृष्टि से देखते हैं। वे जिस तरह का जीवन जी रहे हैं, जिस तरह की सच्चाई और साफगोई उनके व्यक्तित्व की पहचान है। देश के मरे, बाँझ और उदास तालाबों के लिए वे भागीरथ सिध्द हुए हैं। यशस्वी कवि भवानीप्रसाद मिश्र के बेटे अनुपम ने राजनीति, सिनेमा, समाज सेवा और अन्य तमाम जगहों पर दिखायी पड़ने वाली, थोपी जाने वाली वंश परम्परा से बिल्कुल अलग जीवट के आदमी निकले। पि

अनुपम मिश्र
पानी साफ करने की आसान और सस्ती तकनीक
Posted on 08 May, 2010 06:58 AM
दुनिया में करोड़ों लोग भूजल का इस्तेमाल पेयजल के रूप में करते हैं। इसमें कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं जिसके कारण लोगों को तमाम तरह की जलजनित बीमारियां हो जाती हैं। इन बीमारियों के सबसे ज्यादा शिकार कम उम्र के बच्चे होते हैं। ऐसे में पानी को साफ करने के लिए एक बेहद आसान और कम लागत की तकनीक की जरूरत है। मोरिंगा ओलेफेरा नामक पौधा एक बेशकीमती पौधा है जिसके बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके प
पानी का संदेश
Posted on 22 Apr, 2010 10:19 AM

पानी का गीत सुनें

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