दिल्ली

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बाजार का पानी
Posted on 07 Jun, 2010 01:38 PM दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश से एक बड़ा भ्रम अचानक टूटा है कि अगर हम पीने के लिए बाजार का बोतलबंद पानी इस्तेमाल कर रहे हैं तो पूरी तरह सुरक्षित हैं। दरअसल, पेयजल की शुद्धता को लेकर समूची दिल्ली में जो स्थिति बन चुकी है उसका फायदा उठा कर पानी को छोटी और बड़ी बोतलों में बेचने का धंधा बड़े पैमाने पर पसर गया है। लेकिन शुद्धता के मानकों का कितना पालन होता है यह इसी से समझा जा सकता है कि एक याचिका की
गर्मी बढ़ी, बढ़ी दिल्ली की प्यास
Posted on 29 May, 2010 11:23 AM जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है दिल्ली में पानी का संकट भी बढ़ता जा रहा है। इस संकट ने अमीर-गरीब की खाई को पाट दिया है। विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के नेता भी सड़क पर आने लगे हैं। पीने वाले पानी खरीदकर अपना काम चला रहे हैं तो गरीब बेहाल हैं। माफिया का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रमेश नेगी ही नहीं, मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी इस मामले में अपनी बेबसी जाह
सबसे बड़ा संकट- पानी
Posted on 29 May, 2010 09:20 AM बाबर ने अपने बाबरनामा में एक जगह लिखा है कि हिन्दुस्तान में चारों तरफ पानी-ही-पानी दिखाई देता है। यहां जितनी नदियां, मैने कहीं नहीं देखीं हैं। यहां पर वर्षा इतनी जोरदार होती है कि कई-कई दिनों तक थमने का नाम नहीं लेती है। बाबर के इस लेख से ज्ञात होता है कि पानी के मामले में भारत आत्मनिर्भर था लेकिन अब तो वह बूंद-बूंद पानी के लिए तड़प रहा है।भुखमरी, महामारी, अकाल के शिकार होकर प्राणियों को मरते तो देखा गया है, परन्तु किसी व्यक्ति ने पानी के बिना प्यास से दम तोड़ दिया हो इसका उल्लेख कहीं नहीं मिलता। 20वीं सदी की पहचान यही होगी कि प्यास के मारे प्राणियों ने दम तोड़ा है। बाबर ने अपने बाबरनामा में एक जगह लिखा है कि हिन्दुस्तान में चारों तरफ पानी-ही-पानी दिखाई देता है। यहां जितनी नदियां, मैने कहीं नहीं देखीं हैं। यहां पर वर्षा इतनी जोरदार होती है कि कई-कई दिनों तक थमने का नाम नहीं लेती है। बाबर के इस लेख से ज्ञात होता है कि पानी के मामले में भारत आत्मनिर्भर था लेकिन अब तो वह बूंद-बूंद पानी के लिए तड़प रहा है। पर्याप्त वर्षा न होना पर्यावरण प्रदूषण की गंभीरता
इलेक्ट्रॉनिक कचरे के मुद्दे पर संगठन आमने-सामने
Posted on 27 May, 2010 05:23 PM ई-कचरे (इलेक्ट्रॉनिक कचरा) को लेकर दो गैर सरकारी संगठनों में मतभेद हो गए हैं। यह मतभेद ई-कचरे के प्रबंधन और रखरखाव को लेकर पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से हाल ही में अधिसूचित किए गए मसौदा नियमों को लेकर हुए हैं। दरअसल पिछले दिनों ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वारमेंट’ ने एक रिपोर्ट जारी कर यह बताया था कि ये मसौदा नियम ई-कचरे का निपटान करने वाली संगठित क्षेत्र की कंपनियों की ही मदद करेंगे।
तृप्ति वो ही प्याऊ वाली
Posted on 26 May, 2010 09:45 PM
समाज में कई परंपराएँ जन्म लेती हैं और कई टूट जाती हैं। परंपराओं का प्रारंभ होना और टूटना विकासशील समाज का आवश्यक तत्त्व है। कुछ परंपराएँ टूटने के लिए ही होती हैं पर कुछ परंपराएँ ऐसी होती हैं, जिनका टूटना मन को दु:खी कर जाता है और परंपराएँ हमारे देखते ही देखते समाप्त हो जाती हैं, उसे परंपरा की मौत कहा जा सकता है।
कम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया
Posted on 26 May, 2010 04:23 PM

कम्पोस्ट आमतौर से खाई के अंदर ही बनाना चाहिए, जिससे खाद में नमी बनी रहती है और नाइट्रोजन भी हवा में उड़ जाने से बचता है। खाई इतनी बड़ी होनी चाहिए, जिससे प्रतिदिन के कूड़े-कबाड़े, गोबर आदि से एक खाई लगभग तीन मास में भर जाय। यह नाप मुख्यतः ढोरों की संख्या पर अवलम्बित होगा। नीचे के तख्ते से इसका कुछ अन्दाज आयेगाः
 

भूमि का खाद्य ‘खाद’
Posted on 25 May, 2010 09:12 AM सफाई की आर्थिक बाजू है, मैले आदि का खाद के तौर पर उपयोग करना। फसलों को याने जमीन को खाद की कितनी जरूरत है, यह सभी जानते हैं। खाद, खातर (गुजराती), खत (मराठी) आदि शब्द शायद ‘खाद्य’ शब्द से बने हैं। याने खाद, भूमाता का खाद्य-अन्न-है। जिस तरह गोमाता घास आदि खाद्य खाकर हमें मधुर दूध देती है, वैसे ही यह दूसरी गो याने पृथ्वी-माता खाद-रूपी खाद्य खाकर फसलों के रूप में हमें मधुर रस देती है।सभ्यता और सम्पत्ति, दोनों को कायम रखने वाला सफाई का जो तरीका हमें चाहिए, वह हमने देखा। पुरानी भाषा में धर्म और अर्थ, दोनों देने वाला तरीका हमें चाहिए। गांधीजी ने कहा है कि जो धर्म और अर्थ एक-दूसरे की कसौटी पर खरे नहीं उतरते, वे टिकने वाले नहीं है। सफाई की आर्थिक बाजू है, मैले आदि का खाद के तौर पर उपयोग करना। फसलों को याने जमीन को खाद की कितनी जरूरत है, यह सभी जानते हैं। खाद, खातर (गुजराती), खत (मराठी) आदि शब्द शायद ‘खाद्य’ शब्द से बने हैं। याने खाद, भूमाता का खाद्य-अन्न-है। जिस तरह गोमाता घास आदि खाद्य खाकर हमें मधुर दूध देती है, वैसे ही यह दूसरी गो याने पृथ्वी-माता खाद-रूपी खाद्य खाकर फसलों के रूप में हमें मधुर रस देती है। खाद का महत्व आदमी को खेती के आरम्भ-काल से ही अवश्य मालूम हुआ होगा।
रेस्तरां और होटलों का होगा वॉटर ऑडिट
Posted on 22 May, 2010 08:33 AM नई दिल्ली।। राजधानी में पानी की किल्लत पर काबू करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) मिलकर होटलों व रेस्तरां का वॉटर ऑडिट करेंगे। वॉटर ऑडिट करने से यह पता चल जाएगा कि इन जगहों पर कहां पानी की बर्बादी हो रही है। अभी तक राजधानी के होटलों और रेस्तराओं में यह पता ही नहीं चल पाता है कि पानी की कितनी खपत हो रही है। कई होटल और रेस्तरां ऐसे हैं जहां हर रोज हजारों लीटर पानी
साफ पानी पर बोतलबंद डाका
Posted on 20 May, 2010 10:37 PM शेयर बाजार हमें सिखाता है कि आपको कल्पनाशील होना चाहिए. यह कल्पनाशीलता किसी भी ऊंचाई तक जा सकती है.

इसलिए साफ पानी के बारे में आपको भी कुछ कल्पनाएं करनी चाहिए. एक ऐसी दुनिया की कल्पना करिए जहां सारा साफ पानी बोतलों में बंद है. बहुत से लोग भले ही इस बात से इत्तेफाक न रखें लेकिन कुछ लोगों को पता है कि यह संभव हो सकता है. शीर्ष शीतलपेय कंपनियां इस तरह की कल्पना कर रही हैं और संभावना भी टटोल रही हैं कि भविष्य में साफ पानी और बोतल एक दूसरे के पर्याय कैसे बन जाएं. वैसे भी साफ पानी करोड़ों लोगों के लिए सपना हो गया है ऐसे में राजनीतिक दल कुछ बेहतर काम कर सकते हैं. उन्हें राष्ट्रीय स्वच्छ पेयजल योजना पर काम करना चाहिए. आजकल जैसे राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जा रही है उसी तरह चौबीसों घण्टे साफ पानी उपलब्ध कराने की योजना पर काम किया जाना चाहिए
जल बोर्ड ने अवैध जलदोहन के लिए 16 सौ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की
Posted on 20 May, 2010 01:57 PM पानी की चोरी करने वालों पर अंकुश लगाने में दिल्ली जल बोर्ड अभी तक सफल नहीं हो पाया है। पंद्रह दिन पहले सविता विहार में बोर्ड के अधिकारियों ने छापे मार कर 32 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे। बुधवार को सवेरे फिर छापे में 150 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पिछले चार महीने से चल रहे इस अभियान में अब तक 1600 से अधिक लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर उनसे 19 लाख रुपए की वसूली की गई। लेकिन बड़े पैमाने
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