जल बोर्ड ने अवैध जलदोहन के लिए 16 सौ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की

पानी की चोरी करने वालों पर अंकुश लगाने में दिल्ली जल बोर्ड अभी तक सफल नहीं हो पाया है। पंद्रह दिन पहले सविता विहार में बोर्ड के अधिकारियों ने छापे मार कर 32 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे। बुधवार को सवेरे फिर छापे में 150 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पिछले चार महीने से चल रहे इस अभियान में अब तक 1600 से अधिक लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर उनसे 19 लाख रुपए की वसूली की गई। लेकिन बड़े पैमाने पर भूजल का अवैध दोहन कर टैंकरों से मन-माने दाम में पानी बेचने वाले माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में बोर्ड से शुरू से ही हाथ खड़े किए गए हैं।

गर्मी बढ़ने के साथ ही पानी के लिए मारामारी शुरू हो गई है। दिल्ली में गिनती के इलाके ऐसे हैं जहां सवेरे-शाम रोज पानी आता है। एक तो मांग के अनुरूप पानी की उपलब्धता पहले से ही कम है। दूसरे बोर्ड का कनेक्शन दिल्ली के एक चौथाई हिस्से से ज्यादा में नहीं है। भूजल पर मालिकाना हक जमीन के मालिक का होता है लेकिन उसके उपयोग के लिए उसे विधिवत अनुमति लेनी होगी। उल्लंघन करने वालो पर कार्रवाई के लिए 2005 में भूजल संशोधन विधेयक दिल्ली विधानसभा में लाया गया था जिसका कांग्रेस के ही विधायकों ने विरोध किया। इसलिए वह तब से प्रवर समिति के पास है।

जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रमेश नेगी बताते हैं कि बड़े संस्थानों, होटलों आदि से तो नियम से जलाशय बनवा रहे हैं लेकिन नियम का उल्लंघन करने वालों के लिए ठोस सजा का प्रावधान नहीं हो पा रहा है। बोर्ड पानी का लीकेज 42 से घटा कर 20 तक लाने में लगा है। इससे कुछ सुधार होगा। बोर्ड का प्रयास है कि रोज एक समय सभी को पानी दिया जाए। बोर्ड ने पानी की चोरी और बर्बादी रोकने के लिए विधान बनाया और हाईकोर्ट ने जल अदालतों की मंजूरी दी। तीन मजिस्ट्रेट भी नियुक्त किए। वे लाजपत नगर, कन्हैया नगर और योजना विहार में बैठते हैं।

जनवरी से ये अदालत काम कर रही हैं। जल बोर्ड के निदेशक (सतर्कता और राजस्व) एसवी शशांक ने बताया कि पहली बार पानी के दुरुपयोग पर सजा हो रही है। इसमें सजा में केवल जुर्माना है। पहली बार में दो हजार रुपए और उसके बाद दैनिक जुर्माना भी हो सकता है। इसमें एक तो अवैध कनेक्शन और पानी की बरबादी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होती है। बोर्ड यह जानता है कि मोटर पंप पर सोलह आने रोक संभव नहीं है इसलिए आधे इंच के पंप लगाने को नजर अंदाज किया जाता है लेकिन ज्यादा बड़े पंप लगाने पर कार्रवाई की जाती है। वैसे भी पानी का दबाव इतना नहीं होता कि वह अपने आप तीसरी मंजिल पर पहुंच पाए।

लेकिन अवैध कनेक्शन या पानी बरबाद करने वालों पर कार्रवाई की जाती है। शशांक की अगुआई में सतर्कता, इंजीनियरिंग और राजस्व विभाग के 20-25 अधिकारी और कर्मचारी एक साथ इलाके में पहुंच कर छापे मारते हैं। वैसे तो दिल्ली के विभिन्न इलाकों में छापे मारे गए हैं। लेकिन वसंत कुंज, गुलमोहर पार्क, दिलशाद कालोनी, सविता विहार, रोहिणी, राजेंद्र नगर में बड़े छापे पड़े। काफी लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए। अब तक 1600 से ज्यादा लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। उनसे 19 लाख रुपए जुर्माना वसूले गए।

निदेशक (सतर्कता) शशांक ने माना कि इन छापों से लोगों में जैसा भय होना चाहिए वह नहीं है। उनका कहना था कि छापों में आरडब्ल्यूए ही नहीं स्थानीय विधायक और निगम पार्षद की सहमति होती है। क्योंकि कुछ लोगों के कारण पूरे इलाके में पानी की आपूर्ति ठीक नहीं हो पाती। पानी की मांग और आपूर्ति पर इस कार्रवाई से कितना फर्क पड़ रहा है, इसका उनके पास ठीक से जवाब नहीं है लेकिन स्थानीय स्तर पर पानी का वितरण जरूर बेहतर हुआ है।
 
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