ई-कचरे (इलेक्ट्रॉनिक कचरा) को लेकर दो गैर सरकारी संगठनों में मतभेद हो गए हैं। यह मतभेद ई-कचरे के प्रबंधन और रखरखाव को लेकर पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से हाल ही में अधिसूचित किए गए मसौदा नियमों को लेकर हुए हैं। दरअसल पिछले दिनों ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वारमेंट’ ने एक रिपोर्ट जारी कर यह बताया था कि ये मसौदा नियम ई-कचरे का निपटान करने वाली संगठित क्षेत्र की कंपनियों की ही मदद करेंगे।
इसके बाद एक और प्रमुख पर्यावरण हितैषी गैर सरकारी संगठन ने दावा किया कि मसौदा नियम ई-कचरे के बड़े पैमाने पर अवैध रूप से होने वाले आयात को रोकने और अंसगठित क्षेत्र में इस तरह के कचरे के निपटान की प्रक्रिया के नियमन के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। ग्रीनपीस के वरिष्ठ विशेषज्ञ अभिषेक प्रताप ने कहा कि देश में कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के चलते पैदा होने वाले ई-कचरे कि समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देशों ने भारत को अपने ई-कचरे के निपटारे का जरिया बना लिया है। उन्होंने कहा कि कुछ गैर सरकारी संगठनों का दावा है कि “ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और रखरखाव) मसौदा नियम 2010’’ सिर्फ उन्हीं कंपनियों को फायदा पहुंचाएंगे जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पंजीकृत हैं। इस तरह के दावे बेबुनियाद हैं। सीएसई ने पिछले दिनों अपनी एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया था कि ई-कचरे का पूरी तरह से निपटारा करने वाली एकमात्र पंजीकृत कंपनी अटेरो को पुनर्चक्रण के लिए अपशिष्ट नहीं मिल रहा है और मसौदा नियम लागू होने से असंगठित क्षेत्र पर असर पड़ेगा जो 90 फीसद ई-कचरे का निपटारा करता है। गौरतलब है कि इन मसौदा नियमों पर पर्यावरण और वन मंत्रालय अभी सार्वजनिक सलाह-मशविरा करने की प्रक्रिया में है। यह प्रक्रिया 15 जुलाई तक पूरी होने और उसके बाद ही इस पर कोई फैसला होने की संभावना है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 50,000 टन ई- कचरा गैरकानूनी रूप में आयात किया जाता है। प्रताप ने कहा कि मसौदा नियमों के प्रभावी होने के बाद असंगठित क्षेत्र को नुकसान नहीं पहुंचेगा क्योंकि नियम के तहत हर रिसाइकलर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पंजीयन करा सकेगा। उन्होंने कहा कि मसौदा नियम की धारा 16 कहती है कि कोई भी रिसाइकलर और कचरा इकट्ठा करने वाला व्यक्ति इस्तेमालशुदा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आयात नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ये मसौदा नियम इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनमें हर उपकरण निर्माता की यह जिम्मेदारी निर्धारित की गई है कि वह पुनर्चक्रण और कचरे के निपटारे की प्रक्रिया को वित्तीय मदद मुहैया कराए।
“ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और रखरखाव) मसौदा नियम 2010’’ का मूल ड्राफ्ट संलग्न है। सुविधा के लिए डाऊनलोड कर सकते हैं।
इसके बाद एक और प्रमुख पर्यावरण हितैषी गैर सरकारी संगठन ने दावा किया कि मसौदा नियम ई-कचरे के बड़े पैमाने पर अवैध रूप से होने वाले आयात को रोकने और अंसगठित क्षेत्र में इस तरह के कचरे के निपटान की प्रक्रिया के नियमन के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। ग्रीनपीस के वरिष्ठ विशेषज्ञ अभिषेक प्रताप ने कहा कि देश में कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के चलते पैदा होने वाले ई-कचरे कि समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देशों ने भारत को अपने ई-कचरे के निपटारे का जरिया बना लिया है। उन्होंने कहा कि कुछ गैर सरकारी संगठनों का दावा है कि “ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और रखरखाव) मसौदा नियम 2010’’ सिर्फ उन्हीं कंपनियों को फायदा पहुंचाएंगे जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पंजीकृत हैं। इस तरह के दावे बेबुनियाद हैं। सीएसई ने पिछले दिनों अपनी एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया था कि ई-कचरे का पूरी तरह से निपटारा करने वाली एकमात्र पंजीकृत कंपनी अटेरो को पुनर्चक्रण के लिए अपशिष्ट नहीं मिल रहा है और मसौदा नियम लागू होने से असंगठित क्षेत्र पर असर पड़ेगा जो 90 फीसद ई-कचरे का निपटारा करता है। गौरतलब है कि इन मसौदा नियमों पर पर्यावरण और वन मंत्रालय अभी सार्वजनिक सलाह-मशविरा करने की प्रक्रिया में है। यह प्रक्रिया 15 जुलाई तक पूरी होने और उसके बाद ही इस पर कोई फैसला होने की संभावना है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 50,000 टन ई- कचरा गैरकानूनी रूप में आयात किया जाता है। प्रताप ने कहा कि मसौदा नियमों के प्रभावी होने के बाद असंगठित क्षेत्र को नुकसान नहीं पहुंचेगा क्योंकि नियम के तहत हर रिसाइकलर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पंजीयन करा सकेगा। उन्होंने कहा कि मसौदा नियम की धारा 16 कहती है कि कोई भी रिसाइकलर और कचरा इकट्ठा करने वाला व्यक्ति इस्तेमालशुदा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आयात नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ये मसौदा नियम इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनमें हर उपकरण निर्माता की यह जिम्मेदारी निर्धारित की गई है कि वह पुनर्चक्रण और कचरे के निपटारे की प्रक्रिया को वित्तीय मदद मुहैया कराए।
“ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और रखरखाव) मसौदा नियम 2010’’ का मूल ड्राफ्ट संलग्न है। सुविधा के लिए डाऊनलोड कर सकते हैं।
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