यह ओडियो केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान और एनसीईआरटी द्वारा बनाई गयी है। पर्यावरण संकलन में 'नदी' अपनी व्यथा सुना रही है। सुनने के लिये क्लिक करें....
Posted on 01 Oct, 2010 09:48 AMभूमिगत जल के घटते स्तर से चिंतित केंद्र सरकार अब स्कूली बच्चों को पानी का पाठ पढ़ाने की सोच रही है। उन्हें भूमिगत जल के प्रवाह, गुणवत्ता और अत्यधिक दोहन के असर की सही जानकारी देने के लिए योग्य शिक्षकों की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है, जिन्हें भू जल प्रचारक कहा जाएगा। बच्चों को पानी की अहमियत समझाने के अलावा यह लोग स्थानीय समुदाय को भूमिगत जल बचाने और इसके कृत्रिम रिचार्ज का तरीका भी बताएंगे।
Posted on 01 Oct, 2010 08:35 AMहर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मानसून की भविष्यवाणी जोर-शोर से की जाती रही और मानसून था कि इंतजार करवाते हुए साइंसदानों को उनकी लघुता का बोध कराते हुए ऐसा डेरा जमाया कि सालों-साल तक ऐसी अनुकंपा नहीं की थी। इसने एक-साथ दो निशाने साधे और सरकारी कारिंदों को कबीर की वाणी की ओर इशारा करते हुए एहसास दिला दिया कि काल करे सो आज कर और आज करे सो अब, पल में प्रलय होगी, बहुरि करेगा कब। संकेत कामनवेल्थ खेलों की त
Posted on 22 Sep, 2010 12:11 PM दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल होने हैं। दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर के रूप में तैयार किया जा रहा था। बारिश ने सरकार और योजना बनाने वाले उच्च अधिकारियों की पोल खोल दी। देश की राजधानी में बारिश के पानी की निकासी का इंतज़ाम नहीं है। रिहायशी इलाक़ों से लेकर सड़कों तक पानी भर गया। ट्रैफिक जाम के चलते लोग घंटों रास्ते में फंसे रहे। यह भी जगज़ाहिर है कि तेज़ी से बढ़ती आबादी की ज़रूरत के मुताबिक़ शहरीकरण
Posted on 18 Sep, 2010 09:56 AM यमुना नदी के उफान को देखने के लिए पिछले दिनों पूरी दिल्ली उमड़ पड़ी। इसके आईटीओ, निजामुद्दीन, सरिता विहार और लोहे के पुल पर तमाशबीनों की भीड़ जुट गई।
Posted on 17 Sep, 2010 01:06 PM यमुना में हरियाणा से पानी छोड़े जाने के कारण उसका जल स्तर खतरे के निशान को पार कर गया। इससे राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया।
Posted on 14 Sep, 2010 06:19 PMसेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरॉनमेंट ने काफी नजदीक से इंटरसेप्टर योजना की छानबीन की और पाया कि यह हार्डवेयर योजना पूरी तरह पैसे की बर्बादी है। 2009-2012 के दौरान भारी निवेश योजनाओं के बावजूद नदी मृत ही रहेगी। दिल्ली जल बोर्ड ने यमुना प्रदूषण की समस्याओं के लिए रामबाण के रूप में इंटरसेप्टर परियोजना को प्रोजेक्ट किया है। इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि जिस रूप में इसे तैयार किया गया है,उसका परिणाम एक स्वच्छ नदी में नहीं दिखता है। इसके कारण नालियों में अधिक पैसा बहेगा।
यह प्रयास केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा चलाए गए यमुना एक्शन प्लान की आलोचना के बाद दिल्ली जल बोर्ड ने शुरू किया था। अब तक इस परियोजना में दिल्ली सरकार ने 1500 करोड़ रुपए से अधिक सिर्फ दिल्ली की 50 फीसदी आबादी को अपने सीवरेज नेटवर्क से जोडने के लिए खर्च किया है। दिल्ली