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केंचुआ खाद
Posted on 03 Sep, 2011 01:30 PM हम सभी अच्छी तरह जानते हैं कि भूमि में पाये जाने वाले केंचुए मनुष्य के लिए बहुपयोगी होते हैं। मनुष्य के लिए इनका महत्व सर्वप्रथम सन् 1881 में विश्व विख्यात जीव वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने अपने 40 वर्षों के अध्ययन के बाद बताया। इसके बाद हुए अध्ययनों से केंचुओं की उपयोगिता उससे भी अधिक साबित हो चुकी है जितनी कि डार्विन ने कभी कल्पना की थी। भूमि में पाये जाने वाले केंचुए खेत में पडे़ हुए पेड़-पौधों
केंचुए गोबर को खाद के रूप में परिवर्तित करते
पहली प्राथमिकता बने शुद्ध पेयजल
Posted on 02 Sep, 2011 11:45 AM

सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहायता से गांव समुदाय ने एक होकर पास की पहाड़ी पर जल संरक्षण का कार्य क

भारत की कीमत पर इंडिया की तरक्की
Posted on 02 Sep, 2011 09:43 AM

जब समाज में लोग एक-दूसरे के कौशल पर निर्भर हो, जब एक-दूसरे के लिए सम्मान की भावना हो और विकास क

मधुमास का सरस उत्सव
Posted on 01 Sep, 2011 06:07 PM

यह सोख्ता स्त्री-पुरुष के स्वाभाविक संबंधों के रस को भी सोखता रहता है और जीवन को उतना रसमय नहीं

चीख पड़ते जो जंगलों के जबान होती
Posted on 01 Sep, 2011 05:38 PM

कई जंगली जानवरों की प्रजातियाँ तो लुप्त होने के कगार पर आ गई हैं। पिछले दिनों मांढण क्षेत्र में

गरीबी की रेखा
Posted on 01 Sep, 2011 01:37 PM

113 मानव विकास प्रतिवेदन की अवधारणा लाने वाला संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम मानता है कि आय क

शहरीकरण का विस्फोट
Posted on 01 Sep, 2011 10:29 AM

113 शहरों द्वारा गंगा और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र में हर रोज डेढ़ अरब लीटर अपशिष्ट गंदा पान

Polluted Ganga
गरीब भी खरीदेगा पानी!
Posted on 31 Aug, 2011 03:09 PM

पानी से बाजार पैसा कमा रहा है, तो अब सरकारें भी कमाएंगी। मारा जाएगा गरीब आदमी और रही बात मध्यमव

खाद्य सुरक्षा की अवधारणा
Posted on 31 Aug, 2011 01:14 PM

देश में चार गुना उत्पादन बढ़ने के बाद भी लोगों की रोटी का सवाल ज्यों का त्यों बना हुआ है। हम अब

बच्चों की खाद्य (अ)सुरक्षा: भूख और गरीबी का यह एक बड़ा मामला है!!
Posted on 31 Aug, 2011 11:45 AM

बच्चों के जीवन के अधिकार का सबसे बुनियादी सवाल है, जिसके लिए वे समाज और राज्य पर निर्भर हैं। यद

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