Posted on 12 Mar, 2013 03:08 PMयमुना मुक्ति पदयात्रा का आज 12वां दिन है। 1 मार्च को वृंदावन से शुरू हुई इस यात्रा में किसानों, संतों दोनों की भागीदारी हो रही है। वृंदावन से 10-15 हजार लोगों की शुरू हुई यह यात्रा 12वें दिन दिल्ली पहुंच चुकी है। सरिता विहार के पास आली गांव में यात्री पड़ाव डाले हुए हैं।
Posted on 12 Mar, 2013 10:08 AMसूर्यपुत्री, पुण्य सलिला यमुना के शुद्धिकरण को लेकर मथुरा से शुरू हुई पदयात्रा के समर्थन में शुक्रवार को हजारों हाथ उठे। महिला, पुरुष व बच्चों की भीड़ यात्रा को देखने व उनके प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों और उमड़ पड़ी। हजारों की भीड़ ने यात्रा में शामिल संतों, पर्यावरण प्रेमियों व अन्य यात्रियों का हाथ हिलाकर अभिनंदन व स्वागत किया। शास्त्रों में यमुना को सजला व पुण्यसल
Posted on 11 Mar, 2013 11:53 AMनेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम (प्राकृतिक सीवेज उपचार प्रणाली) की मांग आगरा के यमुना सत्याग्रही पंडित अश्विनी कुमार मिश्र ने 2007 में उठाई। उन्होंने मंडलायुक्त आगरा को 30 नवंबर 2007 में पत्र देकर मांग की कि यमुना में मिलने वाले बरसाती नालों पर नेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम लगाया जाय। ‘प्राकृतिक सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम’ उन्हीं नालों पर लगाया जाता है, जिन नालों के पानी में कोई रसायन मिला हुआ जहरीला पानी न आता हो। उन्होंने साथ में यह भी मांग की कि यमुना खादर में गिरने वाले प्राकृतिक नालों पर ‘प्राकृतिक सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम’ लगाया जाय ताकि उनको किसी भी तरह की बिजली और मानवीय प्रबंधन की जरूरत न रहे। उन्होंने यह भी मांग की कि नये बनने वाले कॉलोनियों में लोकल स्तर पर ही ‘एसटीपी’ लगाने का प्रावधान किया जाय।
Posted on 09 Mar, 2013 01:05 PMयमुना में जल की गुणवत्ता बेहतर हो, उस पर निगरानी रखने और उसकी सेहत में सुधार के लिए सिफारिश करने के लिए कई बोर्ड, कमीशन, कमेटी, अथॉरिटी व एजेंसी हैं लेकिन इनमें से किसी के पास यमुना के बारे में निर्णायक फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है। यमुना कई प्रदेशों से गुजरती है। हर प्रदेश अपने-अपने तरीके से यमुना की दशा सुधारने के लिए प्रयास करने का दावा करते हैं और कई मौक़ों पर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप क
Posted on 09 Mar, 2013 12:28 PMमैली यमुना के पानी से धर्म और आस्था के साथ खिलवाड़ के साथ किसान, जंगली जानवर, परिंदे, पेड़-पौधे सबका अस्तित्व संकट में पड़ गया है। भारतीय किसान यूनियन के सचिव रामचंद्र राजपूत कहते हैं कि यमुना के जहरीले पानी से अब किसानों को केवल ट्यूबवेल का सहारा रह गया है और बदरपुर से संगम तक की लाखों एकड़ ज़मीन पर सिंचाई के मद में लाखों करोड़ों रुपए का खर्च बढ़ गया है। जब से यमुना जी रूठी हैं, तब से हमारा नसीब