कांटो पर लेट पूरी कर रहे हैं यमुना मुक्ति यात्रा

सत्यनारायण भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाले आंदोलन मुकाम तक न पहुंच पाने से निराश हैं, लेकिन अभी उनके हौसले कम नहीं पड़े हैं। उन्होंने बताया कि उनके अंदर भ्रष्टाचार और सरकार के प्रति आक्रोश है, अगर यह आक्रोश किसी और स्वरूप में बाहर नहीं आया तो यह किसी और रूप मे बाहर आएगा। हो सकता है कि भ्रष्टाचार व पर्यावरण के मुद्दों की अनदेखी और सरकार की निष्क्रियता की वजह से उनको आतंकवादियों की तरह उनको बंदूक थामनी पड़े।

चुभते हैं कांटे, लेकिन इन कांटों की चुभन और कष्ट उस कष्ट से कहीं कम है, यमुना मां को झेलना पड़ रहा है। यमुना को हथिनी बांध से मुक्त करवाने और यमुना की सफाई के लिए मथुरा के छाता जिले के तरौली गांव के युवक सत्यनारायण सिसौदिया कांटों की सेज पर यमुना मुक्ति यात्रा का सफर तय कर रहे हैं। तो ब्रज के पांच लोगों ने यमुना को ब्रज लाने और उसकी सफाई के लिए आत्मदाह करने का निर्णय ले लिया है। यमुना मुक्ति यात्रा का कारवां आगे बढ़ता जा रहा है। साथ ही आंदोलनकारियों का हौसला भी बुलंद होता जा रहा है। एक लड़की के पिता और पेसे से किसान सत्यनारायण बताते हैं कि उन्होंने यमुना को मुक्त करवाने के लिए कांटों की सेज पर दिल्ली तक का सफर तय करने का निर्णय लिया है। अन्ना आंदोलन में शिरकत कर चुके सत्यनारायण का मानना है कि यमुना के प्रदूषण की वजह से उनके गाँवों में कैंसर का प्रकोप बढ़ रहा है। अब हर दसवें घर में कैंसर के मरीज़ हैं। पांच-छह साल तक ऐसा नहीं था। यमुना के साथ बहकर आ रहे रसायनों ने गाँवों की तस्वीर ही बदलकर रख दी है। उनके साथ गाँवों के 200 आदमी और भी आए हैं।

सत्यनारायण भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाले आंदोलन मुकाम तक न पहुंच पाने से निराश हैं, लेकिन अभी उनके हौसले कम नहीं पड़े हैं। उन्होंने बताया कि उनके अंदर भ्रष्टाचार और सरकार के प्रति आक्रोश है, अगर यह आक्रोश किसी और स्वरूप में बाहर नहीं आया तो यह किसी और रूप मे बाहर आएगा। हो सकता है कि भ्रष्टाचार व पर्यावरण के मुद्दों की अनदेखी और सरकार की निष्क्रियता की वजह से उनको आतंकवादियों की तरह उनको बंदूक थामनी पड़े।

शाम होते ही बस जाता है यमुना बचाओ गांव


एक मार्च से चल रही यमुना मुक्ति यात्रा सुबह करीब साढ़े नौ बजे पृथला से एक बार फिर चल दी। पृथला के राजकीय विद्यालय शाम को जहां एक गांव की भांति लग रहा था। वहीं, गुरूवार सुबह यह गांव पूरी तरह वीरान हो गया। सुबह यह यात्रा रास्ते के ग्रामीणों के कुछ सवालों का जवाब देने और लेने के लिए आगे बढ़ जाती है। मंज़िल की तरह बढ़ रही इस यात्रा को गुप्ता टेंट हाउस, मुम्बई से आए अरविंद करवत, मान मंदिर के संसाधन, दो दर्जन ट्रेक्टर और उनके चालक अदृश्य रूप में गति दे रहे हैं। मथुरा स्थित गुप्ता टेंट हाउस पिछले कई साल से गोवर्धन महाराज की परिक्रमा कर रहा है। जब उन्हें यमुना शुद्धिकरण को लेकर यात्रा की जानकारी मिली, तो वह स्वयं ही रमेश बाबा के पास पहुंच गए और टेंट व बिजली की व्यवस्था के लिए आग्रह किया। जिसे बाबा ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

यात्रा को टेंट हाउस के छह कारीगरों की टीम सेवा-भाव से सहयोग दे रही है। यह टीम मात्र तीन घंटे में तंबुओं का गांव बना देती है और रोशनी से लबालब कर देती है। जबकी मान मंदिर, गोवर्धन से करीब 125 लोगों का दल गांव को बसाने में सहयोग कर रहा है। यह दल गांव को बसाने में करीब चार घंटे का समय लेता है। जबकि तड़के सुबह ही एक बार फिर उजाड़ने में जुट जाता है।

30 जनरेटर, 500 बल्ब


सेवा कार्य में जुटे गुप्ता टेंट हाउस के कारीगर दोपहर करीब एक बजे ट्रैक्टर की छांव में आराम फरमा रहे थे। बावजूद इसके उनके चेहरे पर कहीं भी निराशा के भाव दिखाई नहीं दे रहे थे। आत्मविश्वास लबरेज गुप्ता ने बताया कि करीब तीन बजे वे दोबारा काम शुरू करेंगे। यात्रा के लिए उन्हें रोशनी की व्यवस्था करने में बेहद आनंद आ रहा है। यात्रियों के लिए रोशनी की व्यवस्था करने को बेहद पुण्य का काम मानने वाले गुप्ता ने कहा कि भव्य समारोह में भी बिजली की व्यवस्था की है। लेकिन यमुना बचाओ आंदोलन का हिस्सा बनकर वे छोटी सी भूमिका निभा रहे हैं। ठहरने वाले जगह पर वे तीन जनरेटर लगाते हैं। जिसकी क्षमता 30 वाट से लेकर 62 किलोवाट है। जबकि 50 मेटल लाईट, 500 वाट की हेलोजन, 500 बल्ब पूरे प्रांगण को जगमगा देते हैं। रोशनी व्यवस्था में बबली, गंगाराम, चेतराम, कन्हैया, योगेंद्र आदि अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। इनके अलावा अन्य लोग भी सेवा कार्य में पूरी तत्परता के साथ लगे हुए हैं।

यमुना मां को ब्रज लाने का संकल्प


गऊ माता को यमुना का पानी पिलाने के लिए, भगवान को स्नान करने करवाने के लिए, हथिनीकुंड में बंधी पड़ी यमुना मां को लेने जा रहे हैं। कहना है हनुमान मंदिर के गुरुकुल 12 वर्षीय छात्र दुर्गेस का। हमने यमुना मइया को हथिनी बांध से मुक्त करवाने का संकल्प लिया है। दुर्गेश के जैसे 35 लोगों ने नंगे पांव चल रहे बच्चों ने यमुना मां को ब्रज लाने का संकल्प किया है। ब्रज के बरसाना और हनुमान मंदिर से आए इन छात्रों का संकल्प इसलिए भी महान हैं, चूंकि बालावस्था में ही उन्होंने यमुना को ब्रज में लाने को महान संकल्प लिया है। गुरुकुल छात्र निरंजन ने बताया ‘हम मंदिर में शिक्षा ग्रहण करने का काम करते हैं। वे हर हाल में यमुना मां को ब्रज में वापस लाकर ही रहेंगे। हथिनीकुंड में यमुना माता को कैद करके रखा गया है। गुरुकुल छात्र मदन मोहन ने बताया कि यमुना के बिना बृज में गायें प्यासी रही हैं। गाय माता और यमुना मइया के लिए हमने संकल्प लिया है हम यमुना को वापस लाकर ही रहेंगे।’

यमुना लाने के संकल्प के बारे में पूछने पर राघव ने बताया कि हम गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने का काम करते हैं। गुरुकुल छात्र अपनी यमुना मां को वापस लाने के लिए दिल्ली जा रहे हैं। दिल्ली में आगे हथिनीकुंड में यमुना माता के पानी को रोका हुआ है। हमारे ब्रज को पानी मिल नहीं पा रहा। इसलिए हमने यमुना को हथिनी से ब्रज लाने के लिए संकल्प लिया है। हनुमान मंदिर और बरसाना के राधारानी मंदिर से आए बच्चों की निर्देशिका शुभा के मुताबिक, बच्चों ने यमुना माता को वापस लाने का संकल्प लिया है। यमुना पूरी तरह से सूख गई है। यमुना का पानी इतना दूषित हो गया है कि पशुओं को पिलाया नहीं जा सकता। गरीब किसान गंदे पानी से खेती करने को मजबूर हैं। बाकी पंपों के जरिए खेती कर रहे हैं। यमुना माता पूरे ब्रज के जीवन की आधारशिला है। उसे वापस लाने के लिए जो भी कुर्बानी देनी पड़े, तो भी पीछे नहीं हटेंगे। आंदोलन थमेगा नहीं।

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