दिल्ली

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नजीर और नसीहत
Posted on 25 Mar, 2013 04:02 PM

डीआरडीओ : सैनिटेशन मॉडल

सफाई को साझे की दरकार
Posted on 25 Mar, 2013 03:02 PM कौन कहता है कि आसमां में सुराख हो नहीं सकता।
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।।


पांवधोई डॉट ऑर्ग पर लिखी दुष्यंत की यह पंक्ति इस बात की पुख्ता सुबूत है कि चाहे किसी मैली नदी को साफ करना हो या सूखी नदी को ‘नीले सोने’ से भर देना हो..सिर्फ धन से यह संभव नहीं है। धुन जरूरी है। नदी को प्रोजेक्ट बाद में।

कम खर्च में बड़ी सफलताओं से सीखने की जरूरत

उद्गम से संगम तक यमुना
Posted on 25 Mar, 2013 12:56 PM नदी का स्वभाव जाने बिना यमुना को अहमदाबाद की साबरमती नदी की तरह रि
Yamuna river
कचरे निपटाने की ठोस कार्ययोजना नहीं
Posted on 25 Mar, 2013 12:07 PM यमुना में दिल्ली के 18 छोटे-बड़े नाले का कचरा गिर रहा है। सोनीपत औ
समाधान का एक रास्ता यह भी
Posted on 25 Mar, 2013 11:35 AM यमुना की सफाई ‘नेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम’ से की जा सकती है। य
मुक्ति पदयात्रा
Posted on 25 Mar, 2013 09:46 AM

यमुना की कुल लंबाई 1375 किलोमीटर है। दिल्ली के क्षेत्र में यमुना मात्र 48 किलोमीटर बहती है। पर यमुना की कुल गंदगी में लगभग 90 फीसद दिल्ली का योगदान है। दिल्ली के मल-मूत्र को साफ करने में करोड़ों रुपया बहाया जा चुका है पर यमुना अभी तक साफ नहीं हो पाई है।

 

 

यमुना रक्षक दल की मांगों और बदले में सरकार के जवाबों से कई सवाल खड़े होते हैं। पर एक बात साफ है कि दिल्ली के नालों के संदर्भ में सरकार का जवाब यमुना रक्षक दल की जीत नहीं है। इससे भी यमुना का ही नुकसान होगा, महानाले के लिए जो ज़मीन लगेगी, आशंका है कि वह भी यमुना के हिस्से में से ही निकाली जाएगी। महानाले के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायलय को कई बार सरकार ने यह वादा किया है। यमुना रक्षक दल के सामने अपने उसी पुराने वादे को नई बोतल में भरकर पेश कर दिया और वाहवाही लूटी।

गंगा की तरह ही यमुना भी हिमालय की गोद से निकलती है। हिमाच्छादित पर्वत बंदरपुच्छ से 8 मील उत्तर-पश्चिम में कलिंद पर्वत है। इसी पर्वत की कोख से जन्मने के कारण यमुना कालिंदी भी कहलाती है। यमुना को प्यार की नदी भी कहा जाता है। भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं का क्षेत्र ब्रज यमुना के किनारे ही स्थित है। मुमताज महल की याद में शाहजहां द्वारा बनवाया गया प्यार का प्रतीक ताजमहल भी यमुना के किनारे ही है। ब्रज क्षेत्र और आगरा दोनों ही यहां की संस्कृति गढ़ते हैं। यहां के सामाजिक संगठनों में भी यह प्रभाव दिखता है। यहां जन्मे आंदोलन भी गाते-बजाते, नाचते-कूदते हुए ही मांगों के लिए प्रदर्शन, पदयात्रा करते हैं। यमुना रक्षक दल, मान मंदिर, बरसाना के संतों और भक्तों का संगम ही है। बरसाना राधा जी की जन्मस्थली है। संत रमेश बाबा मान-मंदिर के मुखिया हैं। ब्रज क्षेत्र को वे कृष्ण की लीला स्थली मानते हैं। ब्रज के जंगल, पहाड़, नदियां और कुंड; सब को वे कृष्ण की विरासत मानते हैं।

यमुना में अबाध प्रवाह चाहिए
Posted on 23 Mar, 2013 03:21 PM

कृष्णप्रिया राधा जी का गांव है बरसाना। बरसाना में स्थित मानमंदिर के संस्थापक और यमुना रक्षक दल के प्रणेता रमेश बाबा की पहचान जुझारू संत की है। कृष्ण भक्ति के साथ ही, कृष्ण लीला के इलाकों के संरक्षण और यमुना मुक्ति अभियान को भी वे भगवद् भक्ति ही मानते हैं। प्रस्तुत है रमेश बाबा से सिराज केसर द्वारा लिया गया साक्षात्कार का संपादित अंश

फिर से जीवित हो सकती है यमुना
Posted on 23 Mar, 2013 11:53 AM वे लोग जो बोतलबंद पानी या घरों में पेयजल शुद्ध करने के यंत्र लगा सकते हैं, उन पर उतना ध्यान देने की जरूरत नहीं है, जितना कि उन लोगों पर जो ये सुविधाएँ अर्जित नहीं कर सकते हैं। संख्या के आधार इन कमजोर वर्ग की थाह लेना चाहें तो इसके अंतर्गत आने वाले लोग दिल्ली में भी हो सकते हैं; हालांकि देश के विभिन्न शहरों में रहने वाली तीन चौथाई आबादी ऐसी है, जो अपने बूते शुद्ध पेयजल का इंतज़ाम नहीं कर सकती है
यमुना की बीमारी क्या है
Posted on 23 Mar, 2013 11:26 AM गंगा के बाद यमुना दूसरी नदी है, जिसके संरक्षण में लापरवाही का मुद्दा इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि पर्यावरणविदों के साथ साधु-संतों और आमजनों ने संघर्ष का एक लंबा सिलसिला शुरू कर दिया है। यमुना किनारे के विभिन्न क्षेत्रों से बढ़ता हुआ यह संघर्ष दिल्ली तक भी एकाधिक बार पहुंच चुका है। आदिवासियों के जल, जंगल और ज़मीन पर अधिकार और इनके संरक्षण के बाद गंगा और यमुना की प्रवाह निरंतरता और निर्मलता दूसरा
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