फिर से जीवित हो सकती है यमुना

वे लोग जो बोतलबंद पानी या घरों में पेयजल शुद्ध करने के यंत्र लगा सकते हैं, उन पर उतना ध्यान देने की जरूरत नहीं है, जितना कि उन लोगों पर जो ये सुविधाएँ अर्जित नहीं कर सकते हैं। संख्या के आधार इन कमजोर वर्ग की थाह लेना चाहें तो इसके अंतर्गत आने वाले लोग दिल्ली में भी हो सकते हैं; हालांकि देश के विभिन्न शहरों में रहने वाली तीन चौथाई आबादी ऐसी है, जो अपने बूते शुद्ध पेयजल का इंतज़ाम नहीं कर सकती है। अपनी नीतियों और कार्यक्रमों में उसे ज्यादा तरजीह देनी चाहिए।

यमुना नदीयमुना नदीहां यमुना का उद्धार किया जा सकता है। इसके लिए कुछ दीर्घकालीन प्रयास को स्वत:स्फूर्त तरीकों से क्रियान्वयन करने की जरूरत होगी। ऐसे प्रयासों में पानी की खपत को कम करना, नदी का प्रवाह बढ़ाना, प्रदूषण को रोकना और भूमिगत जलों का संरक्षण करना है। दिल्ली में पानी की औसत खपत रोज़ाना प्रति व्यक्ति 250 लीटर है, जो देश में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 135 लीटर के औसत उपभोग से काफी ज्यादा है। इसके बावजूद विभिन्न इलाकों में पानी की कमी बनी हुई है और नलों से आने वाले पानी की गुणवत्ता सुरक्षित नहीं है।

आइए, हम इस छोटे से आलेख में पानी का उपभोग या उसकी बर्बादी कम करने पर विचार करें। दिल्ली में पानी आपूर्ति की अधिकतर समस्याएं पानी के टूटे-फूटे पाइप, उसकी मरम्मत और पुराने अवहनीय पाइपों को बदलने जाने की ज़रूरतों को लंबे समय से टाले जाने के चलते हैं। पाइपों से पानी बह जाने के चलते पेयजल की आपूर्ति अनियमित हो गई है। पानी की अपेक्षित गुणवत्ता न होने का सबसे बड़ा नुकसान का कारण उचित दाब न रहने की स्थिति में पाइपों में घुसने वाला दूषित जल है। इसका सबसे बड़ा ख़ामियाज़ा गरीब तबक़ों को उठाना पड़ता है, जो साफ-स्वच्छ पानी के वैकल्पिक इंतज़ाम करने में सक्षम नहीं हैं।

अनियमित या बाधित पेयजल आपूर्ति पण्राली के चलते उत्पन्न समस्याओं का फायदा उठाने के लिए कई तरह के उद्यम खड़े हो गए हैं। इसमें चिकित्सक, क्लिनिक और अस्पतालों की बात जाने दें तो पानी से संबंधित उपक्रमों को निम्नलिखित क्षेत्रों में लाभ मिला है :
बोतलबंद पानी मुहैया कराने वाले उद्योग।
घर-बार में लगने वाले शुद्ध पेयजल यंत्रों।
टैंकर से पानी बेचने वालों को और
पाइपों से पानी के बहाब के लिए बूस्टर पम्प विर्निर्माणकर्ताओं को।

कुछेक दशकों में ही ये उपक्रम फैल गए हैं और उनकी अपनी लॉबी है, अपनी शख्सियत है। इस हद तक कि अगर पेयजल की अबाधित आपूर्ति की गई तो वे सभी इसे अनियमित करने के लिए धमकी तक देंगे। लेकिन इससे एक अर्थ में समाज फ़ायदेमंद रहेगा। इसलिए कि उसे न केवल गुणात्मक जल मिलने की आश्वस्ति होगी बल्कि कुल पेयजल आपूर्ति की मात्रा में भी गिरावट आएगी। इस तरह पाइपों से रिसाव कम होगा, जिसके चलते 30 फीसद पानी की बचत होगी। फिर, उपभोक्ताओं को पानी का हिसाब से उपयोग की कला सीखा कर पानी के नुकसान से बचा सकेगा।

वे लोग जो बोतलबंद पानी या घरों में पेयजल शुद्ध करने के यंत्र लगा सकते हैं, उन पर उतना ध्यान देने की जरूरत नहीं है, जितना कि उन लोगों पर जो ये सुविधाएँ अर्जित नहीं कर सकते हैं। संख्या के आधार इन कमजोर वर्ग की थाह लेना चाहें तो इसके अंतर्गत आने वाले लोग दिल्ली में भी हो सकते हैं; हालांकि देश के विभिन्न शहरों में रहने वाली तीन चौथाई आबादी ऐसी है, जो अपने बूते शुद्ध पेयजल का इंतज़ाम नहीं कर सकती है। ऐसे में, जबकि समाज में न्यूनतम सुविधा प्राप्त लोगों की भारी तादाद है, हमें अपनी नीतियों और कार्यक्रमों में उन्हें ज्यादा तरजीह देनी चाहिए। इसके निष्कर्ष हैं कि-
दिल्ली में पानी आपूर्ति करने वाली पाइप लाइनें जहां-जहां रिस रही हैं, उन्हें खोज-खोज कर उनकी मरम्मत करनी चाहिए।
जलापूर्ति प्रणाली को क्षेत्रवार बांट कर उसमें अनियमित के बजाय रोजाना आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए और
चाहे सूचना के जरिये हो, प्रशिक्षण या बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों के जरिये; घर-बार या अन्य प्रतिष्ठानों में पानी की बर्बादी रोकनी चाहिए।

इसका एक अहम पक्ष यह है कि लगातार आपूर्ति सुनिश्चित कर सीधे नलों से भी पीने लायक शुद्ध-साफ पानी मिलना संभव है। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को प्रचुर फायदा होगा। यमुना के लिए तो यह मानो कोमा से बाहर आए मरीज की तरह सुखद व गुणात्मक परिणामदायक होगा। वर्तमान में, सूखे के मौसम में यमुना के प्रवाह को वजीराबाद के पास बराज में मोड़ दिया जाता है। अगर नियमित आपूर्ति में होने वाली बरबादी से बचाए गए पानी को यमुना में फिर से प्रवाहित किया जाएगा, तो नदी के पुनर्जीवन की एक अहम शुरुआत होगी। रिसाव कम करने और बरबादी रोकने के सुझाये गए उपयरुक्त सुझावों को अपना कर यमुना में प्रति सेकेंड 10 क्यूबिक मीटर जल प्रवाह बनाए रखना संभव है, जिसे 10 लाख की आबादी के सीवेज को समावेश की क्षमता होगी।

लेखक, प्रदूषण नियंतण्र बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं

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