किरण त्रिपाठी

किरण त्रिपाठी
सफाई को साझे की दरकार
Posted on 25 Mar, 2013 03:02 PM
कौन कहता है कि आसमां में सुराख हो नहीं सकता।
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।।


पांवधोई डॉट ऑर्ग पर लिखी दुष्यंत की यह पंक्ति इस बात की पुख्ता सुबूत है कि चाहे किसी मैली नदी को साफ करना हो या सूखी नदी को ‘नीले सोने’ से भर देना हो..सिर्फ धन से यह संभव नहीं है। धुन जरूरी है। नदी को प्रोजेक्ट बाद में।

कम खर्च में बड़ी सफलताओं से सीखने की जरूरत

पुरानी जंग की नई धार
Posted on 03 Apr, 2012 12:54 PM

गंगा की मुख्य मूल धाराओं पर ही नहीं सरयू, कोसी, भवाली, भिलंगना, गंगा, बालगंगा, गौला, पनार..

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