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खेती लाभकारी होगी, तभी होगा कृषि का विकास
Posted on 28 May, 2013 03:38 PM डॉ. टी.हक देश के जाने माने कृषि अर्थशास्त्री हैं। भारत सरकार के कमिशन फॉर एग्रिकल्चर, कॉस्ट ऑफ प्राइसेस के चेयरमैन रहे डॉ.
मांगिए सिंचाई योजनाओं के खर्च का हिसाब
Posted on 28 May, 2013 01:51 PM राज्य में कुल सिंचित क्षेत्र करीब 8 से 10 प्रतिशत है। जो कुल कृषि भूमि के करीब 24.25 प्रतिशत है। यानी हर खेत को पानी पहुंचाने का लक्ष्य अब भी 75.75 प्रतिशत बाकी है। यह तब है, जब चौथी पंचवर्षीय योजना से ही छोटानागपुर और संथाल परगना में सिंचाई के संसाधन विकसित करने के लिए कई बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति दी गयी। इनमें से ज्यादातर परियोजनाएं अब भी आधूरी हैं, जबकि समय के साथ इनका बजट सौ गुना से भी ज्याद
पवित्रता के प्रतीकों की चिंतनीय उपेक्षा
Posted on 27 May, 2013 11:57 AM हमारे यहां गंगा, यमुना व अन्य कई नदियों को पूजनीय माना जाता है। यह
नदी एक खोज
Posted on 25 May, 2013 04:41 PM तपती गर्मी में नदियों का याद आना लाज़िमी है। दुनिया की सभी बड़ी सभ्यताओं में नदियों को पूजनीय ही माना गया। सभ्यता और संस्कृति के विकास में नदियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नदियों से जुड़ा समाज अब नदियों को जोड़ने में लगा हुआ है। कल-कारखानों का कचड़ा, मनमाना और अंधाधुंध जल दोहन, छोटी नदियों को मारकर नाले में बदलना आदि-आदि ऐसे कारण हैं जिनसे नदियां बीमार हो रही हैं और मर रही हैं। मानवीय लालच
डूब क्षेत्र में प्लॉटिंग कर माफ़िया ने किए अरबों के वारे-न्यारे
Posted on 24 May, 2013 09:53 AM यमुना के डूब क्षेत्र में दिल्ली से लेकर आगरा तक 5,000 एकड़ ज़मीन का अवैध सौदा किया जा चुका है और इनमें से अधिकतर पर बस्ती बस चुकी है। मौजूदा दर के हिसाब से इन जमीनों से भूमाफिया सिर्फ यमुना के डूब क्षेत्र से अब तक 13,000 करोड़ रुपये के वारे-न्यारे कर चुके हैं। दिल्ली के जैतपुर एक्सटेंशन, जैतपुर, मीठापुर, मोलड़बंद, हरीनगर, लखपत कॉलोनी, बटला हाउस और सोनिया विहार के साथ लगती कॉलोनियों में तो प्लॉट के
यमुना डूब की जमीन पर प्लाटिंग
किसी पेड़ पर हमला होते देखेंगे तो कर सकेंगे कॉल
Posted on 24 May, 2013 09:44 AM पेड़ काटे जाने की शिकायतें दर्ज कराने के लिए लोगों को अब इधर-उधर नहीं भटकना होगा। दिल्ली सरकार ने इसका तोड़ निकाल लिया है। सरकार एक अलग से अब कॉल सेंटर बनाने जा रही है जहां 24 घंटे शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी।

मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने मंगलवार को राजधानी में अगले पौधरोपण अभियान की तैयारियों की समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी।
पेड़ों को बचाने के लिए कोर्ट भी कई निर्देश जारी कर चुका है
किनारे की मैल से परेशान ना हों
Posted on 20 May, 2013 01:03 PM विनोबा कहते हैं कि पानी तो निकलता है, बहता है समुद्र में मिलने क
Anupam Mishra
जल संकट ने आंखों में उतारा पानी
Posted on 19 May, 2013 03:47 PM यों भारत में इतनी बारिश होती है कि अगर उसका कारगर ढंग से रखरखाव किया जाए तो पानी के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ेगा। लेकिन कुप्रबंधन, उदासीन नौकरशाही और जनप्रतिनिधियों में इच्छाशक्ति की कमी ने पूरे देश में जल संकट पैदा कर दिया है। पेयजल का व्यवसायीकरण होने से भी स्थिति विषम बनी हुई है। पानी की कहानी बयान कर रहे हैं प्रसून लतांत।

पानी के लिए सामने खड़ी समस्याओं के लिए हम और हमारी सरकारें भी पूरी तरह जिम्मेवार हैं। हमने अपने पूर्वजों के अनुभव और उनके तौर-तरीकों को पिछड़ा बता कर बड़े-छोटे बांध और तटबंध बनाने के नाम पर नदियों के प्रवाह से खिलवाड़ किया और उसमें कारखाने का रासायनिक डाल कर उसे प्रदूषित किया। बाकि बचे झील-तालाबों और कुओं में मिट्टी डाल उस पर दुकानें बना लीं। इन सब कारणों से अब धरती के ऊपरी सतह पर उपलब्ध पानी के ज्यादातर स्रोत सूख रहे हैं। देश की ज्यादातर नदियां सूख रही हैं। इसके कारण खेतों की सिंचाई नहीं हो पा रही है। पीने के पानी की किल्लत देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बढ़ रही है। पानी के बढ़ते संकट के कारण सभी के आंखों में पानी उतरने लगा है। पानी का सवाल अकेली दिल्ली या देश के किसी एक राज्य और उसकी राजधानी और उनके जिलों भर का मामला नहीं है, यह देश दुनिया में व्याप गया है। नमक से कहीं ज्यादा जरूरी इस प्राकृतिक साधन पर खतरे मंडरा रहे हैं। इस साधन को सहेजने, संवारने और बरतने वाले आम आदमी का हक इस पर से टूटता जा रहा है और इसे हड़पने वाली कंपनियां दिनोंदिन मालामाल होती जा रही हैं और ऐसे में केवल सरकार है, जिससे उम्मीद की जाती है तो वह भी इसका कारगर हल खोजने के बदले कहीं तमाशबीन तो कहीं शोषकों के खेल में भागीदार बन कर लोगों के संकट को बढ़ा रही है। इन सभी कारणों से आम आदमी का भरोसा टूटा है और उनके आंदोलन शुरू हो गए हैं। इसी के साथ पानी से जुड़े सभी पुराने सरोकार और इस पर आधारित संस्कृति का ताना-बाना भी छिन्न-भिन्न हो गया है, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी और कभी होगी तो उसमें काफी समय लग जाएगा।
तपती गर्मी में गहराई पानी की किल्लत
Posted on 19 May, 2013 03:24 PM दिल्ली जल बोर्ड के लिए हर घर को पानी मुहैया कराना चुनौती
समझें प्रकृति के ताप करें बेहतर कर्म
Posted on 19 May, 2013 03:16 PM विचार करने की बात है कि जब अपने प्रकृति को ही नहीं समझ पाते हैं
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