दिल्ली

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दिल्ली में 201 प्राकृतिक नाले बने सीवर
Posted on 08 Sep, 2014 12:23 PM आईआईटी प्रोफेसर की अगुवाई में विशेषज्ञों ने की जांच, 38 साल में ये सभी नाले गंदगी और कूड़े से पटे
यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नालों के स्वरूप में होगा बदलाव

लबालब पानी वाले देश में विचार का सूखा
Posted on 08 Sep, 2014 11:55 AM
. गर्मी की तीव्रता से मनुष्यों और जानवरों का जीना मुहाल हो गया है। कुएं, तालाब और नदियों के जल स्तर में कमी आ रही है। ये संकट मनुष्य ने खुद पैदा किए हैं। बदल चुकी जीवन शैली की वजह से कृत्रिम तौर पर संकट पैदा हुआ है। दिल्ली में कभी 350 से ज्यादा तालाब हुआ करते थे लेकिन आज शायद तीन भी मुश्किल से मिलेंगे।

सच तो यह है कि यह संकट मौसम चक्र में आ रहे बदलावों के नतीजे हैं। गर्मी का मौसम चार महीने का होता था अब आठ महीने या नौ महीने गर्मी पड़ने लगी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ये बदलाव कृत्रिम तौर पर पैदा किए गए संकटों से हुए हैं। अन्यथा मौसम चक्र से चीजें चलती रहती तो संभव है कि कभी कोई बड़ा संकट नहीं पैदा होता।
जब वर्षा शुरू होती है
Posted on 07 Sep, 2014 01:03 PM कबूतर उड़ना बंद कर देते हैं
गली कुछ दूर तक भागती हुई जाती है
और फिर लौट आती है

मवेशी भूल जाते हैं चरने की दिशा
और सिर्फ रक्षा करते हैं उस धीमी गुनगुनाहट की
जो पत्तियों से गिरती है
सिप् सिप् सिप् सिप्. . .

जब वर्षा शुरू होती है
एक बहुत पुरानी-सी खनिज गंध
सार्वजनिक भवनों से निकलती है
और सारे शहर में छा जाती है
जल से ही बचेगी जमीन
Posted on 07 Sep, 2014 12:30 PM जल नहीं होगा तो कल नहीं होगा। यह स्लोगन संकेत देता है कि कृषि को बचाने के लिए भी जल को बचाना होगा। बरसात के जल का उपयोग खेती में किस तरह किया जा सकता है और मृदा को कैसे बचाया जा सकता है, अलनीनो जैसे संकटों से बचने के लिए भी यह जरूरी है। इन मुद्दों पर प्रकाश डाल रही है दिलीप कुमार यादव की रिपोर्ट।

.भूमि एवं जल प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गई दो अनमोल संपदा हैं, जिनका कृषि हेतु उपयोग मनुष्य प्राचीन काल से करता आया है। परंतु, वर्तमान में इनका उपयोग इतनी लापरवाही से हो रहा है कि इनका संतुलन बिगड़ गया है तथा भविष्य में इनके संरक्षण के बिना मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। मानसून की बेरुखी ने ऐसी संभावनाओं की प्रासंगिकता को और बढ़ाया है।

असल में हमारे देश की आर्थिक उन्नति में कृषि का बहुमूल्य योगदान है।

देश में लगभग 70 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है। उत्तराखंड में तो लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है तथा लगभग 90 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है।
क्यों मचा सूखे का कोहराम
Posted on 07 Sep, 2014 12:03 PM मौसम की बेरुखी पर कोहराम मचा है। इसके बाद भी पंजाब, हरियाणा जैसे कई राज्यों में बासमती धान की अधिकांश रोपाई हो चुकी है। इन हालात में किसान किस तरह की फसलों को लगाएं ताकि उन्हें कम लागत में भरण-पोषण के लायक पैसा मिल जाए। इस मसले पर प्रकाश डालती विशेषज्ञों से वार्ता पर आधारित दिलीप कुमार यादव की रिपोर्ट।
भूमिगत जल में रेडॉन का जहर
Posted on 07 Sep, 2014 10:20 AM भारत के बेंगलुरु, मध्य प्रदेश के किओलारी नैनपुर, पंजाब के भटिंडा एवं गुरदासपुर, उत्तराखंड का गढ़वाल, हिमाचल प्रदेश एवं दून घाटी के भूमिगत जल में रेडॉन-222 के मिलने की वैज्ञानिक पुष्टि हुई है।

बेंगलुरु शहर के भूमिगत जल में रेडॉन की मात्रा सहनशीलता की सीमा 11.83बीक्यू/लीटर से ऊपर है। कहीं-कहीं यह सौ गुना अधिक है। यहां पर रेडॉन की औसत मात्रा 55.96 बीक्यू/लीटर से 1189.30 बीक्यू/लीटर तक पाई गई है।

बेंगलुरु शहर में भूमिगत जल की तुलना में सतही जल में कम रेडॉन पाए गए क्योंकि वायुमंडल के संपर्क में रहने के कारण यह गैस जल से वायुमंडल में आसानी से घुल जाती है।
दीनदयाल उपाध्याय जन्मतिथि बनेगी, जल संरक्षण योजना शुभारंभ तिथि
Posted on 07 Sep, 2014 09:33 AM प्रति व्यक्ति उपलब्धता में कमी के मूल कारणों में बढ़ती आबादी, बढता
Deendayal upadhyay
क्लीन इंडिया मिशन को पूरा करना आसान नहीं
Posted on 06 Sep, 2014 03:00 PM स्वतंत्र भारत में जन्मे भारत के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के दिन लालकिले की प्राचीर से दिए वक्तव्य में बहुत ही मूलभूत बातें उठाई हैं। भारतीय इतिहास में वे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने स्वच्छता जैसे जमीनी मुद्दे को इतनी गंभीरता से उठाया। नरेंद्र मोदी ने लक्ष्य रखा है कि भारत को 2019 तक पूर्ण रूप से स्वच्छ और साफ बनाना है। यही राष्ट्
दिल्ली में यमुना के सबसे कम हिस्से पर सबसे ज्यादा गंदगी
Posted on 06 Sep, 2014 12:35 PM दिल्ली में प्रदूषित यमुनाआंकड़ों की मानें तो यमुना मैली करने में दिल्ली का सबसे बड़ा हाथ है। यह तब है जब दिल्ली में यमुना की कुल लंबाई का सबसे कम हिस्सा है, लेकिन
हिमालयी क्षेत्र में वृक्षारोपण पर एक हजार करोड़ खर्च
Posted on 06 Sep, 2014 11:51 AM हिमालय में वनीकरणसरकार ने हिमालयी क्षेत्र के दस राज्यों में पारिस्थितिकी संतुलन के लिए राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम के तहत पांच लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि का वनीकरण किया है,
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