Posted on 17 Dec, 2015 08:56 AM जलवायु परिवर्तन से मंडरा रहे खतरों को कम करने के लिये फ्रांस की राजधानी पेरिस में इकट्ठा हुए दुनिया के सभी 196 देश दो हफ्ते तक चली मैराथन बैठकों के बाद आखिरकार एक कानूनी बाध्यकारी सहमति पर पहुँच ही गए। ये पहली बार है, जब जलवायु परिवर्तन पर समझौते में कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर सभी देशों में सहमति बनी है। ‘पेरिस समझौते’ नाम के 31 पन्नों वाले अंतिम मस
Posted on 15 Dec, 2015 10:18 AM भारत सरकार के वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो द्वारा रमन त्यागी को स्वयं सेवक नियुक्त किया गया है। इसके लिये वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो द्वारा पत्र व आईडी कार्ड जारी किया गया है।
Posted on 14 Dec, 2015 10:44 AM वैमनस्य ने भेस बदल लिया है। घृणा ने अपना वाहन बदला है। ये सब भी ‘स्मार्ट’ बनते जा रहे हैं। नई संचारक्रांति घृणा के तीर बड़ी तेजी से फेंकती है। प्रकाश की गति से अंधेरा फैलाते हैं हमारे नए स्मार्ट फोन।
Posted on 12 Dec, 2015 03:29 PMतिथि : 13 दिसम्बर, 2015 दिन : रविवार स्थान: केदारनाथ साहनी सभागार, डा. एस पी मुखर्जी सिविक सेंटर, मिंटो रोड (नजदीक ज़ाकिर हुसैन कॉलेज), दिल्ली
जलवायु परिवर्तन रोकने की मौजूदा वैश्विक जद्दोजहद के बीच यह जान लेना निस्सन्देह, अच्छा ही होगा कि पर्यावरण को लेकर कुरान का मज़हबी फरमान क्या हैं? कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कुलपति डॉ. मुहम्मद असलम खान परवेज ने कहा कि मज़हब का नाजायज इस्तेमाल, समाज में मज़हब के बारे में ग़लतफहमी का एक प्रमुख स्रोत बन गया है। वक्त की माँग है कि दुनिया के लोग अपने आचरण में सुधार करें और प्रकृति के नियमों का पालन करें। हम सभी अपने-अपने मज़हब की तालीम को भले ही पूरी तरह न मानते हों, किन्तु हम सभी किसी-न-किसी मजहब का होने का दावा तो करते ही हैं। अतः मज़हबी होने के नाते भी हम सभी को ज़रूर याद कर लेना चाहिए कि दुनिया का कोई मज़हब ऐसा नहीं, जो कुदरत के खिलाफ जाने का फरमान जारी करता हो अथवा इजाज़त देता हो।
असहिष्णुता, अनैतिकता, हिंसा, भ्रष्टाचार और प्रदूषण काफी हद तक कुदरत व कुदरत की नियामतों के खिलाफ उठ रहे कदम हैं। इस बारे में इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान की शिक्षा क्या है, जानने का एक खास मौका है चौथी कुरान कांफ्रेस।
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बढ़ते भ्रष्टाचार, घटते सदाचार, बढ़ती गैर कुदरती सोच और जीवनशैली की रफ्तार और इसके खतरे की चिन्ता आज सभी को है, हिन्दू को भी मुसलमां को भी। सभी जानते हैं कि कुदरत का कहर मजहबी भेदभाव से दूर है।