वाहनों में तकनीकी सुधार अनिवार्य करने, कार लोन और नए पंजीकरण रोकने के अलावा पुराने वाहनों की बाई बैक सेवा अनिवार्य कर प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकती है। वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिये दायर की गई एम.सी. मेहता की जनहित याचिका पर 1992 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक सेवानिवृत्त जज की अगुवाई में तीन सदस्य समिति का गठन किया गया था इस समिति में अध्ययन कर वायु प्रदूषण कम करने के लिये कई सिफ़ारिशें की थीं।
नई दिल्ली, 11 दिसम्बर। वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता एम.सी. मेहता का मानना है कि केवल दिल्ली के वाहनों की संख्या को नियंत्रित कर नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के वाहनों के लिये समेकित योजना बनाकर काम करने से वायु प्रदूषण पर लगाम लगेगी। इसके लिये दूसरी राज्य सरकारों को भी आगे आना होगा। उनका मानना है कि वाहनों में तकनीकी सुधार अनिवार्य करने, कार लोन और नए पंजीकरण रोकने के अलावा पुराने वाहनों की बाई बैक सेवा अनिवार्य कर प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकती है।वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिये दायर की गई एम.सी. मेहता की जनहित याचिका पर 1992 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक सेवानिवृत्त जज की अगुवाई में तीन सदस्य समिति का गठन किया गया था इस समिति में अध्ययन कर वायु प्रदूषण कम करने के लिये कई सिफ़ारिशें की थीं। उसी के मद्देनज़र 1995 में पहली बार दिल्ली सहित देश के चार महानगरों में शीशा रहित पेट्रोल की आपूर्ति शुरू हुई। यह भी तय किया गया कि व्यावसायिक वाहन प्राकृतिक गैस से चलेंगे। 1998 तक चली लड़ाई के बाद दिल्ली की करीब 12 हज़ार बसों और साठ हजार से अधिक ऑटो को पेट्रोल से सीएनजी में बदला गया। इससे दिल्ली दुनिया का पहला ऐसा शहर बन गया जहाँ सभी सार्वजनिक वाहन सीएनजी से चलते हैं। वाहनों में प्रदूषण उत्सर्जन के यूरो दो मानक लागू किये गए। 15 साल पुराने वाहनों को हटाने का प्रावधान हुआ।
इसके अलावा ताजमहल को वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचाने के लिये दायर मेहता की याचिका (1984) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में मथुरा रिफ़ाइनरी सहित तमाम औद्योगिक इकाइयों को कोयले की बजाय सीएनजी से चलाने का आदेश दिया था। इसके बाद दिल्ली की इकाइयाँ भी नरेला, बवाना, जहाँगीरपुरी सहित तमाम दूसरे इलाकों में स्थानान्तरित गई। मेहता को यह सफलता औद्योगिक घरानों की लॉबी, ट्रांसपोर्टर लॉबी और केन्द्र व राज्य सरकारों से लड़ने के बाद मिली थी उनके इन प्रयासों से दिल्ली की हवा काफी हद तक साफ हुई।
मेहता बताते हैं कि ठीक आज की तरह ही उस समय भी विरोध किया गया था। कहा जाता था कि सीएनजी से वाहनों में आग लग जाती है। तरह-तरह की दिक्कतें गिनाई जा रही थीं। वे कहते हैं कि तब उन मुश्किलों के बारे में सोचते तो आज दिल्ली जीने लायक न रहती। आखिर लोगों की सेहत जीवन से जुड़ा मसला है, उसे गम्भीरता से कैसे नहीं लिया जाय? इनका कहना है कि दिल्ली सरकार की पहल का स्वागत किया जाना चाहिए ऐसे प्रयोग क्यूबा, चिली, और अर्जेंटीना जैसे देशों में सफलतापूर्वक चल रहे हैं। लंदन में भी कोर एरिया में व्यस्तम घंटों में जाना महंगा कर दिया गया है। इसी तरह सिंगापुर में गाड़ी वही खरीद सकता है जिसके पास पार्किंग की सुविधा है। कार का लाइसेंस कार से भी महंगा पड़ता है। मेहता ने कहा कि दिल्ली में भी कारों की ख़रीद पर रोक लगनी होगी। इसे एनसीआर में करना होगा दिल्ली में बाहरी गाड़ियों के प्रवेश को पूरी तरह रोकना होगा। क्योंकि प्रदूषित हवा की वजह से नोएडा, गाज़ियाबाद और गुड़गाँव की भी हालत खराब है। उन्होंने कहा कि इसमें केन्द्र सरकार को भी सहयोग करना चाहिए। उत्तर प्रदेश और हरियाणा को सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था दुरुस्त कर प्रदूषण रोकने पर सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ जो कारें बना रहे हैं वह यूरोप जैसे आधुनिक देशों में निर्यात हो रही हैं। वहाँ प्रदूषण उत्सर्जन कम करने के लिये यूरो छह मानक अमल में है। यानी जब हम उनके लिये इस मानक की गाड़ियाँ बना रहे हैं तो अपने देश के लिये इस मानक की गाड़ी बनाना अनिवार्य क्यों नहीं कर सकते? उन्होंने कहा कि दिल्ली में नए पंजीकरण रोकने और कार लोन की सुविधा खत्म करने जैसे कदम उठाने होंगे। पुराने वाहनों की भीड़ कम करने के लिये उन्हें चरणबद्ध तरीके से हटाने और वाहन कम्पनियों को अपनी पुरानी गाड़ियाँ लोगों से वापस खरीदने का प्रावधान अनिवार्य करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इन कदमों के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था दुरुस्त करने और सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग बढ़ाने के लिये उसके इंसेंटिव व निजी वाहनों के प्रयोग पर डिसेंटिव लगाने से भी मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में करीब 12 लाख लोग साइकिल से चलते हैं। लेकिन उनके लिये साइकिल लेन नहीं है। हालांकि मास्टर प्लान में इसका प्रावधान है, पर ज़मीन पर दिखता नहीं है। उन्होंने कहा कि जापान और चीन जैसे देशों में अलग साइकिल लेन है। वहाँ साइकिलिंग को बढ़ावा दिया जाता है। इसी तरह लंदन और सिंगापुर की तर्ज पर एकीकृत टिकटिंग की सुविधा होनी चाहिए जिससे लोग बस, मेट्रो और फीडर सेवाओं का लाभ आसानी से उठा सकें। इसके अलावा सोलर कारों, बैटरी कारों जैसे विकल्पों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदूषण से लड़ाई बड़ी है। लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति से सब सम्भव है।
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