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तापी की बाढ़: (2006)
Posted on 29 Dec, 2015 03:01 PM
कभी-कभी जाते थे जिसे मिलने,
वही तापी आ गई सबके घर रहने।
बनी चण्डिका, जल की ले चाबुक।
देखते ही झील बन गया सारा शहर,
प्रलय सा मच गया बाढ़ का कहर।
मानो सूरत ने ले ली हो जल समाधि,
कहीं घर पूरे डूबे, कहीं छत आधी।
गली, घर, दफ्तर, हो या हो पाठशाला,
अस्पताल, दुकान का हो पहला माला,
सारी जमीन पानी में थी गर्क,
मिट गया ऊँच-नीच का फर्क।
जल के बारे में यह भी जानिए
Posted on 29 Dec, 2015 02:25 PM
1. भारत में लगभग 1.19 मीटर (1190 मिमी.) औसत वार्षिक वर्षा होती है, जो परिणाम के हिसाब से पर्याप्त है परन्तु वर्ष आगमन के समय व स्थान में अनिश्चितता व अस्थिरता होने के कारण देश के विभिन्न भागों में सूखे व बाढ़ की स्थिति बनी रहती है।
2. भारत में जल प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 से लागू किया गया।
3. ओजोन परत को पर्यावरण छतरी के नाम से जाना जाता है।
सूखा : राहत नहीं दूरगामी स्‍थायी योजना की जरूरत
Posted on 29 Dec, 2015 09:43 AM हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्वराज अभियान की एक जनहित याचिका पर 11
खुले में शौच यानी बीमारियों को निमंत्रण
Posted on 29 Dec, 2015 09:35 AM भारत की आधी से अधिक आबादी खुले में शौच जाने को मजबूर है। इसके परिणामस्वरूप अनेक बीमारियां जिनमें उल्टी-दस्त प्रमुख हैं, बड़े पैमाने पर फैलती हैं, जिनकी परिणति कई बार मृत्यु पर ही होती है। सरकारी योजनाओं में शौचालय निर्माण की बात तो जोर-शोर से की जाती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर हमारे सामने रख रही है। दुनिया में सर्वाधिक लोग दूषित जल से होने वाली बीमारियों से पीड़ित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़े बताते हैं कि दुनिया में प्रतिवर्ष करीब 6 करोड़ लोग डायरिया से पीड़ित होते हैं, जिनमें से 40 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। डायरिया और मौत की वजह प्रदूषित जल और गंदगी ही है। अनुमान है कि विकासशील देशों में होने वाली 80 प्रतिशत बीमारियां और एक तिहाई मौतों के लिए प्रदूषित जल का सेवन ही जिम्मेदार है। प्रत्येक व्यक्ति के रचनात्मक कार्यों में लगने वाले समय का लगभग दसवां हिस्सा जलजनित रोगों की भेंट चढ़ जाता है। यही वजह है कि विकासशील देशों में इन बीमारियों के नियंत्रण और अपनी रचनात्मक शक्ति को बरकरार रखने के लिए साफ-सफाई, स्वास्थ्य और पीने के साफ पानी की आपूर्ति पर ध्यान देना आवश्यक हो गया है। निश्चित तौर पर साफ पानी लोगों के स्वास्थ्य और रचनात्मकता को बढ़ावा देगा। कहा भी गया है कि सुरक्षित पेयजल की सुनिश्चितता जल जनित रोगों के नियंत्रण और रोकथाम की कुंजी है।
open defecation
जलवायु परिवर्तन से फल एवं अनाज हो रहे हैं बेस्वाद
Posted on 29 Dec, 2015 09:19 AM जबसे रासायनिक खाद और विदेशी बीज आने लगे तब से पैदावार भले बढ़ा हो
जलविज्ञान : प्रश्नोत्तरी (Hydrology: Quiz)
Posted on 28 Dec, 2015 03:45 PM


1. हाइड्रोलाॅजी किसका विज्ञान है (Hydrology is the science of what?)
(क) हवा तथा मृदा का
(ख) सड़क एवं नगरों का
(ग) जल का
(घ) वायुमण्डल का

2. ग्रीन हाउस प्रभाव, वायुमण्डल में किस गैस के बढ़ जाने के कारण होता है? (Which gas increases, the greenhouse effect in the atmosphere?)
(क) नाइट्रोजन
(ख) आॅक्सीजन
(ग) हाइड्रोजन

रेन वाटर हार्वेस्टिंग | Rainwater Harvesting in Hindi
रेन वाटर हार्वेस्टिंग क्या है और इसके लाभ? जानिए इस उपयोगी तकनीक के महत्व को | Get information about rainwater harvesting in hindi. Posted on 28 Dec, 2015 01:01 PM

रेन वाटर हार्वेस्टिंग
पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता से मानव शरीर पर कुप्रभाव
Posted on 28 Dec, 2015 12:34 PM फ्लोरोसिस आधुनिक भारतीय समाज (खासकर ग्रामीण समाज) का वह अभिशाप है जो सुरसा की तरह मुॅंह फैलाए जा रही है और हजारों लोग प्रतिवर्ष इसकी चपेट में आकर वैसा ही महसूस कर रहे हैं जैसा कोई अजगर की गिरफ़्त में आकर महसूस करता है।

फ्लोरोसिस मनुष्य को तब होता है जब वह मानक सीमा से अधिक घुलनशील फ्लोराइड-युक्त पेयजल को लगातार पीने के लिये व्यवहार में लाता रहता है।

भारत में फ्लोरोसिस सर्वप्रथम सन् 1930 के आस-पास दक्षिण भारत के राज्य आन्ध्र प्रदेश में देखा गया था। लेकिन आज भारत के विभिन्न राज्यों में यह बिमारी अपने पाँव पसार चुकी है और दिन-प्रतिदिन इसका स्वरूप विकराल ही होता चला जा रहा है।
सैलाब का सबक
Posted on 27 Dec, 2015 09:54 AM
चेन्नई में जन्मे, पले-बढ़े और जीवन के आखिरी पड़ाव पर खड़े लोगों के लिये भी इस बार की बारिश और बाढ़ विस्मयकारी थी। एक दिन में इतनी बारिश तो पिछले सौ साल में भी नहीं हुई थी। ऐसे में बाढ़ की विभीषिका से चेन्नई को तो दो- चार होना ही था। चिन्ता की बात ये है कि साल 2015 में जिस अल नीनो प्रभाव को वैज्ञानिक इस भारी बरसात का कारण मान रहे हैं, उसके खतरे अभी भी खत्म नहीं हुये हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि
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