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पेयजल में नाइट्रेट का कहर भी घातक
Posted on 20 Jun, 2016 05:01 PM
प्रत्येक जीव की सभी शारीरिक क्रियाएँ जलाधारित होने के कारण जल को जीवन की संज्ञा दी गई है। जल के दोनों रूप हैं, यथा-रोगकारक और रोगशामक। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिवेदन के अनुसार शरीर के अनेक रोग जल की गुणवत्ता में कमी के कारण होते हैं, तो आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कई रोगों का शामक भी जल ही होता है। अतः जल की गुणवत्ता का हमारे स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध है।

जल की गुणवत्ता निर्धारण में इसके भौतिक रासायनिक एवं जैविक गुणों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वस्तुतः जल में कोई स्वाद एवं गंध नहीं होती है। परन्तु स्थान एवं भूमि के अनुसार उसमें जो खनिज लवण एवं क्षार आदि मिल जाते हैं, वे ही जल का स्वाद उत्पन्न करते हैं। इसी प्रकार जल में गंध भी कुछ वनस्पतियों तथा अन्य पदार्थों के जलस्रोतों में मिल जाने के कारण ही होती है।
भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन स्वाहा
Posted on 19 Jun, 2016 03:42 PM

विश्व व्यापार संगठन ने भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन में स्थानीयता को महत्त्व को ‘गैर-क

नई फसल बीमा नीति की वास्तविकता
Posted on 19 Jun, 2016 03:19 PM

प्रधानमंत्री ने नई फसल बीमा नीति की धूमधाम से शुरुआत की है। इसमें कान को सीधे नहीं हाथ घुमाकर पकड़ा गया है। पैसा निजी जेब से जाए या सरकारी खजाने से अंततः सार्वजनिक धन मुनाफाखोर बीमा कम्पनियों के झोले में ही जाएगा।

आज का जलवायु संकट मनुष्य द्वारा प्रकृति से छेड़छाड का परिणाम है। वैश्विक तापमान वृद्धि औद्योगिक सभ्यता की देन है। इसी के कारण किसानों को सूखा, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं हर साल झेलनी पड़ रही हैं। अनियमित वर्षा व पर्यावरण असंतुलन के कारण देश के अनेक हिस्सों में कृषि और किसानों को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसके लिये किसी भी स्थिति में किसान जिम्मेदार नहीं है। आज पूरा किसान समुदाय मृत्युशय्या पर पड़ा है। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी है कि, प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को नुकसान की भरपाई दे और उसके लिये एक स्थायी व्यवस्था की स्थापना करे। लेकिन सरकार अपने दायित्व का निर्वाह नहीं करना चाहती। गौरतलब है किसानों को दी जानेवाली सब्सिडी का लाभ किसानों को नहीं बल्कि कम्पनियों को ही मिलता है।
गन्दे पानी के इस्तेमाल से जा रही नवजात शिशुओं की जान
Posted on 19 Jun, 2016 12:37 PM
कई विकासशील देशों ने स्वच्छता और साफ सफाई को लेकर जागरुकता अ
भोग संस्कृति के विकास से संकट में है धरती
Posted on 19 Jun, 2016 12:19 PM


भारतीय ज्ञापनीठ की पहचान प्राय ‘स्तरीय कथा साहित्य प्रकाशित करने वाली संस्था के तौर पर होती है, लेकिन हाल ही में उन्होंने प्रकृति पर मँडरा रहे अस्तित्व के संकट की ओर आम लोगों का ध्यान आकृष्ट करवाने के उद्देश्य से ‘ज्ञान गरिमा’ पुस्तकमाला के अन्तर्गत पर्यावरण से जुड़े कुछ आलेखों का संकलन प्रकाशित किया है।

सूखे ने किया पलायन को मजबूर
Posted on 18 Jun, 2016 04:30 PM


महर्षि बाल्मीकि रचित रामायण में एक वाक्य है -
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी !!

सूखे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी-योगेंद्र
Posted on 18 Jun, 2016 03:57 PM
स्वराज अभियान के मुखिया और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा है कि सूखे को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है।
सूखे की मार से पसरता पलायन
Posted on 17 Jun, 2016 04:46 PM
तपती दोपहरी में सराय काले खाँ बस अड्डा, बुन्देलखण्ड से आने वाले किसानों के लिये नया आशियाना बना हुआ है। यहाँ कई परिवार एक साथ काम की तलाश में बुन्देलखण्ड के गाँव-देहात से आ बसे हैं। बुन्देलखण्ड में सूखे के चलते लाखों की संख्या में किसान लगातार पलायन कर रहे हैं और काम के जुगाड़ में फिलहाल सराय काले खाँ के फ्लाईओवर के नीचे ही ये परिवार दिन गुजार रहे हैं। यहीं चूल्हे पर खाना बनता है और यहीं अंगो
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त
Posted on 16 Jun, 2016 03:44 PM
पृथ्वी पर पाई जाने वाली प्लेटें दुर्बलतामण्डल पर अस्थिर रूप स
गंगा को बचाने की चुनौती
Posted on 14 Jun, 2016 03:45 PM

गंगा दशहरा, 14 जून 2016 पर विशेष



आज गंगा दशहरा है। पौराणिक मान्यता है कि राजा भगीरथ वर्षों की तपस्या के उपरान्त ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा को पृथ्वी पर लाने में सफल हुए। स्कन्द पुराण व वाल्मीकि रामायण में गंगा अवतरण का विशद व्याख्यान है। शास्त्र, पुराण और उपनिषद भी गंगा की महत्ता और महिमा का बखान करते हैं। गंगा भारतीय संस्कृति की प्रतीक है। हजारों साल की आस्था और विश्वास की पूँजी है। उसका पानी अमृत व मोक्षदायिनी है। गंगा का महत्त्व जितना धार्मिक व सांस्कृतिक है उतना ही आर्थिक भी।

गंगा तट के आसपास देश की 43 फीसद आबादी का निवास है। प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से उनकी जीविका गंगा पर ही निर्भर है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश की लगभग 66 फीसद आबादी का मुख्य व्यवसाय कृषि है और सिंचाई की निर्भरता गंगा पर है।
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