दिल्ली

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साध्य, साधन और साधना
Posted on 06 Jan, 2017 03:12 PM
अगर साध्य ऊँचा हो और उसके पीछे साधना हो, तो सब साधन जुट सकते हैं
Anupam mishra
मौलिक कर्तव्य हो स्वच्छता
Posted on 06 Jan, 2017 11:52 AM
स्वच्छ और स्वस्थ भारत के बिना श्रेष्ठ भारत की संकल्पना अधूरी है। गंदगी एवं बीमारी श्रेष्ठ भारत के रास्ते में बाधा हैं। भारत आज सभ्यता एवं संस्कृति के एक आधारभूत पैमाने स्वच्छता के मामले में विश्व में निचले पायदान पर खड़ा है। यह सही बात है कि विशाल जनसंख्या, अनियंत्रित शहरीकरण, बाजार का विस्तार, उपभोक्तावादी प्रवृत्ति ने स्वच्छता को गम्भीर चुनौती दी है, लेकिन प्रश्न यह है कि इन चुनौतियों का स
Sanitation
अनुपम मिश्र - आँखों में पानी के हिमायती
Posted on 05 Jan, 2017 04:18 PM
प्रख्यात गाँधीवादी अनुपम मिश्र सच्चे अर्थों में अनुपम थे। वह पानी मिट्टी पर शोध के अलावा चिपको आन्दोलन में भी सक्रिय रहे वे कर्म और वाणी के अद्वैत योद्धा थे। बड़ी-से-बड़ी सच्चाई को भयरहित, स्वार्थरहित, दोषरहित और पक्षपातरहित बोल देने के लिये प्रतिबद्ध थे। अनुपम मिश्र गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान के ट्रस्टी और राष्ट्रीय गाँधी स्मारक निधि के उपाध्यक्ष रहे।

वह ऐसे पहले भारतीय थे, जिन्होंने पर्यावरण पर ठीक तब से काम और चिन्तन शुरू कर दिया था जबकि देश में पर्यावरण का कोई भी सरकारी विभाग तक नहीं था। उन्होंने हमेशा ही परम्परागत जलस्रोतों के संरक्षण, प्रबन्धन तथा वितरण के सन्दर्भ में अपनी आवाज बुलन्द की। अनुपम मिश्र की पहल पर ही गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान में पर्यावरण अध्ययन कक्ष की स्थापना हुई थी जहाँ से ‘हमारा पर्यावरण’ और ‘देश का पर्यावरण’ जैसी महत्त्वपूर्ण पुस्तक आई।
अनुपम मिश्र
नए थाने खोलने से अपराध नहीं रुकते : अनुपम मिश्र
Posted on 05 Jan, 2017 03:25 PM


अनुपम मिश्र से योगिता शुक्ला की बातचीत

योगिता शुक्ला : आपकी दोनों पुस्तकों का विषय मूलतः जल प्रबंध पर आधारित है। एक ही विषय पर दो पुस्तकें लिखने में दुहराव तो रहता ही है, तो क्या इन दोनों पुस्तकों को एक दूसरे के पूरक या विस्तार की तरह देखना चाहिए या फिर दो भिन्न किताबों की तरह।

अनुपम मिश्र : दोनों का विषय एक है इसमें कोई शक नहीं। अगर हम पीछे लौट कर याद करें तो सबसे पहले हमने पानी के काम को समझना राजस्थान से शुरू किया। इस काम की गहराई बहुत थी और हम उसके लायक नहीं थे। बहुत तैयारी करनी पड़ी इसको समझने में।

Anupam Mishra
नमामि गंगे कार्यक्रम में भी पीपीपी मॉडल को उपलब्धि मानता है मंत्रालय
Posted on 05 Jan, 2017 12:16 PM
मंत्रालय ने गंगा अधिनियम का मसौदा तैयार करने के लिये एक समिति
Namami Gange
स्पर्श के लायक भी नहीं रहा यमुना का पानी
Posted on 03 Jan, 2017 10:35 AM
वर्तमान स्थितियों में प्रदूषण सम्बन्धी तमाम रिपोर्टों के बाव
Yamuna
सादगी और सुरुचि के अनुपम
Posted on 02 Jan, 2017 04:59 PM
गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान परिसर की इस पुरानी इमारत का नाम पर्यावरण कक्ष है। पूछकर मालूम हुआ। कहीं लिखा हुआ था नहीं। बस मान लेना था कि यही पर्यावरण कक्ष है। इसमें अन्दर घुसते ही अखबारों से काटी ढेर सारी तस्वीरें दीवारों पर चिपकी हैं। दाईं तरफ एक छोटे कमरे में लकड़ी की मेज और कुर्सी पर दरमियानी कद का एक व्यक्ति कागज पर लिखे को पढ़ने और बीच-बीच में कलम से निशान लगाने, लिखने में लीन है।

इस तल्लीनता ने ऐसा वातावरण रच दिया था कि अन्दर आने के लिये पूछने में हिचक हो रही थी। दरवाजा खुला था, इसलिये खटखटाने का संयोग भी नहीं बन रहा था। कुछ क्षण में ही उस व्यक्ति को शायद आहट हुई। नजर ऊपर उठी। ‘आइए’ कहने पर नीरवता थोड़ी भंग हुई।
अनुपम मिश्र
एक दिन में नहीं बसा था सेवाग्राम
Posted on 02 Jan, 2017 12:51 PM
“आखिरकार मैं सेगाँव आ गया हूँ। प्यारेलाल मेरे साथ हैं। मुझे उनकी जरूरत थी। बा को भी आना था लेकिन उसकी तबीयत खराब थी। लगभग पूरा रास्ता मैंने पैदल पार किया। रात बहुत सुहावनी थी।”- उस सुहावनी रात से पहले और उसके बाद की कहानी: गाँधी की कहानी!
अपनी खूँटी पर टिका, एक सुनने वाला पत्रकार
Posted on 01 Jan, 2017 04:37 PM

(अनुपम मिश्र (1948 - 19 दिसम्बर 2016) लेखक, सम्पादक, छायाकार। महाराष्ट्र के वर्धा में सरल

एक किलो बोया, काटा पाँच सौ किलो
Posted on 01 Jan, 2017 12:32 PM
नवम्बर के अन्तिम सप्ताह में रस्सी और बाँस की किमचि से नापकर ए
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