राजकुमार कुम्भज

राजकुमार कुम्भज
अपने देश में भी केपटाउन सम्भव है
Posted on 17 Mar, 2018 05:37 PM

जलसंकट को लेकर दुनिया भर की हालत चिन्ताजनक है। दक्षिण अफ्रीका में एक लम्बे समय से बारिश नहीं हो रही है। इस

भूख और खाद्यान्न के बीच का संकट
Posted on 26 Aug, 2017 10:45 AM

देश का अन्नदाता अपना खून पसीना बहाते हुए अन्न पैदा करता है। लेकिन उसे न तो बाजार कीमत ही मिल पाती है और न उचित भंडारण की सुविधा। देश में भरपूर अनाज पैदा होने के बावजूद सुरक्षित रख-रखाव के अभाव में वह सड़ जाता है और गरीब जनता भूख से तड़पकर मर जाती है। दूसरी ओर भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में खाद्यान्न खराब होने की मात्रा भी रिकॉर्ड-स्तर पर निरंतर बढ़ रही है। विडबंना है कि आज भी क
अनुपम मिश्र - आँखों में पानी के हिमायती
Posted on 05 Jan, 2017 04:18 PM

प्रख्यात गाँधीवादी अनुपम मिश्र सच्चे अर्थों में अनुपम थे। वह पानी मिट्टी पर शोध के अलावा चिपको आन्दोलन में भी सक्रिय रहे वे कर्म और वाणी के अद्वैत योद्धा थे। बड़ी-से-बड़ी सच्चाई को भयरहित, स्वार्थरहित, दोषरहित और पक्षपातरहित बोल देने के लिये प्रतिबद्ध थे। अनुपम मिश्र गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान के ट्रस्टी और राष्ट्रीय गाँधी स्मारक निधि के उपाध्यक्ष रहे।

वह ऐसे पहले भारतीय थे, जिन्होंने पर्यावरण पर ठीक तब से काम और चिन्तन शुरू कर दिया था जबकि देश में पर्यावरण का कोई भी सरकारी विभाग तक नहीं था। उन्होंने हमेशा ही परम्परागत जलस्रोतों के संरक्षण, प्रबन्धन तथा वितरण के सन्दर्भ में अपनी आवाज बुलन्द की। अनुपम मिश्र की पहल पर ही गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान में पर्यावरण अध्ययन कक्ष की स्थापना हुई थी जहाँ से ‘हमारा पर्यावरण’ और ‘देश का पर्यावरण’ जैसी महत्त्वपूर्ण पुस्तक आई।
अनुपम मिश्र
पर्यावरण सुधार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता
Posted on 12 Nov, 2015 11:44 AM
जलवायु परिवर्तन के संकट को देखते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ को भरोसा दिलाया है कि वह वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 33 से 35 फीसदी तक कटौती करेगा। इसके अलावा अपनी अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता में 40 फीसदी तक का इज़ाफा करेगा।

ग़ौरतलब है इसी वर्ष 30 नवम्बर से 11 दिसम्बर तक पेरिस में होने वाले विश्व जलवायु सम्मेलन के पूर्व दुनिया के सभी देशों को कार्बन उत्सर्जन में कमी के अपने-अपने लक्ष्य प्रस्तुत करने हैं। भारत का मौजूदा लक्ष्य सन् 2020 तक 20 से 25 फीसदी कमी का था जो सन् 2010 तक 12 फीसदी पाया जा चुका है।

पेरिस के विश्व जलवायु सम्मेलन में विश्व पर्यावरण सन्धि सम्पन्न हो जाने की प्रबल सम्भावना है। भारत पहले से ही कहता रहा है कार्बन उत्सर्जन की अधिक मात्रा के चलते विकसित देशों की ज़िम्मेदारी ज्यादा है।
जहरीले होते खाद्य उत्पाद
Posted on 30 Oct, 2015 10:01 AM

सामान्य खाद्य पदार्थों के मामले में तो यह स्पष्ट हो ही गया था कि इनमें घातक कीटनाशकों की

मनरेगा से नाराज क्यों है सरकार
Posted on 28 Oct, 2014 10:25 AM
केंद्र की नई सरकार को मनरेगा, फूटी आंख नहीं सुहा रही है। उद्योग और
Manrega
पोषण पर भी पड़ता है, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
Posted on 03 Nov, 2018 04:12 PM

कुपोषण से जूझते दक्षिण-एशिया के देशों के लिये हावर्ड विश्वविद्यालय की हाल की रिपोर्ट खासी चिन्ता बढ़ाने वाली है

ग्लोबल वार्मिंग
बढ़ती आबादी के बढ़ते दबाव
Posted on 28 Sep, 2018 01:42 PM
पृथ्वी पर बढ़ती जनसंख्या का भार (फोटो साभार - हॉलीडेसैंडोबसर्वेंसेस)कहा जाता है कि धरती की भी धारण करने की अपनी सीमा होती है। इस सीमा को पार करने के नतीजे जल, जंगल और जमीन की बौखलाहट के रूप में हम भुगत रहे हैं। हमारी लगातार बढ़ती आबादी साथ उसकी जरूरतों की आपूर्ति के लिये प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ र
पृथ्वी पर बढ़ती जनसंख्या का भार
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