कनकमल गाँधी

कनकमल गाँधी
एक दिन में नहीं बसा था सेवाग्राम
Posted on 02 Jan, 2017 12:51 PM

“आखिरकार मैं सेगाँव आ गया हूँ। प्यारेलाल मेरे साथ हैं। मुझे उनकी जरूरत थी। बा को भी आना था लेकिन उसकी तबीयत खराब थी। लगभग पूरा रास्ता मैंने पैदल पार किया। रात बहुत सुहावनी थी।”- उस सुहावनी रात से पहले और उसके बाद की कहानी: गाँधी की कहानी!
×