देहरादून जिला

Term Path Alias

/regions/dehradun-district

पेयजल की कमी और स्वच्छता बने चुनावी मुद्दे
Posted on 04 Nov, 2018 12:09 PM त्रिवेंद्र सिंह रावत (फोटो साभार - वनइण्डिया)यह जगजाहिर है कि गाँव की अपेक्षा शहर गन्दगी से पटे रहते हैं जबकि स्वच्छता एवं कूड़े के निस्तारण के लिये सरकारी बजट की व्यवस्था होती है। इसके अलावा शहरों में पेयजल की समस्या भी बनी रहती है। अहम यह है कि प्रदेश में हो रहे नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों के चुनाव के
त्रिवेंद्र सिंह रावत
जल के आगमन से खुले आजीविका के द्वार
Posted on 04 Nov, 2018 12:00 PM

राज्य बनने के कुछ समय बाद विश्व बैंक के सहयोग से उत्तराखण्ड के आठ जिलों में ‘जलागम परियोजना’ की शुरुआत की गई थी। वर्तमान में इस योजना का दूसरा चरण आरम्भ हो चुका है। अक्टूबर माह के आरम्भ में विश्व बैंक की एक टीम देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार में इस योजना की समीक्षा के लिये आई थी। वहाँ के बाशिन्दों ने टीम के लोगों का जोरदार स्वागत किया।

पेयजल योजना
पानी के सौदागर हो रहे नदियों के मालिक
Posted on 03 Nov, 2018 04:41 PM

गंगा, यमुना और उन जैसी अनेक नदियों के भजन गाने वाले मैदानी इलाकों के समाज को आमतौर पर पहाड़ों और वहाँ से निकलने

लखवाड़ बाँध
देवभूमि का पर्यावरण संकट में
Posted on 01 Nov, 2018 11:40 AM


पर्यावरण के साथ न्याय कौन करेगा? सरकार या अदालत? ये सवाल लोकतांत्रिक व्यवस्था के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं क्योंकि हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश राज्य और केन्द्र सरकार के कामकाज पर कड़ी टिप्पणी सरीखे हैं।

ऑलवेदर रोड
नदियों के मालिक बनते पानी के सौदागर
Posted on 29 Oct, 2018 12:23 PM
उत्तराखण्ड की नदियों पर तो निवेशकों की नजर है, लेकिन किसानों को पानी मुहैया कराने और उनकी आजीविका तथा उत्पादों की बिक्री में मदद के लिये कोई निवेशक सामने नहीं आता।
बाँध
सन्तुलित आहार की पहाड़ी परम्परा
Posted on 20 Oct, 2018 01:09 PM

शरद ऋतु का आगमन हो चुका है और आहिस्ता-आहिस्ता हम शीत की ओर बढ़ रहे हैं। यह ऐसा मौसम है, जब हमारी पाचन क्षम

Barahnaja
पितरों की याद में पेड़
Posted on 09 Oct, 2018 05:17 PM

सनातन धर्म की परम्परा के मुताबिक साल में एक बार पितृपक्ष आता है। मान्यता है कि पूर्वज भौतिक तौर पर हमारे बी

जंगल
गंगा का 51 फीसदी क्षेत्र जलीय जीव प्रजनन लायक नहीं
Posted on 18 Sep, 2018 06:08 PM देहरादून। गंगा की सेहत की एक और भयावह तस्वीर सामने आई है। राष्ट्रीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से किये गए हालिया शोध में सामने आया है कि गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा में इस कदर प्रदूषण हो गया है कि इसका 51 फीसदी क्षेत्र जलीय जीवजन्तुओं के लिये प्रजनन के लायक ही नहीं है। इस समय केवल 49 फीसद क्षेत्र में जलीय जीवजन्तु ब्रीडिंग कर सकते हैं।
ऋषिकेश में गंगा नदी में गिरता नाला
×