गंगा नदी का 2018 में साफ होना मुश्किल

प्रदूषित गंगा
प्रदूषित गंगा

देहरादूनः नमामि गंगे योजना को लेकर केन्द्र सरकार की डेडलाइन पेयजल के अफसरों के लिये बड़ी मुसीबत बन गई है। पहले 31 मार्च और अब 31 दिसम्बर तक सभी काम पूरा किये जाने को लेकर केन्द्र ने दबाव बढ़ा दिया है। इस दबाव ने अफसरों के पसीने छुड़ा दिये हैं।

नमामि गंगे योजना में पहले करीब साढ़े तीन साल तक कोई काम नहीं हुआ। योजनाओं को मंजूरी देने से लेकर काम किस तरीके से किया जाना है। इस पर ही गतिरोध बना रहा। हर दूसरे महीने केन्द्र की नीति नमामि गंगे के कार्यों पर बदलती रही। पहले नमामि गंगे में सीवरेज नेटवर्क के लिये सीवर लाइनों को बजट देने से इनकार किया गया। तय हुआ कि सिर्फ एसटीपी और नालों की टेपिंग को ही बजट दिया जाएगा।

इसके बाद एक साल तक कार्यदायी संस्था को लेकर काम रुका रहा। केन्द्र अपनी केन्द्रीय एजेन्सी वेबकोश से काम कराने पर अड़ा रहा। जबकि राज्य का तर्क था कि राज्य की कार्यदायी संस्था ही काम करे। इसके बाद बजट के भुगतान की व्यवस्था ही तय नहीं हो पाई।

ये तमाम मसले हल होते-होते तीन साल से ज्यादा का समय निकल चुका है। योजना की स्थिति ये है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब मौके पर काम शुरू हुए हैं।

ऐसे में ये तमाम काम कैसे महज छह महीने में पूरे होंगे। इसको लेकर अफसर भी परेशान हैं। जबकि कई प्रोजेक्ट तो ऐसे हैं, जिनका ठेकेदारों के साथ हुए करार में लक्ष्य ही सितम्बर 2019 तक का है।

ये काम पूरे होने कठिन

नमामि गंगे के तहत ऋषिकेश एसटीपी, जगजीतपुर 68 एमएलडी, सराय एसटीपी का दिसम्बर 2018 तो क्या मार्च 2019 तक भी पूरा होना मुश्किल नजर आ रहा है। जल निगम प्रबन्धन ने इन कार्यों को लेकर दबाव बढ़ा दिया है, बावजूद इसके कम्पनियों ने हाथ खड़े कर दिये हैं।

“नमामि गंगे के कार्यों पर तेजी के साथ काम कराया जा रहा है। योजनाओं के चयन, टेंडर प्रक्रिया को पूरा करने के बाद अब पूरा फोकस निर्माण तय समय के भीतर कराने पर है। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि काम तय समय के भीतर पूरे कर लिये जाएँ” -प्रकाश पन्त, पेयजल मंत्री

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