छत्तीसगढ़

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छत्तीसगढ़ की कुछ और नदियाँ
Posted on 06 Feb, 2010 08:41 AM मध्यप्रदेश का अमरकंटक किसी समय दक्षिण कोसल में शामिल था। अमरकंटक पर्वत से भारत की सबसे सुन्दर और कुँवारी नदी नर्मदा का उद्गम हुआ है। यह नदी अमरकंटक से एक पतली सी धारा के रूप में प्रवाहित हुई है। इस नदी की दूध धारा और कपिल धारा मिलकर इसे एक तीर्थ का रूप देती हैं। नर्मदा नदी अपने वक्ष-स्थल में सफेद संगमरमर संजोये हुए हैं। जो इसे अनुपम सौन्दर्य प्रदान करने के साथ-साथ अनेक कलाकार मूर्तिकारों के जीवन-य
शिवनाथ
Posted on 06 Feb, 2010 08:25 AM इस तरह से बस्तर क्षेत्र की नदियाँ भी छत्तीसगढ़ की सभ्यता एवं संस्कृति के विकास में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं। छत्तीसगढ़ की शिवनाथ नदी का भी अपना एक अलग महत्वपूर्ण इतिहास है। छत्तीसगढ़ की यह एक ऐसी नदी है, जिसका जल कभी सूखता नहीं और इसे सदानीरा कहा जाता है। यह शिवनाथ नदी दक्षिणी छत्तीसगढ़ के पूरे जल का संग्रहण कर उत्तर को सौंप देती है। शिवनाथ नदी, महानदी की एक पूरक नदी है। शिवनाथ नदी का उद्गम न
इन्द्रावती नदी
Posted on 06 Feb, 2010 07:46 AM
छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र भी छोटी-बड़ी अनेक नदियों का गुम्फन है। इन्द्रावती नदी यहाँ की प्रमुख नदी है और इसे बस्तर की जीवन-रेखा माना जाता है। बस्तर की इन्द्रावती नदी कोसल के दक्षिण पूर्वांचल में उत्कल प्रदेश के कालाहांडी मंडल के धुआसल रामपुर पर्वत से निकलती है। पुराणों में तीन मन्दाकिनी का उल्लेख मिलता है। पहली स्वर्ग की गंगा, दूसरी चित्रकूट की मन्दाकिनी और तीसरी इन्द्रावती नदी के रूप में।
खारून नदी
Posted on 05 Feb, 2010 04:28 PM

महानदी की संस्कृति
Posted on 05 Feb, 2010 03:29 PM इस तरह से महानदी एक ओर देव संस्कृति को तो दूसरी ओर कृषि-संस्कृति को भी विकसित करने में सहायक है। जल ही जीवन का पर्याय है और महानदी में जल नहीं, बल्कि लोगों की जीवन धारा प्रवाहित हो रही है और सलिला के रूप में बिना किसी भेदभाव के एक माँ की तरह समस्त जीवधारियों को अपना तरल ममत्व लुटा रही है।
संवाददाताओं की आवश्यकता
Posted on 11 Dec, 2009 10:15 AM
इंडिया सीएसआर डाट इन www.indiacsr.in हिंदी भाषा में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व और स्थायी विकास विषय पर अभिकेंद्रित सर्वप्रथम सबसे बड़ी वेबसाइट है। इस वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य सरकार एवं कारपोरेट जगत द
जल संरक्षण के तरीके सीखे
Posted on 16 Nov, 2009 01:16 PM

रायसेन। कन्या महाविद्यालय में आयोजित एक सेमिनार में कॉलेज की छात्राओं ने जल संरक्षण करने के तरीके सीखे। कार्यक्रम में आए विशेषज्ञों ने छात्राओं और उपस्थित जन समूह को जल संरक्षण के साथ इसके महत्व को विस्तार से बताया। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी संचार परिषद नई दिल्ली तथा मेगपास्ट के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया गया था।

पुरस्कार वितरण
भारत के कुछ राज्यों के भूजल में उच्च आर्सेनिक की मौजूदगी
Posted on 21 Oct, 2009 08:53 AM

असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में आर्सेनिक प्रदूषण काफी बड़े स्तर तक प्रभावित कर रहा है।
अटैचमेंट में देखें कि किस राज्य के किस ब्लॉक में यह प्रदूषण कहां तक फैला है।
उत्तर प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ राज्यों के मामले में आर्सेनिकप्रदूषण की पहचान केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड और राज्य भूमि जल विभागों के निष्कर्ष के आधार पर की गई है ।

Arsenic
हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AM

गंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।

तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।


गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।

अरपा और केलो नदी को बचाने के लिए हुए एकजुट लोग
Posted on 27 Sep, 2009 08:44 AM
बिलासपुर, रायगढ़ (छत्तीसगढ़)। लोग अब नदी के महत्व को समझने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में दो शहरों बिलासपुर और रायगढ़ में नदी को बचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं। रायगढ़ में केलो नदी शहर के मध्य से बहती है तथा बिलासपुर में अरपानदी शहर के मध्य बहती है। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और जनसंख्या बढ़ोत्तरी से नदी का जल स्तर बेहद कम हो गया है। बिलासपुर शहर के बीचो-बीच बहने वाली जीवनदायिनी अरपा नदी को सुरक्षित करने, उसमें
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