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चेन्नई जिला
मैं अड्यार बोल रही हूँ
Posted on 11 Dec, 2015 04:43 PM मैं अड्यार नदी हूँ, दक्षिण के महानगर चेन्नई की जीवनरेखा भी कहते हैं मुझे। मैं भी जीवनरेखा ही बनी रहना चाहती हूँ लेकिन लोग हैं कि अपने जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिये मेरी रेखा को ही छोटा करते रहे हैं।
कभी भी नहीं चाहा था मैंने कि हवाई जहाज और ट्रेनें नावों की तरह मुझ पर बहती नजर आये। वे तो आसमान में और मुझ पर बनाए गए पुलों के ऊपर से गुजरती ही ठीक लगतीं हैं। मैनें कभी नहीं चाहा था कि यह महानगर टापू में तब्दील हो जाये और समुद्र का आर्थिक दोहन करते–करते सागर का ही एक हिस्सा नजर आने लगे।
आज हर शख्स मुझे देख कर डर रहा है, अपनी माँ को देखकर डर रहा है? मेरे इन बच्चों को मुझ पर तब दया नहीं आई जब मेरे पाट पर ही पूरा हवाई अड्डा तैयार किया जा रहा था। क्या स्मार्ट सिटी के रास्ते पर तेजी से दौड़ते इस शहर को नहीं पता कि पूरा महानगर ही नमभूमि और कच्छभूमि पर बसा है?
चेन्नई आपदा प्रकृति का प्रतिशोध या नसीहत
Posted on 09 Dec, 2015 09:26 AMपहले मुंबई, फिर उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और अब तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में जिस तरह प्रकृति के आगे समूचा तंत्र बेबस नजर आया, उसने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की हमारी तैयारियों पर सवाल खड़ा कर दिया है। साथ ही प्रकृति से छेड़छाड़ कर अंधाधुंध शहरीकरण की सरकारों की विकास नीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। भारी बारिश की चेतावनी और तबाही की आशंका पहले ही जता देन
क्या है चेन्नई की बाढ़ की हकीक़त
Posted on 05 Dec, 2015 11:07 AMदेश का चौथा सबसे बड़ा महानगर चेन्नई जो कभी केरल का प्रवेश द्वार तक कहा जाता था और समूची दुनिया में पर्यटन की दृष्टि से आकर्षक शहरों की सूची में 52 जगहों में एक था, आज अप्रत्याशित कहें या अभूतपूर्व बारिश के कारण पानी-पानी हो गया है।जल निधियों में कूड़ा भरने से डूब गया चेन्नई
Posted on 28 Nov, 2015 03:45 PMनवम्बर-2015 में जब दीपावली सिर पर थी और पूरे देश से मानसून विदा हो चुका था, भारत के दक्षिणी राज्यों के कुछ हिस्सों में उत्तर-पश्चिमी मानसून ने तबाही मचा दी। आटोमोबाईल, इलेक्ट्रॉनिक्स व चमड़ा उद्योग के लिये दुनिया भर में नाम कमाने वाला चेन्नई शहर पन्द्रह दिनों तक गहरे पानी में डूबा रहा है।
तालाबों के सामुदायिक प्रबन्धन का पाठ पढ़ाते हैं ‘एरी’
Posted on 18 Apr, 2015 01:07 PMकम वर्षा वृष्टि वाले क्षेत्रों जैसे कर्नाटक, आन्ध्र और तमिलनाडु के कई हिस्सों में परम्परागत एरी ने सिंचाई और पारिस्थितिकी तन्त्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बल्कि आज भी सिंचाई की एक तिहाई जरूरत एरी से पूरी होती है। हालांकि दक्षिण भारत सिंचाई में एरी का महत्त्व को आमतौर पर सभी स्वीकार करते हैं, लेकिन कतिपय आधुनिकतावादी इसे ‘पिछड़ी’, ‘अपरिष्कृत’ और उन्नति से बहुत दूर की प्रणाली मानते रहे हैं।कहां सुधरी सफाईकर्मियों की हालत?
Posted on 03 Oct, 2014 09:57 AMचेन्नई में 24 मई 2003 और 17 अक्टूबर 2008 के बीच 17 सीवर कर्मचारियों की मौत, मैनहोलों या गटर की सफाई करते समय गंदी जहरीली गैस चढ़ने से हो गई। सफाई कर्मचारियों की ट्रेड यूनियनों का कहना है कि यह गिनती पिछले दो दशकों में 1,000 के नजदीक पहुंचती है।
मशहूर भारतीय फिल्मकार सत्यजित रे ने अपनी एक फिल्म अमेरिका में प्रदर्शित की तो पहले शो में ही बहुत से अमेरिकी फिल्म बीच में ही छोड़कर आ गए क्योंकि सत्यजीत रे ने फिल्म के एक सीन में भारतीय लोगों को हाथों से खाना खाते हुए दिखाया था जिसे देखकर उन्हें वितृष्णा होने लगी थी।
बूँद-बूँद से सागर - तमिलनाडु: एक मिसाल
Posted on 01 Feb, 2012 11:55 AMआई. आई. टी. में करीब 3000 छात्रों के लिए छात्रावास बनें हैं जिनके नाम भारत की प्रसिद्ध नदियों के ऊपर रखे गए हैं। पूरा कैम्पस करीब 650 एकड़ के विशाल हरे भरे प्रांगण में फैला हुआ है। उन्होंने आई. आई. टी की अपनी नियमित यात्रा के दौरान बड़ी विडंबनाओं को देखा, उनको पता चला कि हाल ही में हुई पानी की कमी के कारण संस्थान को दो महीनों के लिए बंद रखना पड़ा था। पर रामकृष्णन के द्वारा 'वर्षाजल संरक्षण' की तारीफ किये जाने के बाद छात्रावासों में धीरे-धीरे 'वर्षाजल संरक्षण संयंत्र' लगाया गया और इसका परिणाम है कि अब संस्थान को पहले की तरह पानी खरीदना नहीं पड़ता।
कहावत है बूँद-बूँद से सागर भरता है, यदि इस कहावत को अक्षरशः सत्य माना जाए तो छोटे-छोटे प्रयास एक दिन काफी बड़े समाधान में परिवर्तित हो सकते हैं। इसी तरह से पानी को बचाने के कुछ प्रयासों में एक उत्तम व नायाब तरीका है आकाश से बारिश के रूप में गिरे हुए पानी को बर्बाद होने से बचाना और उसका संरक्षण करना। शायद जमीनी नदियों को जोड़ने की अपेक्षा आकाश में बह रही गंगा को जोड़ना ज्यादा आसान है।दो मद्रासी बहनें
Posted on 23 Feb, 2011 04:57 PMइन दो बहनों के प्रति मेरी असीम सहानुभूति है। मद्रास शहर के जैसा इनका महत्त्व बढ़ाया है, वैसी ही इनकी उपेक्षा भी की है।निजी कंपनी भी हो सकती है सूचना-अधिकार के दायरे में, अगर
Posted on 19 Apr, 2010 07:17 AMएनटीएडीसीएल सूचना-अधिकार के दायरे में : मद्रास उच्च न्यायालय
हाल ही में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप परियोजना से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा न्यू तिरुपुर एरिया डिवेलपमट कार्पोरेशन लिमिटेड, (एनटीएडीसीएल) की याचिका खारिज कर दी गई है। कंपनी ने यह याचिका तमिलनाडु राज्य सूचना आयोग के उस आदेश के खिलाफ दायर की थी जिसमें आयोग ने कंपनी को मंथन अध्ययन केन्द्र द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था।
एक हजार करोड़ की लागत वाली एनटीएडीसीएल देश की पहली ऐसी जलप्रदाय परियोजना थी जिसे प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत मार्च 2004 में प्रारंभ किया गया था। परियोजना में काफी सारे सार्वजनिक संसाधन लगे हैं जिनमें 50 करोड़ अंशपूजी, 25 करोड़ कर्ज, 50 करोड़ कर्ज भुगतान की गारंटी, 71 करोड़ वाटर शार्टेज फंड शामिल है। परियोजना को वित्तीय दृष्टि से सक्षम बनाने के लिए तमिलनाडु सरकार ने ज्यादातर जोखिम जैसे नदी में पानी की कमी