अनुपम सक्सेना

अनुपम सक्सेना
बूँद-बूँद से सागर - तमिलनाडु: एक मिसाल
Posted on 01 Feb, 2012 11:55 AM

आई. आई. टी. में करीब 3000 छात्रों के लिए छात्रावास बनें हैं जिनके नाम भारत की प्रसिद्ध नदियों के ऊपर रखे गए हैं। पूरा कैम्पस करीब 650 एकड़ के विशाल हरे भरे प्रांगण में फैला हुआ है। उन्होंने आई. आई. टी की अपनी नियमित यात्रा के दौरान बड़ी विडंबनाओं को देखा, उनको पता चला कि हाल ही में हुई पानी की कमी के कारण संस्थान को दो महीनों के लिए बंद रखना पड़ा था। पर रामकृष्णन के द्वारा 'वर्षाजल संरक्षण' की तारीफ किये जाने के बाद छात्रावासों में धीरे-धीरे 'वर्षाजल संरक्षण संयंत्र' लगाया गया और इसका परिणाम है कि अब संस्थान को पहले की तरह पानी खरीदना नहीं पड़ता।

कहावत है बूँद-बूँद से सागर भरता है, यदि इस कहावत को अक्षरशः सत्य माना जाए तो छोटे-छोटे प्रयास एक दिन काफी बड़े समाधान में परिवर्तित हो सकते हैं। इसी तरह से पानी को बचाने के कुछ प्रयासों में एक उत्तम व नायाब तरीका है आकाश से बारिश के रूप में गिरे हुए पानी को बर्बाद होने से बचाना और उसका संरक्षण करना। शायद जमीनी नदियों को जोड़ने की अपेक्षा आकाश में बह रही गंगा को जोड़ना ज्यादा आसान है।
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