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माघ में बादर लाल घिरै
Posted on 19 Mar, 2010 09:25 AM
माघ में बादर लाल घिरै।
तब जान्यो साँचो पथरा परै।।


भावार्थ- यदि माघ के महिने में लाल रंग के बादल दिखाई पड़ें तो ओले अवश्य गिरेंगे। तात्पर्य यह है कि यदि माघ के महीने में आसमान लाल रंग का दिखाई दे तो ओले गिरने के लक्षण हैं।

मार्ग बदी आठें घन दरसै
Posted on 19 Mar, 2010 09:16 AM
मार्ग बदी आठें घन दरसै।
सो मग्घा भरि सावन बरसै।।


शब्दार्थ- मार्ग- मार्गशीर्ष, अगहन।

भावार्थ- अगहन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यदि आकाश में बादल हों तो सावन भर वर्षा अच्छी होगी।

बाउ चलेगी उत्तरा
Posted on 19 Mar, 2010 09:10 AM
बाउ चलेगी उत्तरा, माँड़ पियेंगे कुत्तरा।
वायु चलेगी पुरवा, पियो माँड़ का कुरवा।।


शब्दार्थ- कुरवा-घड़ा।
बोले मोर महातुरी
Posted on 19 Mar, 2010 08:57 AM
बोले मोर महातुरी, खाटी होय जु छाछ।
मेंह मही पर परन को, जानौ काछे काछ।।

शब्दार्थ- महातुरी-बहुत आतुर होकर (जल्दी-जल्दी)। खाटी-खट्टा। काछ-कछनी।

भावार्थ- यदि मोर जल्दी-जल्दी बोले और मट्ठा खट्टा हो जाये, तो समझो की बादल कछनी काछकर पृथ्वी पर आने के लिए लालायित हैं। अतः अनुमान लगा लेना चाहिए कि वर्षा जल्दी ही होने वाली है।

बादर ऊपर बादर धावै
Posted on 19 Mar, 2010 08:52 AM
बादर ऊपर बादर धावै,
कह भड्डर जल आतुर आवै।।


शब्दार्थ- आतुर-जल्दी।

भावार्थ- यदि बादल के ऊपर बादल दौड़ने लगें तो भड्डरी का मानना है कि वर्षा जल्द ही होगी।

बायू में जब वायु समाय
Posted on 19 Mar, 2010 08:45 AM
बायू में जब वायु समाय।
कहैं घाघ जल कहाँ समाय।।


भावार्थ- यदि एक ही साथ आमने-सामने की दो दिशाओं की हवा चले तो घाघ कहते है कि वर्षा इतनी अधिक होगी कि पृथ्वी पर जल-ही-जल दिखेगा।

फागुन बदी सुदूज दिन
Posted on 19 Mar, 2010 08:38 AM
फागुन बदी सुदूज दिन, बादर होय न बीज।
बरसै सावन भादवा, साधौ खेलो तीज।।


शब्दार्थ- साधौ-सुहागिन स्त्री। बीज-बिजली।

भावार्थ- फागुन कृष्ण पक्ष की द्वितीया को यदि आकाश में बादल और बिजली न हो तो समझो सावन और भादों दोनों ही महीने में वर्षा होगी। इसलिए हे सुहागिनों! उल्लास के साथ तीज का त्योहार मनाओ।

रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है”
Posted on 19 Mar, 2010 08:37 AM


विश्व जल दिवस के अवसर पर विशेष रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है” इंडिया वाटर पोर्टल प्रस्तुत कर रहा है। यह कार्यक्रम वन वर्ल्ड साउथ इंडिया के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है।

पूरब के घन पश्चिम चलै
Posted on 18 Mar, 2010 04:58 PM
पूरब के घन पश्चिम चलै। राँड़ बतकही हँसि हँसि करै।। ऊ बरसै ऊ करै भतार। भड्डर के मन यही विचार।।

भावार्थ- यदि पूर्व दिशा के बादल पश्चिम की ओर जा रहे हों और विधवा स्त्री पर-पुरुष से हँस-हँस कर बात कर रही हो तो भड्डरी का मानना है कि बादल बिना बरसे नहीं जायेगा औऱ विधवा स्त्री दूसरा पति कर लेगी।

पौष अँध्यारी तेरसै
Posted on 18 Mar, 2010 04:51 PM
पौष अँध्यारी तेरसै, चहुँदिसि बादर होय।
सावन पूनों मावसै, जलधर अतिहीं जोय।।


शब्दार्थ- मावसै – अमावस्या

भावार्थ- पौष कृष्ण पक्ष की तेरस को यदि आसमान में चारों तरफ बादल छाये हों तो सावन की पूर्णिमा और अमावस्या को वर्षा अधिक होगी।

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