Posted on 20 Mar, 2010 11:13 AM पाँच मंगरी फागुनी, पूस पाँच सनि होय। काल पड़े तब भड्डरी, बीज बोअइ मति कोय।।
भावार्थ- फागुन मास में पांच मंगलवार और पौष मास में यदि पाँच शनिवार पड़े तो भड्डरी के अनुसार निश्चय ही अकाल पड़ने वाला है और कोई बीज न बोये क्योंकि उससे कोई लाभ नहीं होगा।
Posted on 20 Mar, 2010 10:50 AM धुर अषाढ़ की अष्टमी, ससि निर्मल जो दीख। पीव जाइके मालवा, माँगत फिरिहैं भीख।।
भावार्थ- यदि आषाढ़ शुक्ल अष्टमी को आसमान में बादल न हों और चन्द्रमा स्वच्छ दीख रहा हो तो निश्चय ही अकाल पड़ेगा और हे प्रियतम! लोग मालवा जाकर भीख मांगेंगे।
Posted on 20 Mar, 2010 10:35 AM दिन को बादर रात को तारे। चलो कंत जहाँ जीवें बारे।।
शब्दार्थ- बारे-बच्चे।
भावार्थ- यदि दिन में बादल हों और रात में तारे तो समझ लेना चाहिए कि अकाल पड़ने वाला है। किसान कि पत्नी कहती है कि हे स्वामी! यहाँ से कहीं और चलो जहाँ बच्चे जी सकें।