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पहिला पानी भरिगा ताल
Posted on 20 Mar, 2010 11:19 AM
पहिला पानी भरिगा ताल,
घाघ कहै अब परिगा अकाल।


भावार्थ- वर्षा के पहले पानी से ही यदि ताल भर जायँ तो घाघ कहते हैं कि अकाल पड़ना तय है।

पाँच मंगरी फागुनी
Posted on 20 Mar, 2010 11:13 AM
पाँच मंगरी फागुनी, पूस पाँच सनि होय।
काल पड़े तब भड्डरी, बीज बोअइ मति कोय।।


भावार्थ- फागुन मास में पांच मंगलवार और पौष मास में यदि पाँच शनिवार पड़े तो भड्डरी के अनुसार निश्चय ही अकाल पड़ने वाला है और कोई बीज न बोये क्योंकि उससे कोई लाभ नहीं होगा।

पुष्य पुनर्बस भरे न ताल
Posted on 20 Mar, 2010 11:08 AM
पुष्य पुनर्बस भरे न ताल।
तो फिर भरिहैं अगली साल।।


भावार्थ- यदि पुष्य और पुनर्वसु नक्षत्रों की वर्षा से ताल-तलैया न भरें तो फिर अगले वर्ष ही भरेंगे अर्थात् सूखा पड़ने के आसार है।

पहिलै पानि नदी उफनायँ
Posted on 20 Mar, 2010 11:02 AM
पहिलै पानि नदी उफनायँ।
तो जानियौ कि बरखा नायँ।।


भावार्थ- यदि पहली वर्षा के पानी से नदियाँ उफना जायँ तो समझ लें कि अब आगे वर्षा होने की सम्भावना नहीं है।

नवैं असाढ़े बादले
Posted on 20 Mar, 2010 10:56 AM
नवैं असाढ़े बादले, जो गरजे घनघोर।
कहै भड्डरी जोतिसी, काल पड़े चहुँओर।।


भावार्थ- आषाढ़ कृष्ण पक्ष की नवमी को आकाश में घनघोर बादल गरजे तो ज्योतिषी भड्डरी कहते हैं कि चारों तरफ भीषण अकाल पड़ने वाला है।

धुर अषाढ़ की अष्टमी
Posted on 20 Mar, 2010 10:50 AM
धुर अषाढ़ की अष्टमी, ससि निर्मल जो दीख।
पीव जाइके मालवा, माँगत फिरिहैं भीख।।


भावार्थ- यदि आषाढ़ शुक्ल अष्टमी को आसमान में बादल न हों और चन्द्रमा स्वच्छ दीख रहा हो तो निश्चय ही अकाल पड़ेगा और हे प्रियतम! लोग मालवा जाकर भीख मांगेंगे।

दिन सात जो चले बाँड़ा
Posted on 20 Mar, 2010 10:43 AM
दिन सात जो चले बाँड़ा।
सुखे जल सातो खाँड़ा।


शब्दार्थ- बांड़ा – दक्षिण-पश्चिम हवा।

भावार्थ- यदि दक्षिणी पश्चिमी हवा निरन्तर सात दिनों तक चले तो पृथ्वी के सातों खंडों का पानी सूख जायेगा अर्थात् वर्षा नहीं होगी।

दिन को बादर रात को तारे
Posted on 20 Mar, 2010 10:35 AM
दिन को बादर रात को तारे।
चलो कंत जहाँ जीवें बारे।।


शब्दार्थ- बारे-बच्चे।

भावार्थ- यदि दिन में बादल हों और रात में तारे तो समझ लेना चाहिए कि अकाल पड़ने वाला है। किसान कि पत्नी कहती है कि हे स्वामी! यहाँ से कहीं और चलो जहाँ बच्चे जी सकें।

ढेकी बोले जाय अकास
Posted on 20 Mar, 2010 10:29 AM
ढेकी बोले जाय अकास।
अब नाहीं बरखा के आस।।


शब्दार्थ- ढेकी-वनमुर्गी।

भावार्थ- वनमुर्गी पक्षी यदि आकाश में (जमीन से थोड़ा ऊपर) उड़-उड़कर बोले तो वर्षा नहीं होगी अर्थात् सूखा पड़ने वाला है, वर्षा की कोई उम्मीद नहीं है।

जेठ उज्यारी तीज दिन
Posted on 20 Mar, 2010 10:20 AM
जेठ उज्यारी तीज दिन, आद्रा रिख बरसंत।
जोसी भाखै भड्डरी दुर्भिछ अवसि करंत।।


भावार्थ- यदि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष तीज के दिन आर्द्रा नक्षत्र बरस जाय तो भड्डरी ज्योतिषी कहते हैं कि अकाल अवश्य पड़ेगा।

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