मृगसिर वायु न बादला


मृगसिर वायु न बादला, रोहिनि तपै न जेठ।
अद्रा जो बरसै नहीं, कौन सहै अलसेठ।।


शब्दार्थ- अलसेठ-झंझट।

भावार्थ- यदि मृगशिरा नक्षत्र में हवा चले और न ही बादल हों, ज्येष्ठ में गर्मी न पड़े और नहीं आर्द्रा में वर्षा हो तो खेती के झंझट में न पड़ों क्योंकि मौसम ठीक नहीं हैं। अर्थात् सूखा पड़ने वाला है।

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Post By: tridmin
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