माघे नौमी निरमली, बादर रेख न जोय।
तौ सरवर भी सूखहीं, महि में जल नहिं होय।।
शब्दार्थ- निरमली-स्वच्छ। महि-धरती।
भावार्थ- यदि माघ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को आकाश बिल्कुल स्वच्छ हो और आकाश में बादल की एक रेख तक न हो तो सारे तालाब सूख जायेंगे, पूरी धरती पर कहीं भी पानी नहीं मिलेगा अर्थात् बिना पानी के पैदावार नहीं होगी।
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