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जोत न मानै अरसी चना
Posted on 22 Mar, 2010 03:38 PM br>जोत न मानै अरसी चना।
कहा न मानै हरामी जना।।


भावार्थ- अलसी और चना अधिक जुताई को अच्छा नहीं मानते, ठीक उसी प्रकार जैसे दुष्ट जन कथन या सीख को अच्छा नहीं मानते।

जेतना गहिरा जोतै खेत
Posted on 22 Mar, 2010 03:34 PM
जेतना गहिरा जोतै खेत।
बीज परे फल अच्छा देत।।


भावार्थ- खेत की जुताई जितनी गहरी होती है, बीज पड़ने पर वह उतना ही अच्छा फल देता हैं।

जोतै खेत घास न टूटै
Posted on 22 Mar, 2010 03:31 PM
जोतै खेत घास न टूटै।
तेकर भाग साँझ ही फूटै।।


शब्दार्थ- तेकर-उसका। भाग – भाग्य।

भावार्थ- खेत की जुताई के बाद भी यदि उस खेत की घास समाप्त न हुई तो समझो उस किसान का भाग्य ही फूट गया।

जो जौ चहै तो उत्तर गहै
Posted on 22 Mar, 2010 02:59 PM
जो जौ चहै तो उत्तर गहै।
काँच पकै के जोतत रहै।।


भावार्थ- यदि किसान को जौ की अच्छी पैदावार चाहिए तो उत्तरा नक्षत्र में कच्चे खेतों को जोतकर उसे पकाकर फिर ढेलों की रोरी एवं उसके बारीक कण बनाकर उसमें जौ बोयें तो फसल अच्छी होगी।

छोटी नसी धरती हँसी
Posted on 22 Mar, 2010 02:57 PM
छोटी नसी धरती हँसी।
हर लगा पताल, तो टूट गया काल।।


शब्दार्थ- नसी-हल का फाल (हल के नीचे लगा नुकीला लोहा)।

भावार्थ- हल के छोटे फाल को देखकर धरती हँसती है कि इसकी जुताई से कैसे पैदावार होगी? यदि हल के लम्बे फाल से गहरी जुताई होती है तो अकाल भी समाप्त हो जाता है अर्थात् अल्प वृष्टि की स्थिति में भी पैदावार हो जाती है।

चिरैया में चीर फार
Posted on 22 Mar, 2010 02:54 PM
चिरैया में चीर फार। असरेखा में टार-टार।।
मघा में काँदो सार।।


भावार्थ- पुष्य नक्षत्र में यदि खेत को थोड़ा भी गोड़कर धान लगा दे तो फसल अच्छी होती है। अश्लेषा में अच्छी जुताई के बाद धान लगाना चाहिए और यदि मघा नक्षत्र में धान लगाना है तो अच्छी जुताई के साथ खाद भी डालनी पड़ेगी तभी फसल अच्छी होगी।

गहिर न जोतै बोवै धान
Posted on 22 Mar, 2010 02:52 PM
गहिर न जोतै बोवै धान।
सो घर कोठिला भरै किसान।।


शब्दार्थ- गहिर-गहरा।

भावार्थ- धान के खेत को अधिक गहरा नहीं जोतना चाहिए। कम जोत कर धान लगाने पर पैदावार इतनी अधिक होगी कि उसके घर के कोठिले धान से भर जायेंगे।

गेहूँ भवा काहें
Posted on 22 Mar, 2010 02:50 PM
गेहूँ भवा काहें, आसाढ़ के दो बाहें।
गेहूँ भवा काहें, सोलह बाहें – नौ गाहें।।


भावार्थ- कवि प्रश्नों के माध्यम से कहता है- गेहूँ अच्छा क्यों हुआ क्योंकि आषाढ़ में उस खेत की दो बार जुताई हुई थी। गेहूँ की अच्छी पैदावार का दूसरा कारण है उस खेत की सोलह बार जुताई और नौ बार हेंगाई जिससे मिट्टी के कण छोटे-छोटे हो गये।

खेत बेपनिया जोतो तब
Posted on 22 Mar, 2010 02:49 PM
खेत बेपनिया जोतो तब।
ऊपर कुआँ खोदाओ जब।।


भावार्थ- किसान को चाहिए कि जिस खेत में पानी न पहुँचता हो उस खेत की जुताई तब तक न करावे जब तक उसमें कुआँ न खोदवा ले।

कच्चा खेत न जोतै कोई
Posted on 22 Mar, 2010 02:47 PM
कच्चा खेत न जोतै कोई।
नाहीं बीज न अँकुरै कोई।।


भावार्थ- खेत की जुताई से पहले यह देख लेना चाहिए कि खेते की मिट्टी पक गई है या नहीं, क्योंकि कच्ची मिट्टी में बीज अंकुरित नहीं होगा।

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