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बोबत बनै तो बोइयो
Posted on 23 Mar, 2010 12:20 PM
बोबत बनै तो बोइयो।
नहीं बरी बना कर खइयो।।


भावार्थ- उड़द को यदि बोते बने तभी बोना चाहिए अन्यथा बड़ी-बड़ा बना कर खा लेना चाहिए। व्यर्थ खेत में नहीं फेंकना चाहिए।

बुध वृहस्पति दो भलो
Posted on 23 Mar, 2010 12:19 PM
बुध वृहस्पति दो भलो, सुक्र न भले बखान।
रवि मंगल बौनी करै, द्वार न आवै धान।।


भावार्थ- बोवाई के लिए बुधवार और वृहस्पतिवार सबसे शुभ दिन होते हैं जबकि शुक्रवार अच्छा नहीं होता है और यदि किसान ने रविवार या मंगलवार को खेत की बोवाई की तो बीज भी लौट कर नहीं आता, ऐसा घाघ का मानना है।

बोओ गेहूँ काट कपास
Posted on 23 Mar, 2010 12:17 PM
बोओ गेहूँ काट कपास।
होवे न ढेला न होवे घास।।


भावार्थ- गेहूँ की बोवाई कपास को काटकर की जा सकती है किन्तु किसान को यह ध्यान रखना चाहिए की खेत में ढेले और घास न हों।

बुध बउनी
Posted on 23 Mar, 2010 12:16 PM
बुध बउनी।
सुक लउनी।।


भावार्थ- किसान को फसल की बोवाई बुध एवं कटाई शुक्र के दिन करनी चाहिए, ऐसा घाघ का मानना है।

बाड़ी में बाड़ी करै
Posted on 23 Mar, 2010 12:14 PM
बाड़ी में बाड़ी करै, करै ईख में ईख।
ये घर ओइसे जायँगे, सुनै पराई सीख।।


शब्दार्थ- बाड़ी-कपास। ओइसे-उसी प्रकार।

भावार्थ- जो कपास के खेत में पुनः कपास और ईख के खेत में दूसरे वर्ष भी ईख बोता है उसका घर वैसे ही नष्ट हो जाता है जैसे पराई सीख सुनने वाले का घर नष्ट हो जाता है।

बोवै बजरा आये पुक्ख
Posted on 23 Mar, 2010 12:13 PM
बोवै बजरा आये पुक्ख।
फिर मन कैसे पावै सुक्ख।।


शब्दार्थ- सुक्ख-सुख।

भावार्थ- यदि कोई कृषक पुष्य नक्षत्र लगने पर बाजरा बोता है तो उसकी पैदावार न के बराबर होगी और उसे सुख की प्राप्ति नहीं होगी।

पूस न बोये
Posted on 23 Mar, 2010 12:11 PM
पूस न बोये।
पीस खाये।।


भावार्थ- पूस में बोने से पीसकर खा लेना अच्छा है।

पुक्ख पुनर्वस बोवै धान
Posted on 23 Mar, 2010 12:09 PM
पुक्ख पुनर्वस बोवै धान।
असलेखा जोन्हरी परमान।।


भावार्थ- पुष्य एवं पुनर्वसु नक्षत्र में धान एवं अश्लेषा नक्षत्र में जोन्हरी (ज्वार) बोने से फसल अच्छी होती है।

पहिले काँकरि पीछे धान
Posted on 23 Mar, 2010 12:07 PM
पहिले काँकरि पीछे धान।
उसको कहिये पूर किसान।।


शब्दार्थ- काँकरि- ककड़ी।

भावार्थ- जो किसान पहले ककड़ी बोकर फिर धान बोता है उसे पू्र्ण किसान समझा जाता है क्योंकि जो चतुर किसान होता है वही ऐसा करता है।

पूरबा में जिन रोपो भइया
Posted on 23 Mar, 2010 12:06 PM
पूरबा में जिन रोपो भइया।
एक धान में सोरह पइया।।


भावार्थ- हे किसान भाई! पूर्वा नक्षत्र में धान की रोपाई कभी न करो क्योंकि एक धान में सोलह पइया (तत्त्वहीन बीज) होता है अर्थात् पूर्वा नक्षत्र में रोपने से फसल में दाना नहीं पड़ता है।

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