सन घना बन बेगरा


सन घना बन बेगरा, मेढक फन्दे ज्वार।
पैर पैर से बाजरा, करै दरिद्रै पार।।


शब्दार्थ- बन-कपास।

भावार्थ- सनई को घनी, कपास को बीड़र अर्थात् दूर-दूर, ज्वार को मेढक की कुदान के फासले पर और बाजरा एक-एक कदम की दूरी पर बोना चाहिए। अगर ऐसी बोवाई हुई तो वह दरिद्रता को दूर कर देती है।

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Post By: tridmin
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