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मूल गल्यो रोहिनि गली
Posted on 25 Mar, 2010 04:08 PM
मूल गल्यो रोहिनि गली, अद्रा बाजी बाय।
हाली बेंचो बरधिया, खेती लाभ नसाय।।


भावार्थ- यदि मूल और रोहिणी नक्षत्र में बादल छाये हों और आद्रा नक्षत्र में हवा चल रही हो तो किसान को चाहिए कि वह जल्दी से बैलों को बेच डालें क्योंकि खेती में लाभ की सम्भावना नहीं है।

मीन सनीचर कर्क गुरु
Posted on 25 Mar, 2010 04:06 PM
मीन सनीचर कर्क गुरु, जो तुल मंगल होय।
गोहूँ गोरस गोरड़ी, बिरला बिलसै कोय।।


भावार्थ- यदि मीन का शनिश्चर, कर्क का वृहस्पति और तुला का मंगल हो, तो गेहूँ, दूध और ईख की उपज कम होगी और शायद ही कोई इनका सेवन कर पाएगा।

माघ उजेरी अष्टमी
Posted on 25 Mar, 2010 04:04 PM
माघ उजेरी अष्टमी, वार होय जो चन्द।
तेल घीव को जानिये, महँगो होय दुचन्द।।


शब्दार्थ- दुचन्द-दुगना।

भावार्थ- यदि माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी को सोमवार हो तो तेल और घी का दाम दूना हो जायेगा।

माघ पांच जो हों रविवार
Posted on 25 Mar, 2010 04:02 PM
माघ पांच जो हों रविवार।
तो भी जोसी समय विचार।।


भावार्थ- यदि माघ मास में पाँच रविवार पड़ें तो समय अच्छा होगा, ऐसा भड्डरी ज्योतिषी का मानना है।

माघ छठी गरजै नहीं
Posted on 25 Mar, 2010 04:00 PM
माघ छठी गरजै नहीं, महँगो होय कपास।
सातें देखा निर्मली, तो नाहीं कछु आस।।


भावार्थ- यदि माघ शुक्ल पक्ष की छठ को आसमान में बादल न गरजें तो कपास महँगा होगा लेकिन यदि सप्तमी को आकाश बिल्कुल स्वच्छ रहा तो कुछ भी होने की आशा नहीं है।

माघ उँजेरी चौथ को
Posted on 25 Mar, 2010 03:57 PM
माघ उँजेरी चौथ को, मेह बादरो जान।
पान और नारेल ये, महँगो अवसि बखान।।


भावार्थ- यदि माघ शुक्ल चौथ को बादल हों और पानी बरसे तो पान और नारियल अवश्य महँगे होंगे।

माघ जु परिवा ऊजली
Posted on 25 Mar, 2010 03:54 PM
माघ जु परिवा ऊजली, बादर वायु जु होय।
तेल और सुरही सबै, दिन दिन महँगो होय।।


भावार्थ- भड्डरी का मानना है कि यदि माघ शुक्ल प्रतिपदा को बादल हों और हवा धीरे-धीरे चल रही हो तो तेल और घी दिन-प्रति-दिन महँगे होंगे।

माघ उज्यारी तीज को
Posted on 25 Mar, 2010 03:51 PM
माघ उज्यारी तीज को, बादर बिज्जु जु देख।
गेहूँ जौ संचय करौ, महँगो होसी पेख।।


भावार्थ- यदि माघ शुक्ल तृतीया को बादल और बिजली दिखाई पड़े तो अन्न महँगा होगा। इसलिए गेहूँ और जौ का संचय शुरू कर दो।

मार्ग महीना माहिं जो
Posted on 25 Mar, 2010 03:49 PM
मार्ग महीना माहिं जो, जेष्ठा तपै न मूर।
तो इमि बोलै भड्डरी, निपटै सातो तूर।।


भावार्थ- यदि अगहन मास में न ज्येष्ठा नक्षत्र तपे और नही मूल नक्षत्र, तो सातों प्रकार के अन्न पैदा होंगे, ऐसा भड्डरी का मानना है।

भादों की छठ चाँदनी
Posted on 25 Mar, 2010 03:46 PM
भादों की छठ चाँदनी, जो अनुराधा हो।
ऊबड़खाबड़ बोय दे, अन्न घनेरा होय।।


भावार्थ- यदि भाद्र शुक्ल छठ को अनुराधा नक्षत्र हो, तो खराब जमीन में भी बीज बोने पर पैदावार अच्छी होगी।

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