सावन बदी एकादसी, जितनी घड़ी क होय।
तितनो संवत नीपजै, चिंता करे न कोय।।
भावार्थ- सावन कृष्ण पक्ष एकादशी को जितनी घड़ी एकादशी रहेगी उतना ही संवत् उत्पादक होगा कोई चिंता न करे।
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