Posted on 30 Aug, 2010 08:02 PMजैव विविधता के संरक्षण का सवाल पृथ्वी के अस्तित्व से जुड़ा है। इसे ध्यान में रखते हुए 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है।
Posted on 28 Aug, 2010 07:44 AMप्रकृति हमें वह सबकुछ प्रदान करने में समर्थ है, जिसकी हमें सामान्य तौर पर आवश्यकता पड़ती है। अनादिकाल से प्रकृति पर विजय पा लेने की आकांक्षा आधुनिक विज्ञान युग में हमें फलीभूत होते दिखाई पडने लगी है। हमारे इस घमंड ने ही हमें विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि हम अपनी इस जिद को छोड़कर प्रकृति की छाया में मानवता को बचाना चाहते हैं या नहीं।स्तुशिल्पी प्रकृति से अत्यधिक प्रेरणा लेते हैं। उन्हें लम्बे पेडों से ऊँचे भवनों के बारे में सोचने में मदद मिली और उड़ने वाले चिडरा (डेगन लाय) से हेलिकॉप्टर बनाने की प्रेरणा मिली थी। हमारी अधिकांश उपलब्धियाँ प्रकृति से हैं परंतु हम यह समझ ही नहीं पाते। सक्रिय कार्यकर्ता, दार्शनिक और रचनाशील जेनी बेनीयस ने यह अपना मिशन ही बना लिया है कि बताया जाए कि हम प्रकृति से क्या-क्या लेते हैं। उन्होंने तथा अन्य वैज्ञानिकों ने अमेरिका के मोन्टाना में ‘बायो मिमिकरी इंस्टिट्यूट‘ (जैव नकल संस्थान) के माध्यम से प्रकृति के सिद्धान्त पर आधारित बनी वस्तुओं के बारे में पुनः सीखने का उपक्रम प्रारंभ भी कर दिया है। बेनीयस का विचार है कि प्रकृति के अवलोकन तथा उन्हें समझने और इन प्रक्रियाओं और डिजाइनों की नकल करने से मनुष्यों की
Posted on 23 Aug, 2010 03:29 PMभाभा एटमिक रिसर्च सेंटर परमाणु ऊर्जा विभाग का एकमात्र शोध और विकास संस्थान है। वह सुरक्षा मानकों का स्रोत है, स्वास्थ्य विभाग तथा रेडियोलाजिकल संरक्षण विभाग का प्रधान कार्यालय है और परमाणु ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का ‘पालना’ है। यहीं से निकलते हैं देश के भावी परमाणु-वैज्ञानिक। पर इस संस्थान में भी अत्यधिक मात्रा में विकिरण का फैलाव मौजूद है। कोई दस साल पहले की गई आखिरी गिनती में हर साल 4 ल
Posted on 23 Aug, 2010 03:03 PMइस प्रकार दूसरे चरण में परमाणु ऊर्जा आयोग की योजना प्राकृतिक यूरेनियम ईंधन वाले रिएक्टरों से निकलने वाले काम आ चुके ईंधन का पुनरुपचार करके, उससे प्राप्त प्लूटोनियम के ईंधन से चलने वाले फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों को स्थापित करने की है। दुनिया में कुछ ही देशों में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर हैं। कई विशेषज्ञों का मत है कि यह तरीका न तो सुरक्षित है, न आर्थिक दृष्टि से किफायती ही।
Posted on 19 Aug, 2010 08:21 AMएक और दो अगस्त को सूरज से उठकर सीधे अपनी तरफ बढ़े दो तूफानों का झटका धरती पिछले दो-तीन दिनों में झेल चुकी है। एक वैज्ञानिक के शब्दों में कहें तो इस वक्त भी यह उनके असर से झनझना रही है। सूरज की सतह पर होने वाले विस्फोटों से निकली सामग्री का सीधे धरती की तरफ आना एक विरल घटना है। लेकिन इस बार तो लगातार दो विस्फोटों से निकले आवेशित कण हजारों मील प्रति सेकंड की रफ्तार से इसी तरफ दौड़ पड़े थे। बताते हैं कि ऐसे एक भी विस्फोट से निकली ऊर्जा को अगर किसी तरह काबू में कर लिया जाए तो इससे धरती की सारी ऊर्जा जरूरतें दसियों लाख साल तक पूरी की जा सकती हैं। इतनी ज्यादा ऊर्जा अचानक अपने ग्रह की तरफ आ जाना कोई मामूली बात तो थी नहीं।
Posted on 19 Aug, 2010 08:09 AMग्लोबल वॉर्मिंग के बारे में आम लोगों का रवैया संशयवादी हो सकता है लेकिन साइंटिस्टों में इस समस्या को लेकर कोई दुविधा नहीं है। वे हमेशा मानते रहे हैं कि इंसान की पैदा की हुई यह समस्या वास्तविक है और अगर इसकी अनदेखी की गई तो इससे इंसान के वजूद को ही खतरा हो सकता है।
लेकिन, यदि इस समस्या से निपटना है तो जरूरी सवाल यह है कि हम इस बारे में करें तो क्या करें। इस बारे में सबसे आम सुझाव यह है कि दुनिया को हर दिन वातावरण में झोंकी जाने वाली ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में भारी-भरकम कटौती करनी चाहिए। कहा जा रहा है कि इस सदी के मध्य तक कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के ग्लोबल इमिशन में 50 फीसदी की कमी लानी चाहिए। लेकिन, इस मत के समर्थक भी मानते हैं कि यह टारगेट हासिल कर पाना आसान नहीं है, और इस मामले में वे सही हैं। बल्कि असल में वे
Posted on 18 Aug, 2010 08:48 AM महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) रोजगारपरक होने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और धरोहर सहेजने का प्रतीक भी बन सकती है। दुनिया की सबसे बड़ी सर्वसमावेशी विकास वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना को सहेजने और इसके विस्तार की जरूरत है, ताकि दूर-दराज के इलाकों का भी समग्र विकास किया जा सके। पर तसवीर तभी बदलेगी, जब केंद्र सरकार इसकी निगरानी के लिए मुकम्मल नीति बनाए। यह योजना ह
Posted on 09 Aug, 2010 01:45 PM नई दिल्ली, झांसी में कहीं कुल जनसंख्या के हिसाब से पानी कम है तो कानपुर के एक हिस्से में पानी को क्रोमियम दूषित कर रहा है। उन्नाव का एक इलाका फ्लोराइड के जहर से जूझ रहा है तो गाजियाबाद में पानी को कीटनाशक प्रदूषित कर रहे हैं।
Posted on 31 Jul, 2010 10:47 AMकौटिल्य के अर्थशास्त्र में दर्ज सूचनाओं की पुष्टि शिलालेखों और पुरातात्विक अवशेषों से होती है। चाणक्य के नाम से विख्यात कौटिल्य भारत के प्रथम सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य (321-297 ई.पू.) के मंत्री और गुरु थे। राजनीति और प्रशासन पर प्रामाणिक ग्रंथ माने गए अर्थशास्त्र की तुलना सदियों बाद के मेकियावली