स्वच्छ जल में रहने वाले कछुओं का जीवन खतरे में


पर्यावरण में प्रदूषण का कहर केवल हवा और धरती पर ही नहीं बल्कि पानी पर भी पड़ रहा है। प्रदूषण के चलते अब स्वच्छ जल की स्त्रोत नदियां भी गंदी और मैली होती जा रही है जिससे स्वच्छ जल में रहने वाले कछुओं की प्रजाति पर खतरा पैदा हो गया है। स्वच्छ जल में रहने वाले कछुओं के लिए आए दिन नई-नई समस्याएं आ रही हैं, जिसमें उन्हें अपने अस्तित्व की रक्षा कर पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह बात एक नए शोध में सामने आई है। शोधकर्ताओं ने बताया कि आए दिन भयंकर तूफान के कारण कछुए अपना घर खो देते हैं, जिससे उनके निवास स्थल की समस्याएं बढ़ जाती हैं। प्रदूषण के बढ़ने के कारण नदियों का पानी भी दूषित हो चुका है, जिससे अब नदियों में साफ पानी बचा ही नहीं है। इस कारण साफ पानी में रहने वाले कछुओं के अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है, क्योंकि वातावरण उनके बिलकुल विपरीत होता जा रहा है और कछुए खुद को इसमें ढाल नहीं पा रहे हैं।

शोधकर्ताओं ने कछुओं की प्रजातियों को विलुप्त होने से रोकने लिए तुरंत कोई कारगर कदम उठाने पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि म्यांमार नदी में हम कछुओं की विलुप्ति का तांडव देख चुके हैं। वहां का पानी इतना दूषित हो चुका है कि उसमें रहने वाले कछुए अंडे तो देते हैं, पर वे विकसित नहीं हो पाते। इस कारण उनकी संख्या दिन-पर-दिन गिरती जा रही है। प्रमुख शोधकर्ता पीटर पॉल वन दिक ने बताया कि साफ पानी में रहने वाले कछुओं के सामने सबसे बड़ी समस्या उनके निवास स्थल का विनाश होना है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में साफ पानी में रहने वाले कछुओं की जनसंख्या का 40 फीसदी से भी अधिक हिस्सा विलुप्ति के कगार पर है। पर्यावरण की दृष्टि से यह काफी चिंतनीय है। इसपर जल्द-से-जल्द कोई कारगर कदम उठाना पड़ेगा।
 
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