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ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है पानी
Posted on 27 Oct, 2010 08:58 AM वॉशिंगटन।। पानी पीने के फायदों को जानते हुए भी अगर आपने अभी तक रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आदत नहीं डाली है तो अब जरा पानी को लेकर सीरियस हो जाइए। एक स्टडी में पता लगा है कि पानी हमें ज्यादा अलर्ट रखता है। यही नहीं हमारे ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।
दुनिया की सबसे बडी झील हो रही है सबसे गर्म
Posted on 25 Oct, 2010 01:01 PM यदि एक शोध पर यकीन किया जाए तो दुनिया की सबसे बडी झील लेक सुपीरियर इस बार हाल के वर्षों की अपेक्षा अधिक गर्म रहने वाली है। यह इंसानों के लिए खुशी की बात हो सकती है कि अब इस झील के किनारे वे अधिक समय बिता पाएंगे परंतु इससे पर्यावरण का संतुलन बिगडने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ माइनसोटा के जै ऑस्टिन की शोध के अनुसार यह झील पिछले 30 वर्षों में सबसे अधिक गर्म रहने वाली है। इस बार इस क्षैत्र में कम ठंड पड़ी और इससे बर्फ की चादर ने इस झील को पूरी तरह से नहीं ढका।
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राष्ट्री य नदी संरक्षण निदेशालय (एनआरसीडी)
Posted on 22 Oct, 2010 12:14 PM मंत्रालय के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय राज्यर सरकारों को सहायता देकर राष्ट्री य झील संरक्षण योजना (एनएलसीपी) एवं राष्ट्री य नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) के तहत नदी एवं झील कार्य योजनाओं के क्रियान्वसयन में लगा है।
ग्लेशियरों के नहीं पिघलने का झूठ
Posted on 16 Oct, 2010 09:00 AM
पर्यावरण और वन मंत्री जयराम रमेश द्वारा जारी की गई रिपोर्ट हिमालयन ग्लेशियर्स के अनुसार इस बात का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय में ग्लेशियर पिघल रहे हैं. इस अध्ययन की कोई जिम्मेदारी न लेते हुए जयराम रमेश ने बड़ी तत्परता से इसमें जोड़ा कि इसका मतलब इस विषय पर चर्चा को आगे बढ़ाना था.

मुझे इस चर्चा को आगे बढ़ाने में कोई तुक नजर नहीं आता, जबकि इंटरनेशनल पैनल आन क्लाइमेट चेंज पहले ही स्वीकार कर चुकी है कि ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. मुझे हैरानी नहीं होगी, अगर बाद में यह पता चले कि यह नदियों को जोड़ने के लिए माहौल बनाने का प्रयास था. आखिरकार, इस संभाव्य परियोजना पर अरबों डालर का दारोमदार है और लाबी अभी भी काम में जुटी
सिर पर सवार है मैला उतरने का नाम नहीं लेता
Posted on 16 Oct, 2010 08:42 AM
सभ्यता के विकास में मल निस्तारण समस्या रही हो या न रही हो, लेकिन भारत में कुछ लोगों के सिर पर आज भी मैला सवार है. तमाम कोशिशों के बावजूद भारत सरकार उनके सिर से मैला नहीं उतार पायी है जो लंबे समय से इस काम से निजात पाना चाहते हैं. हालांकि सरकार द्वारा सिर से मैला हटा देने की तय आखिरी तारीख कल बीत गयी लेकिन कल ही 31 मार्च को दिल्ली में जो 200 लोग इकट्ठा हुए थे वे आज वापस अपने घरों को लौट गये हैं. तय है, आज से उन्हें फिर वही सब काम करना पड़ेगा जिसे हटाने की मंशा लिये वे दिल्ली आये थे. उमाशंकर मिश्र की रिपोर्ट-

भारत सरकार द्वारा 31 मार्च 2009 तक सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने की घोषणा की वास्तविकता को उजागर करने के लिए आज छह राज्यों के 200 लोग नई दिल्ली में एकत्रित हुए। मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश,
सिर पर मैला ढ़ोना बंद हो
Posted on 16 Oct, 2010 08:27 AM
भारतीय समाज में अनेक कुप्रथाएं व्याप्त हैं. इनमें से कई ऐसी हैं, जो समाज के दलित-वंचित वर्गों पर अत्याचार का स्त्रोत व कारण हैं. इन्हीं में एक है सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा. मानव मल को मानवों द्वारा झाड़ू, रांपी जैसे खुरचने वाले औजारों और बाल्टी की सहायता से साफ किया जाता है.

आधिकारिक तौर पर भारत में सिर पर मैला ढ़ोने की प्रथा अस्तित्व में नहीं है. उसका तो भारत सरकार ने सन् 1993 में ही उन्मूलन कर दिया था.इसे सरकार की अक्षमता कहें या लापरवाही परंतु सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों से यह तथ्य सामने आया है कि आज भी देश में लगभग 14 लाख लोग इस काम में लगे हैं और इनमें से 95 प्रतिशत महिलाएं हैं.

सफाईकर्मी, दलितों के अछूत वर्ग से आते हैं. अपनी आजीविका के लिए यह अमानवीय कार्य करना उनकी मजबूरी है. उन्हें यह काम विरासत में मिलता है.
स्वच्छ जल मनुष्य का मौलिक अधिकार: संयुक्त राष्ट्र
Posted on 16 Oct, 2010 08:14 AM
नई दिल्ली. 29 जुलाई 2010। संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव पारित कर स्वच्छ जल और सफाई को मनुष्यों का मौलिक अधिकार घोषित किया है. संयुक्त राष्ट्र की महासभा में बोलिविया ने इस आशय में प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव के पक्ष में 126 देशों ने मतदान किया वहीं 46 देशों के प्रतिनिधि मतदान के दौरान गैर-हाज़िर रहे जिनमें अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश प्रमुख हैं. वहीं किसी भी सदस्य देश द्वारा इसका विरोध नहीं किए जाने से ये प्रस्ताव पारित कर दिया गया. हालांकि इस प्रस्ताव को लागू करना किसी भी राष्ट्र के लिए बाध्यता नहीं है.

बोलिविया ने इस प्रस्ताव में कहा है कि सुरक्षित और स्वच्छ पेय जल और सफाई मौलिक अधिकार है जो जीवन के अधिकार का उपयोग करने के लिए अनिवार्य है. प्रस्ताव के मसौदे में यह भी बताया गया कि विश्वभर में 88 करोड़ 40 लाख लोगों को पीने के लिए साफ़ पानी नहीं मिलता और करीब 2.6
बीमारी भगाए धुले हाथ
Posted on 16 Oct, 2010 08:00 AM

15 अक्तूबर, वर्ल्ड हैंड वाशिंग डे पर विशेष


हाथों को बार-बार साबुन से धोना स्वाइन फ्लू समेत कई बीमारियों से बचने का अचूक तरीका है।

दुनियाभर में साफ-सफाई की अहमियत बताने और लोगों को इसके प्रति जागरुक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 15 अक्तूबर, 2008 से ग्लोबल हैंडवाशिंग डे की शुरूआत की थी। सफाई में हाथ साफ रखने की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए ही दो साल पहले इस दिवस की शुरूआत की गई।

बीमारियों से बचने के लिए भले ही कितने भी प्रयास हों, अपने शरीर और हाथों की साफ-सफाई सभी प्रयासों से बढ़कर है।

फिजिशियन डॉ. अनिल मलिक का मानना है कि मौसमी बीमारियों से बचने के लिए नियमित तौर पर हाथ धोने

ईको फ्रैंडली टूरिज्म: क्यों ना बनें एक जिम्मेदार सैलानी
Posted on 15 Oct, 2010 08:24 AM
ईको फ्रैंडली टूरिज्म आज नई अवधारणा नहीं है, बल्कि वर्तमान परिस्थितियों ने इसे पर्यटन का एक अनिवार्य अंग बना दिया है। सामान्य शब्दों में कहें तो ईको फ्रैंडली टूरिज्म का अर्थ है, किसी भी स्थल की यात्रा और सैर-सपाटे के दौरान अपने क्रियाकलापों से उस स्थान विशेष के पर्यावरण और पारिस्थितिकी को किसी भी प्रकार की क्षति न पहुंचाना। सच्चाई तो यह है कि यह बात हम सबकी सिविक सेंस से भी जुड़ी है।
पर्यावरण से संबंधित फैसलों में हितों का टकराव
Posted on 12 Oct, 2010 03:32 PM
भारत का समाजवादी लोकतंत्र प्रतिनिधित्व की राजनीति में अच्छी तरह रचा-बसा है। यहां विशेषज्ञों की सभा और समिति के बारे में आमतौर पर यह माना जाता है कि वे स्थितियों को बेहतर ढंग से समझते हैं। बनिस्बत उनके, जो ऐतिहासिक तौर पर सत्ता प्रतिष्ठान में निर्णायक भूमिका रखते हैं। यह सब एक प्रक्रिया के तहत होता है। इसमें प्राथमिकताएं सुनिश्चित होती हैं, योजनाओं का मूल्यांकन किया जाता है और विकास के रास्ते
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