राम पुनियानी

राम पुनियानी
सिर पर मैला ढ़ोना बंद हो
Posted on 16 Oct, 2010 08:27 AM

भारतीय समाज में अनेक कुप्रथाएं व्याप्त हैं. इनमें से कई ऐसी हैं, जो समाज के दलित-वंचित वर्गों पर अत्याचार का स्त्रोत व कारण हैं. इन्हीं में एक है सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा. मानव मल को मानवों द्वारा झाड़ू, रांपी जैसे खुरचने वाले औजारों और बाल्टी की सहायता से साफ किया जाता है.

आधिकारिक तौर पर भारत में सिर पर मैला ढ़ोने की प्रथा अस्तित्व में नहीं है. उसका तो भारत सरकार ने सन् 1993 में ही उन्मूलन कर दिया था.इसे सरकार की अक्षमता कहें या लापरवाही परंतु सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों से यह तथ्य सामने आया है कि आज भी देश में लगभग 14 लाख लोग इस काम में लगे हैं और इनमें से 95 प्रतिशत महिलाएं हैं.

सफाईकर्मी, दलितों के अछूत वर्ग से आते हैं. अपनी आजीविका के लिए यह अमानवीय कार्य करना उनकी मजबूरी है. उन्हें यह काम विरासत में मिलता है.
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