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अब स्वजल में डूबेंगे गांव
Posted on 30 Mar, 2013 03:23 PM

जो सरकार विश्व बैंक से कर्ज लेकर गांव को स्वावलंबी बनाना चाहती हैं उसमें इतना साहस भी नहीं कि अपने दस्तावेज़ों म

ਪੁਤਲੇ ਹਮ ਮਾਟੀ ਕੇ
Posted on 18 Feb, 2013 11:23 AM ਜੀਵ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਸਭ ਪਰਿਚਿਤ ਹਾਂ। ਅਣੂ ਤੋਂ ਵੀ ਅਸੀ ਸਾਰੇ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਵਿੱਚੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਪਰਿਚਿਤ ਹਾਂ ਹੀ। ਪਰ ਜਦ ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਜੁੜ ਕੇ ਜੀਵਾਣੂ ਬਣਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿੱਚ ਸਾਡੇ ਵਿੱਚੋਂ ਮੁੱਠੀ ਭਰ ਲੋਕ ਵੀ ਕੁੱਝ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਹੀਂ ਜਾਣਦੇ।
धरती चुकाती है बोतलबंद पानी की कीमत
Posted on 26 Jan, 2013 10:27 AM

पानी के क्षेत्र में और आर्थिक रूप से संपन्न इलाकों में बोतलबंद पानी की शुरूआत विलासिता के रूप में हुई थी जो कि स

ਜੈਵਿਕ ਖਾਦ- ਜ਼ਰੂਰਤ ਅਤੇ ਤਕਨੀਕ
Posted on 21 Jan, 2013 11:18 AM ਸਾਡੀ ਪ੍ਰਾਪੰਰਿਕ ਖੇਤੀ ਵਿੱਚ ਕਚਰਾ, ਗੋਬਰ, ਜਾਨਵਰਾਂ ਦਾ ਮਲਮੂਤਰ ਅਤੇ ਹੋਰ ਬਨਸਪਤੀ ਕਚਰੇ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਕੇ ਖਾਦ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਥਾ ਪ੍ਰਚੱਲਿਤ ਸੀ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਾਰੇ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਜੈਵਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਵਿਘਟਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਤਰ੍ਹਾ ਦੇ ਸੂਖ਼ਮਜੀਵੀ ਪ੍ਰਚੂਰ ਮਾਰਤਰਾ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਜੈਵਿਕ ਖਾਦ ਦੇ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਾਲ ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਕੁਦਰਤੀ ਉਪਜਾਊ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਚੰਗੀ ਫ਼ਸਲ ਦੇਣ ਦੇ ਯੋਗ ਰਹਿੰਦੀ ਸੀ। ਖ
ਕੀਟ ਵਿਗਿਆਨ ਦਾ ਇੱਕ ਅਨੋਖਾ ਸਕੂਲ
Posted on 11 Dec, 2012 01:08 PM ਇੱਕ ਕਿਸਾਨ ਜਦ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਫ਼ਸਲ 'ਤੇ ਕਿਸੇ ਕੀੜੇ ਨੂੰ ਦੇਖਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਹੜਾ ਵਿਚਾਰ ਉਸਦੇ ਮਨ ਵਿੱਚ ਆਉਂਦਾ ਹੈ?
मैं भविष्य देख सकता हूं
Posted on 08 Dec, 2012 03:11 PM हिमयुग हमारी सृष्टि की एक महत्वपूर्ण घटना है जो घटती है अर्थात यह एक चक्रीय प्रक्रिया है। जैसे गर्मी के बाद ठंड का मौसम आता है और ठंड के बाद गर्मी का मौसम। इसी तरह ग्लोबल वार्मिंग के बाद हिमयुग आता है।
कोरी नहीं शीतयुग की बात
Posted on 08 Dec, 2012 03:03 PM

हिमालय सदियों से देश व समाज की सभी प्राकृतिक उत्पादों से सेवा करता रहा है। सही मायनों में सर्वव्यापी हिमालय को दे

Ice age
लगातार बढ़ रहा है मौसमी आपदाओं का खतरा
Posted on 08 Dec, 2012 02:56 PM दुनिया भर में मौसम में होने वाले बदलाव जन जीवन को प्रभावित कर रहे
रहिमन पानी राखिए...
Posted on 05 Dec, 2012 05:21 PM आज हम पानी की समस्या से जुझ रहे हैं। पूरी तरह सूखे से हम छुटकारा नहीं पा सके हैं। सूखा कहीं भी और कभी भी पड़ सकता है। सूखा या अकाल पहली बार नहीं आएगा। लेकिन उस अकाल में कुछ ऐसा होने वाला है जो पहले कभी नहीं हुआ। इस दौर में सबसे सस्ती कारों के साथ सबसे महंगी दालें मिलने वाली हैं – यही इस अकाल की सबसे भयावह तस्वीर होगी।
शहरों को पानी चाहिए, पर पानी दे सकने वाले तालाब नहीं। तब पानी ट्यूबवेल से ही मिल सकता है। पर इसके लिए बिजली,डीजल के साथ-साथ उसी शहर के नीचे पानी चाहिए। एक बात साफ है कि लगातार गिरता जल स्तर सिर्फ पैसे और सत्ता के बल पर थामा नहीं जा सकता। कुछ शहरों ने दूर बहने वाली किसी नदी से पानी उठा कर लाने के बेहद खर्चीले और अव्यावहारिक तरीके अपनाए हैं। महाभारत युद्ध के समाप्त हो जाने के बाद श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र से अर्जुन को साथ लेकर द्वारिका जा रहे थे। उनका रथ मरुप्रदेश पार कर रहा था। आज के जैसलमेर के पास त्रिकुट पर्वत पर उन्हें उत्तुंग ऋषि तपस्या करते हुए मिले। श्रीकृष्ण ने उन्हें प्रणाम किया और फिर वे मांगने को कहा। उत्तुंग का अर्थ है ऊंचा। सचमुच ऋषि ऊंचे थे। उन्होंने अपने लिए कुछ नहीं मांगा। प्रभु से प्रार्थना की कि यदि मेरे कुछ पुण्य हैं तो भगवान वर दें कि इस क्षेत्र में कभी जल का अभाव न रहे। एक दौर था जब मरुभूमि को इस तरह के आशीर्वाद की जरूरत थी। मरुभूमि के अलावा पानी की कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन हमने पानी की अहमियत नहीं समझी। आज पानी हमें परेशान कर रहा है। आज हमारे समाज के बड़े हिस्से को इस आशीर्वाद की जरूरत पड़ती है।
water
मौसम में है बड़ी उथल-पुथल
Posted on 05 Dec, 2012 04:41 PM हमारी दुनिया एक ऐसी स्थिति की ओर बढ़ रही है जिसमें ग्रीष्म लहर हो या शीतोष्ण प्रभाव वह लगातार बढ़ने वाला है। अभी तक हो यह रहा था कि 20 सालों में एक दिन ऐसा होता था जिस दिन गर्मी के रिकार्ड टूटते थे लेकिन अब ऐसा हर दो साल में होने की आशंका होगी।
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