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पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन एवं पर्यावरण प्रबंधन
पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ई.आई.ए.) एक ऐसी महत्वपूर्ण विधा है जिसके द्वारा किसी भी परियोजना / क्रियाकलाप से संबंधित निर्णय लेते समय, उससे पर्यावरण प्रबंधन संबंधित मुद्दों को शामिल किया जाता है ताकि सतत् विकास सुनिश्चित किया जा सके कुछ वर्षों पूर्व परियोजनाओं को केवल तकनीकी एवं वित्तीय व्यावहारिकता (फाइनेंशियल लायबिलिटी) के आधार पर ही आंकलन किया जाता था एवं अनुमति दी जाती थी, लेकिन ई.आई.ए. की विधा किसी भी परियोजना क्रियाकलाप के क्रियान्वयन सहमति के लिए यह भी आवश्यक हो गया कि यह पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल हो Posted on 14 Sep, 2023 12:54 PM

सारांश : 

पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ई.आई.ए.) एक ऐसी महत्वपूर्ण विधा है जिसके द्वारा किसी भी परियोजना / क्रियाकलाप से संबंधित निर्णय लेते समय, उससे पर्यावरण प्रबंधन संबंधित मुद्दों को शामिल किया जाता है ताकि सतत् विकास सुनिश्चित किया जा सके कुछ वर्षों पूर्व परियोजनाओं को केवल तकनीकी एवं वित्तीय व्यावहारिकता (फाइनेंशियल लायबिलिटी) के आधार पर ही आंकलन किया जाता थ

पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन एवं पर्यावरण प्रबंधन
सभी के लिए शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की लागत और लाभ
73वें संविधान संशोधन ने पेयजल को संविधान की 11वीं अनुसूची में डाल कर उसके प्रबंधन की ज़िम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंप दी है। वैसे तकनीकी रूप से देखा जाए तो पेयजल पूर्णतः सार्वजनिक माल नहीं है, क्योंकि पेयजल की सीमित मात्रा को देखते हुए इसे लेकर प्रतिद्वंदिता तो चलती ही रहती है। इस दृष्टिकोण से तो पेयजल को वास्तव में एक साझा संसाधन माना जाना चाहिए। Posted on 13 Sep, 2023 04:35 PM

पृष्ठभूमि 

भारत जैसे कल्याणकारी देश में पेयजल को अक्सर सार्वजनिक माल (पब्लिक गुड्स) की श्रेणी में गिना जाता है, और जल आपूर्ति योजनाओं के बल पर चलाई जाने वाली सरकारी नीतियों को बाज़ार की किसी भी नाकामयाबी से निपटने के अमोघ अस्त्र के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा 73वें संविधान संशोधन ने पेयजल को संविधान की 11वीं अनुसूची में डाल कर उसके प्रबंधन की ज़िम्मेदारी ग

सभी के लिए शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की लागत और लाभ
मृदा अपरदन और संरक्षण (Soil Erosion and Conservation in Hindi)
बढ़ती आबादी के कारण इमारती लकड़ी, ईंधन की मांग, खेती के विस्तार आदि के कारण समस्या विस्फोटक रूप लेती जा रही है। इसके अलावा, खेतों में भूमि के प्रयोग में गलत पद्धतियों के अपनाने से भी समस्या बढ़ती जा रही है।मिट्टी के संरक्षण में केवल मृदा अपरदन पर काबू पाना ही शामिल नहीं है, बल्कि मिट्टी अथवा मृदा की कमियों को दूर करने, खाद और उर्वरक का प्रयोग, सही तरीके से बारी-बारी से फसल उगाना, सिंचाई, जल निकासी, आदि अनेक पक्ष भी इसके अंतर्गत आते हैं। इस व्यापक प्रक्रिया का लक्ष्य उच्च स्तर तक मृदा की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाना है। Posted on 13 Sep, 2023 01:09 PM

मिट्टी के संरक्षण में केवल मृदा अपरदन पर काबू पाना ही शामिल नहीं है, बल्कि मिट्टी अथवा मृदा की कमियों को दूर करने, खाद और उर्वरक का प्रयोग, सही तरीके से बारी-बारी से फसल उगाना, सिंचाई, जल निकासी, आदि अनेक पक्ष भी इसके अंतर्गत आते हैं। इस व्यापक प्रक्रिया का लक्ष्य उच्च स्तर तक मृदा की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाना है। इस अर्थ में, मृदा संरक्षण, सामान्यतः, भूमि के इस्तेमाल में सुधार लाने के उद्देश्य से

मृदा अपरदन
हरियाली गुरु का हरित अभियान
प्रदूषण मुक्त भारत की सफलता में योगदान देने के लिए साइकिल से चलते हुए उन्होंने उस जमीन पर दौड़ लगाई है, जो बंजर है, उदास है, जहाँ पेड़ ही नहीं है। हरियाली गुरु पिछले 10 वर्षों में कई हजार पौधे अपनी साइकिल में लादकर लगा चुके हैं। Posted on 12 Sep, 2023 02:30 PM

हरियाली गुरु का हरित अभियान
कामायनी महाकाव्य में जलवायु परिवर्तन
पृथ्वी की जलवायु कालांतर से ही परिवर्तनशील रही है। भौमिकीय काल-क्रम के विभिन्न विधियों में हुए जलवायु परिवर्तन नाटकीय तो थे ही, साथ ही इन्होंने पृथ्वी के प्राणियों तथा वनस्पतियों के उद्भव, विकास तथा विनाश के इतिहास को भी निरंतर प्रभावित किया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न भूगतिकी प्रक्रियाएँ भी जलवायु परिवर्तनों द्वारा नियंत्रित होती रही हैं। पृथ्वी पर मानव के अस्तित्व से जुड़े इन जलवायु परिवर्तनों के संबंध में विगत कुछ वर्षों से उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। Posted on 12 Sep, 2023 02:07 PM

भूमंडल के मौसम और जलवायु के प्रति मानव हमेशा से जिज्ञासु रहा है। यह केवल मानव ही नहीं, वरन् पृथ्वी के विभिन्न प्रकार के प्राणियों और वनस्पतियों के अस्तित्व से भी जुड़ा रहा है। यह सत्य है कि जिज्ञासा विज्ञान की जननी है। प्रश्न से ही उत्तर मिलता है और उत्तर तक पहुँचने के लिए कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। जब प्रश्न का उत्तर मिल जाता है तो जिज्ञासा शांत हो जाती है, परंतु हमेशा नई-नई जिज्ञासाएँ

कामायनी महाकाव्य में जलवायु परिवर्तन
पर्यावरण जागरूकता विकसित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
बारिश के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के घरों में सांपो का घुस आना एक बेहद सामान्य सी बात है लेकिन यही सामान्य सी लगने वाली बात लाखों लोगों को हमेशा भयग्रस्त बनाये रखती है और हजारों लोगों के लिए जानलेवा साबित होती है। सांप ही धरती ग्रह पर एकमात्र ऐसा प्राणी है जिससे इंसान सबसे ज्यादा डरता है जो कि सहज और स्वाभाविक है। सांपो का नाम मात्र सुनने से ही कई लोगों की रूह कांप जाती है जिसका कारण भी बिल्कुल स्पष्ट है Posted on 12 Sep, 2023 12:34 PM

पर्यावरण जागरूकता की दिशा में आज भारत सहित दुनियाभर की अनेकों सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाएँ प्रयास कर रहीं हैं। लोगों में पर्यावरण के प्रति जन-जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए आज इंटरनेट तथा सोशल मीडिया भी एक महत्वपूर्ण जरिया साबित हुआ है। व्यापक पैमाने पर जीव-जंतुओं का दस्तावेज रखने वाली आईयूसीएन (IUCN) जैसी तमाम वेबसाइटों पर लोग आसानी से दुनिया के दुर्लभ जीव जंतुओं के बारे में जानकारी हासिल कर

पर्यावरण जागरूकता विकसित करने में सोशल मीडिया की भूमिका,Pc-Wikipedia
आक्रामक स्लग : भारतीय कृषि एवं स्थानीय प्रजातियों के लिए खतरा(Invasive slugs: a threat to Indian agriculture and local species)
पिछले कुछ वर्षों से बारिश के मौसम में आपने अपने आस-पास के परिवेश में नमीयुक्त स्थानों, गीली मिट्टी, बाग-बगीचों और नर्सरी में अक्सर एक जोंक की तरह दिखाई देने वाला एक जीव अवश्य देखा होगा। जमीन पर चलते हुए ये जीव अपने पीछे-पीछे चिपचिपा द्रव पदार्थ भी छोड़ता जाता है अतः लोग और भी हैरत में पड़ जाते हैं। Posted on 12 Sep, 2023 12:28 PM

हमारे आस-पास के पर्यावरण में बहुत सारे ऐसे जीव-जंतु पाये जाते हैं जिनके बारे में अभी ज्यादातर लोग अनजान है। हम ऐसे जीवों को अक्सर आस-पास के वातावरण में देखते तो हैं लेकिन हमें ये नहीं पता होता कि आखिर इनकी पहचान क्या है? क्या ये कोई आक्रामक प्रजाति है? हमारे पर्यावरण एवं कृषि हेतु ये हानिकारक हैं अथवा लाभदायक?

आक्रामक स्लग
ग्रेवॉटर प्रबंधन के लिए कार्य योजना
ग्रेवॉटर का तात्पर्य घरेल अपशिष्ट जल से है जो बिना मल संदूषण के घरों या घरेलू गतिविधियों से उत्पन्न होता है। इसमें रसोई से निकलने वाला गंदा पानी, नहाने और कपड़े धोने से निकलने वाला गंदला पानी शामिल है लेकिन इसमें शौचालयों का गंदला पानी या मल का पानी शामिल नहीं है। Posted on 11 Sep, 2023 03:24 PM

विडंबना यह है कि पानी, इस ग्रह पर सबसे प्रचुर संसाधन, सबसे अधिक मांग वाला भी है !

ग्रेवॉटर प्रबंधन के लिए कार्य योजना
बदलाव के लिए दो मिशन
ज़्यादातर लोगों ने एकता में शक्ति के उदाहरण के रूप में लकड़ियों के गट्ठर का किस्सा तो सुना ही होगा। उसका सार यह है कि आप अकेली लकड़ी की डंडी को तो आसानी से तोड़ सकते हैं, लेकिन जब उन्हीं डंडियों को इकट्ठा कर उनका गट्ठर बना दिया जाता है तो उसे तोड़ पाना नामुमकिन हो जाता है। यही होती है एकता में शक्ति। Posted on 11 Sep, 2023 01:20 PM

ज़्यादातर लोगों ने एकता में शक्ति के उदाहरण के रूप में लकड़ियों के गट्ठर का किस्सा तो सुना ही होगा। उसका सार यह है कि आप अकेली लकड़ी की डंडी को तो आसानी से तोड़ सकते हैं, लेकिन जब उन्हीं डंडियों को इकट्ठा कर उनका गट्ठर बना दिया जाता है तो उसे तोड़ पाना नामुमकिन हो जाता है। यही होती है एकता में शक्ति। इसी एकता का अन्य रूप है सम्मिलन, यानि 'कन्वर्जेस' – जब विचारों, प्रयासों, परियोजनाओं और योजनाओं

बदलाव के लिए दो मिशन
जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव
भारत की वर्षा पोषित कृषि के लगभग 60% 1 के लिए महत्वपूर्ण है और मानसून की हवाओं का समय पर आगमन और पर्याप्तता हमारे कृषि प्रथाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हवाओं की आवृत्ति प्रत्येक मौसम, वर्षा और दशक में भिन्न होती है. और इस बदलाव को मानसून परिवर्तनशीलता कहा जाता है। जलवायु परिवर्तन, औद्योगिकीकरण तथा बढ़ते वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। परिणामस्वरूप बढ़ती ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से वैश्विक तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन से समस्त विश्व चिंतित है चिंता का विषय इसलिए भी है, क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है, और भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशीला खेती ही है। Posted on 11 Sep, 2023 12:41 PM

किसान कई पीढ़ियों से खेती के लिए मौसमी बरसात पर ही निर्भर रहे हैं लेकिन अब बदलते मौसम के कारण उन्हें नुकसान हो रहा है। देश में फसल उत्पादन में उतार-चढ़ाव का कारण कम वर्षा, अत्यधिक वर्षा अत्यधिक नमी, फसलों पर कीड़े लगना, बेमौसम बारिश, बाढ़ व सूखा और ओलों की बौछार आदि मुख्य है। पिछले कुछ सालों से मौसम चक्र ने हमें चौकाने और परेशान करने का जो सिलसिला शुरू किया है जो हमारे लिए और खेती के लिए मुसीबत

जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव
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