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हिमालय का नूतन अभिषेक करें
जाने हिमालय जो कभी तपस्या की भूमि थी, अब वह भोग भूमि और सीमा के खतरे की भूमि कैसे बन गई है। Posted on 23 Mar, 2024 05:22 PM

मैं स्वः पं. गोविन्द वल्लभ जी पंत के प्रति, जिनकी स्मृति में इस व्याख्यान का आयोजन किया गया है, अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। हिमालय में जन्म लेकर उन्होंने देश के लिये जो सेवाएँ की हैं, उससे हिमालय का गौरव बढ़ा है। दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों में आत्म-विश्वास बढ़ा है।

हिमालय का नूतन अभिषेक करें
आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
जाने सरकारो द्वारा पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद क्यों कागजों पर उग रहे हैं असंख्य पेड़ Posted on 23 Mar, 2024 05:04 PM

सरकार ने देश भर में पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए और करोड़ों रुपए खर्च कर डाले। इससे महज कागज पर असंख्य पेड़ जरूर उग गए किन्तु असलियत में ये आज सीमित संख्या में ही नजर आते हैं। जहां जरूरत थी-चारे, फल, लकड़ी या खाद के लिए काम आने वाले पौधे की, वहां लुगदी और पल्प उद्योग में प्रयुक्त होने वाले पेड़ लगाए गए। वृक्षारोपण में न तो भू-क्षरण पर जोर दिया गया और न ही जल-संरक्षण पर।

आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
जानिए पर्यावरण संरक्षण और विकास एक साथ कैसे चल सकते है। Posted on 23 Mar, 2024 02:19 PM

बिगड़ते पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करने वाले आन्दोलनों को उठे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, पर यह काफी आगे बढ़े है। लेकिन इसके साथ ही विकास बनाम पर्यावरण सुरक्षा का विवाद भी उठ खड़ा हो गया है। लेखक का मानना है कि यह व्यर्थ का विवाद है इसे वही लोग चला रहे हैं जो विकास की उसी धारा के पक्षधर हैं जिसने पर्यावरण का विनाश किया है।

पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
न बाढ़ रहे न सूखा
जानिए बाढ़ और सूखा दोनों का मूल कारण क्या है और कैसे इसे कम कर सकते हैं Posted on 23 Mar, 2024 01:08 PM

बाढ़ और सूखे की बाहरी पहचान उतनी ही अलग है जितनी पर्वत और खाई की-एक ओर वेग से बहते पानी की अपार लहरें हैं तो दूसरी ओर बूंद-बूंद पानी को तरसते सूखी, प्यासी धरती। इसके बावजूद प्रायः यह देखा गया है कि बाढ़ और सूखे दोनों के मूल में एक ही कारण है और वह है उचित जल-प्रबंध का अभाव। जल-संरक्षण की उचित व्यवस्था न होने के कारण जो स्थिति उत्पन्न होती है, उसमें हमें आज बाढ़ झेलनी पड़ती है तो कल सूखे का सामन

न बाढ़ रहे न सूखा
पर्यावरण संरक्षण में पीछे नहीं हैं महिलाएं
जानिए पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका और उनके बलिदान के बारे में Posted on 23 Mar, 2024 12:24 PM

इस क्षेत्र में महिलायें अहम् भूमिका निभा सकती हैं। महिलायें जहां एक और अपने शिशुओं को पर्यावरण के महत्व को बखूबी समझ सकती हैं, वहीं दूसरी ओर समाज को भी राह दिखा सकती हैं। राजस्थान में बिश्नोई जाति की महिलाओं का वृक्षों के प्रति प्रेम तथा उनके द्वारा वृक्षों की रक्षा हेतु अपना बलिदान सराहनीय है। इतिहास साक्षी है जब-जब महिलाओं ने किसी भी संकट का सामना किया है, वह संकट खत्म हो गया है। अतः यह जरूरी

पर्यावरण संरक्षण में पीछे नहीं हैं महिलाएं
विश्व जल दिवस कैसे मनाए
जानिए कैसे मनाए जल स्रोत सम्मान दिवस Posted on 18 Mar, 2024 12:02 PM

विश्व जल दिवस के दिन जल पर हम संगोष्ठी,वाद विवाद ,नृत्य, गीत इत्यादि कार्यक्रम कर  मनाते आए हैं।  2021 से इस दिवस को हम हमारे जल दाता अर्थात जल स्रोत कुआ, बावड़ी, हैंडपंप, ट्यूबवेल, नदी , तालाब, समुद्र,जलपात्र,मटकी,नल ,लोटा इत्यादि  का पूजन इस दिवस पर करते आए हैं। मैंने मेरे बचपन में मेरे मामा  स्वर्गीय श्री  धर्मचंद जी बाफना को अपने खेत के कुएं की दीवार में स्थित छोटे से मंदिर की पूजा करते देख

विश्व जल दिवस कैसे मनाए
पर्यावरण एवं भारतीय संस्कृति
जानिए पर्यावरण एवं भारतीय संस्कृति के गहरे संबध के बारे में Posted on 15 Mar, 2024 02:22 PM

आज सारे संसार में पर्यावरण रक्षण की चेतना जागृत  जाग चुकी है। पर्यावरण के प्रदूषण ने संसार के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है। यह सही है कि धरती का यह संकट विशेषकर विकसित देशों की देन है। उनकी आर्थिक लिप्सा ने प्रकृति का इस तरह विध्वंस करना शुरु किया कि आज जो विभीषिका सामने आई है, जो त्रासदी दिखाई देने लगी है, उसके निवारण के लिए पूरा संसार चिंतित हो रहा है।

पर्यावरण एवं भारतीय संस्कृति
पर्यावरण परिक्रमा
जानिए, पानी, पेड़,वन्य जीव और पर्यावरण संरक्षण हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण हो गया है Posted on 15 Mar, 2024 12:32 PM

म.प्र.

पर्यावरण परिक्रमा
गांवों में स्वच्छता अभियान 
जानिये गांव में स्वच्छता अभियान और लोग स्वच्छता के प्रति कितने जागरूक हुए है Posted on 14 Mar, 2024 03:27 PM

स्वच्छता मानव जीवन का अभिन्न अंग है। स्वच्छता का सीधा संबंध स्वास्थ्य से है इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छता अनिवार्य है। स्वच्छता शरीर तथा घर परिवार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत स्वच्छता के अतिरिक्त गली, मोहल्लें और गांव की सम्पूर्ण स्वच्छता से है। हमारा देश कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के प्रति वचनबद्ध है इसलिए अपने नागरिकों को पूर्णतया स्वस्थ बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

गांवों में स्वच्छता अभियान 
पेड़-पौधे और मनुष्य
जानिये पेड़-पौधे और मनुष्य का कितना गहरा संबध है Posted on 14 Mar, 2024 03:19 PM

पेड़ -पौधे एवं मनुष्य एक दूसरे पर आधारित है। एक के अभाव में दूसरे के सद्भाव की कल्पना कभी स्वप्न में भी नहीं की जा सकती। पेड़ - पौधे मनुष्य के भीतर और बाहर एक सांस्कृतिक पर्यावरण की रचना करते हैं। दोनों का सृजन एक प्रकार का पर्यावरण है।

पेड़-पौधे और मनुष्य
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