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पानी की आत्मकथा
Posted on 14 Jun, 2012 12:22 PM जल ही जीवन है यह एक वैज्ञानिक सत्य है। आज कल की परिस्थिति यह हो गयी है की पानी के लिए हर जगह त्राहिमाम मचा हुआ है गर्मी में खाना मिले या न मिले पर पानी जरुर चाहिए। पानी की समस्या सिर्फ शहरों या महानगरों में ही नहीं अब तो गाँवो में भी पीने का पानी सही ढंग से नई मिल पा रहा है। हम पानी की समस्या से इतने जूझ रहे हैं फिर भी हम पानी का सही इस्तेमाल कैसे करें या पानी को कैसे ज्यादा से ज्यादा बचाएं इसक
वनभूमि और वनाधिकार
Posted on 14 Jun, 2012 11:43 AM लगभग 25 सालों तक हजारों लोग अपनी ही जमीन पर अवैध निवासी बने रहे मगर सरकार ने वनभूमि पर वनवासी समुदायों के परंपरागत अधिकार की न तो पहचान की और ना ही उसे मंजूर किया। वन संरक्षण कानून और इसी से जुड़े वन और पर्यावरण मंत्रालय के दिशानिर्देशों में वनभूमि पर वनवासी समुदायों के जिन परंपरागत अधिकार को मान्यता दी गई थी उन्हें भी सरकार ने सीमित करने के प्रयास किये। वनाधिकार अधिनियम पारित होने तथा राष्ट्री
संसद की लोक लेखा समिति द्वारा पर्यावरण मंत्रालय की खिंचाई
Posted on 12 Jun, 2012 02:33 PM संसद की लोक लेखा समिति द्वारा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में व्याप्त अनियमितताओं, लेट-लतीफी, भ्रष्टाचार एवं लापरवाही को उजागर किए जाने के बाद जो तस्वीर उभरी है वह चौका देने वाली है। लोक लेखा समिति ने पाया कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भारत से बाहर ले जाए गए अनेक वानस्पतिक संसाधनों को लेकर दिए गए बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के संबंध में भी कोई जानकारी नहीं है। अब देखना यह है कि पर्यावरण मंत्रालय में
विकास के साथ पर्यावरण पर ध्यान देना होगा
Posted on 11 Jun, 2012 12:37 PM मानव पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां एवं जीव-जंतु प्रमुख घटक माने गये हैं। हमारे देश में इन सभी घटकों की हालत बिगड़ चुकी है एवं सभी में प्रदूषण का जहर फैल गया है। राष्ट्रीय तथा विश्व स्तर पर भी कई संगठनों एवं संस्थानों द्वारा किये गये अध्ययनों से पता चला है कि भारत में पर्यावरण की हालत काफी बिगड़ चुकी है। पर्यावरण अब स्वास्थ्यवर्धक न रहकर रोगजन्य हो गया है। वायु जीवन क
जलवायु परिवर्तन और वंचित समाज
Posted on 10 Jun, 2012 01:02 PM
धरती के गर्म होते मिजाज, इसकी वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन और अंतत: मानव के साथ-साथ तमाम जंतुओं और वनस्पतियों, वृक्ष प्रजातियों, फसलों इत्यादि पर हो रहे असर को कम करने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें इन तमाम विषयों के प्रति संवेदनशीलता की परम आवश्यकता है। आज पूरे विश्व की निगाह आगामी दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र के कोपेनहेगेन सम्मेलन पर टिकी है। इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से जुड़े उन तमाम विषयों पर चर्चा होनी है जिनका संबध संपूर्ण मानवता, जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन से है। आज के हालात में जलवायु परिवर्तन गंभीर और संवेदनशील मामला बन गया है इसलिए जलवायु में आ रहे बदलाव को रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय जारी हैं।
गंभीर पर्यावरणीय खतरे की ओर अग्रसर भारत
Posted on 09 Jun, 2012 11:10 AM देश में बढ़ते प्रदूषण के चलते गंभीर स्थिति हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 90 देशों के एक हजार शहरों में अध्ययन कर बताया है कि वायु प्रदूषण के कारण भारत तथा चीन के शहरों में फेफड़ों के कैंसर रोग बढ़े हैं। गैसीय एवं कणीय पदार्थों के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। आधुनिक विकास की अंधी दौड़ में देश की 150 नदियां नाले में तब्दील हो चुकी हैं। भारत पर्यावरण के आपातकाल की ओर बढ़ता जा रहा
अनोखे पारिस्थितिकी तंत्र महासागर
Posted on 08 Jun, 2012 09:50 AM

हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विश्व की लगभग 21 प्रतिशत आबादी महासागरों से लगे 30 किलोमीटर तटीय क्षेत्र में निवास करती है इसलिए अन्य जीवों के साथ-साथ मानव समाज के लिए भी प्रदूषण मुक्त महासागर कल्याणकारी साबित होंगे। इसके अलावा पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाले पारितंत्रों में समुद्र की उपयोगिता को देखते हुए यह आवश्यक है कि हम समुद्री पारितंत्र के संतुलन को बनाए रखें।

महासागर पृथ्वी पर जीवन का प्रतीक है। पृथ्वी पर जीवन का आरंभ महासागरों से माना जाता है। महासागरीय जल में ही पहली बार जीवन का अंकुर फूटा था। आज महासागर असीम जैवविविधता का भंडार है। हमारी पृथ्वी का लगभग 70 प्रतिशत भाग महासागरों से घिरा है। महासागरों में पृथ्वी पर उपलब्ध समस्त जल का लगभग 97 प्रतिशत जल समाया है। महासागरों की विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यदि पृथ्वी के सभी महासागरों को एक विशाल महासागर मान लिया जाए तो उसकी तुलना में पृथ्वी के सभी महाद्वीप एक छोटे द्वीप से प्रतीत होंगे। मुख्यतया पृथ्वी पर पाँच महासागर हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- प्रशांत महासागर, हिन्द महासागर, अटलांटिक महासागर, उत्तरी ध्रुव महासागर और दक्षिणी ध्रुव महासागर। महासागरों का सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्व मानव के लिए इन्हें अतिमहत्वपूर्ण बनाता है। इसलिए महासागरों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रतिवर्ष 08 जून को विश्व महासागर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम युवा बदलाव की अगली लहर।

हासिये पर बच्चों का पर्यावरणीय अधिकार
Posted on 07 Jun, 2012 10:20 AM

एक तरफ हमारा तथा कथित विकसित समाज पर्यावरण को ताक पर रखकर प्लास्टिक के उपयोग में लगा हुआ है वही दूसरी ओर पन्नी व

एटमी ऊर्जा व्यापार या विरोध
Posted on 06 Jun, 2012 03:53 PM फुकुशीमा दुर्घटना के बाद जर्मनी ने घोषणा की कि सन 2022 तक देश के सारे न्यूक्लियर रिएक्टर बन्द कर दिए जाएंगे। जर्मन कम्पनी सीमैंस ने कहा है कि हम एटमी ऊर्जा की तकनीक का कारोबार खत्म कर रहे हैं। सवाल रोचक है कि जर्मनी अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को कैसे पूरा करेगा। एक तरफ तो जर्मनी एटमी ऊर्जा का विरोधी और अक्षय ऊर्जा का समर्थक बन रहा है वहीं दूसरी तरह एक जर्मन नागरिक जोनटेग रेनर हर्मन भारत से निकाला जा
बिना सरकारी मदद के बनते शौचालय
Posted on 06 Jun, 2012 11:10 AM जहां एक तरफ हमारे ग्रामीण विकास मंत्री यह जानकर परेशान हैं कि भारत को खुला शौच मुक्त देश बनाने कि दिशा में धीमी प्रगति हुई है। वहीं कोलकाता के कमल कर ने बिना सरकारी मदद से लोगों को शौचालय मुहैया करा रहे हैं। देश में फोन धारकों और टीवी देखने वालों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है तो संचार क्रांति के इसी असर को इस समस्या से लड़ने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस समस्या
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