Posted on 15 Jun, 2012 12:26 PMरियो के पहले सम्मेलन में पूरी दुनिया के देशों के समक्ष जब धरती के बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने का एजेंडा रखा गया था, तब से लेकर आजतक विचित्र यह है कि चर्चा के लिए बहुत सारे ऐसे मुद्दों को स्वतंत्र विषय मान लिया गया है जो मूलत: विकास की मौजूदा दृष्टि के दुष्परिणाम ज्यादा हैं। इस विषय को उजागर कर रहे हैं नरेश गोस्वामी
Posted on 14 Jun, 2012 11:43 AMलगभग 25 सालों तक हजारों लोग अपनी ही जमीन पर अवैध निवासी बने रहे मगर सरकार ने वनभूमि पर वनवासी समुदायों के परंपरागत अधिकार की न तो पहचान की और ना ही उसे मंजूर किया। वन संरक्षण कानून और इसी से जुड़े वन और पर्यावरण मंत्रालय के दिशानिर्देशों में वनभूमि पर वनवासी समुदायों के जिन परंपरागत अधिकार को मान्यता दी गई थी उन्हें भी सरकार ने सीमित करने के प्रयास किये। वनाधिकार अधिनियम पारित होने तथा राष्ट्री