Posted on 29 Sep, 2013 01:24 PMदिन पवित्र, वेला मंगलमय नदियों में नावों के उत्सव। घाटों पर ये कलश-कलसियाँ पितर पुण्य के ये अशेष रव। कर दो आज विसर्जन कर दो फिर यह वेला नहीं आएगी।
Posted on 29 Sep, 2013 01:22 PMडबडब अँधेरे में, समय की नदी में अपने-अपने दिए सिरा दो; शायद कोई दिया क्षितिज तक जा सूरज बन जाए!!
हरसिंगार जैसी यदि चुए कहीं तारे, अगर कहीं शीश झुका बैठे हों मेड़ों पर पंथी पथहारे, अगर किसी घाटी भटकी हो छायाएँ, अगर किसी मस्तक पर जर्जर हों जीवन की त्रिपथगा ऋचाएँ;
Posted on 29 Sep, 2013 01:16 PMराष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में ज्यादातर जगहों पर जल गुणवत्ता मानक तय पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे हैं। जैव रसायन, ऑक्सीजन मांग
Posted on 28 Sep, 2013 04:10 PM“प्रतिवर्ष भूमि पर लगभग 60 ज्वालामुखी उद्गारित होते हैं और किसी भी समय उद्गारित ज्वालामुखियों की संख्या 20 के आसपास हो सकती है। कुछ ज्वालामुखियों से लगातार अल्पमात्रा में गैसें और चट्टानें मुक्त होती रहती है लेकिन किसी समय ये ज्वालामुखी प्रचंड और विस्फोटक भी हो सकते हैं। कभी-कभी ज्वालामुखी घटनाएँ विस्फोटक होती हैं, किंतु अधिकतर घटनाओं में ज्वालामुखी पर्वत उनमें उत्पन्न दाब अथवा मैग्मा मंडार के उद्
Posted on 28 Sep, 2013 10:19 AM“26 दिसम्बर, 2006 को दक्षिण एशिया के कई देशों में तबाही मचाने वाली सुनामी की घटना ने मानव जाति या होमोसैपियंस को एक बार फिर से याद दिलाया कि उनकी अपनी ताकत के अहंकार के बावजूद प्राकृतिक ताकत के सामने वे कितने असहाय हैं। यदि समुद्र के अंदर की धरती का बहुत छोटा, लगभग 10 मीटर का, हिस्सा भी क्षुब्ध या स्थानांतरित हो जाए तो यह घटना लाखों लोगों की मौत का कारण बन सकती है। खुले समुद्र में आरंभ में लंबी, छ