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भारतीय चिंतन : पर्यावरणीय-चेतना का स्रोत
Posted on 23 Mar, 2014 11:58 AM जले विष्णुः थले विष्णुः पर्वत मस्तके।
ज्वाला माला कुले विष्णुः सर्वे विष्णुमयं जगत।।

कचरा नहीं 27 हजार करोड़ रुपए की खाद
Posted on 23 Mar, 2014 11:03 AM

‘सत्यमेव जयते’ आमिर खान ने बताया कचरे का महत्व


गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग रखने से बचेगा पर्यावरण, होगी बचत
मिट्टी विज्ञान में कॅरिअर
Posted on 23 Mar, 2014 10:59 AM मृदा विज्ञान में करियर भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां हर साल भारी तादाद में फसलें बोई और काटी जाती हैं। जिस तरह से कुछ फसलें केवल गर्मी में व कुछ सर्दी में बोई ज
जलवायु का कहर मड़ूवा-कोदो पर
Posted on 22 Mar, 2014 01:03 PM जलवायु में आ रहे परिवर्तन से मानसून का समय आगे खिसका और रोहिणी नक्षत्र में पानी के दर्शन भी नहीं हो रह
पार्टियां अनसुना न करें लोकादेश का जलादेश
Posted on 22 Mar, 2014 12:40 PM शोषण, प्रदूषण और अतिक्रमण नई चुनौतियां बनकर हमें डरा रहे हैं। इन नई चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी ह
pani ke log
मौसम की मार के बीच पिसती कृषि
Posted on 22 Mar, 2014 12:15 PM

देखने में आया है कि अनियमित वर्षा की वजह से धान की खेती कई इलाकों में बंद हो गई है। गेहूं की फस

Monsoon
जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने को बदलनी होगी जीवन पद्धति
Posted on 22 Mar, 2014 11:35 AM जलवायु परिवर्तन का कहर पृथ्वी के प्रत्येक क्षेत्र में वर्षा होने वाली है। इस प्रकरण का निराशाजनक पहलू यह है कि मनुष्य ने खुद के निर्मित इस संकट से निपटने का न तो कोई इंतजाम किया है और न ही आगे करने के प्रति उत्सुक है। उल्टे इसके जो थोड़े बहुत प्रयास किए भी गए तो कुछ उपभोक्तावादी देश अपने निजी हित में इन प्रयासों को नष्ट करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। 1992 में रियो डी जनेरियो से शुरू पृथ्वी
जनकल्याणी गोमती की पुकार
Posted on 19 Mar, 2014 12:35 PM गोमती हूं, तीर्थ नैमिष धाम की पहचान हूं।
देव-ऋिषियों का सदा से कर रही गुणगान हूं।
ज्ञान-गौरव-भक्ति भावों से भरे मेरे किनारे।
तीर्थ-मठ-मंदिर-महाऋिषि धाम, गुरूद्वारा हमारे।
वृक्ष-वन पावन तपोमय भूमियां सम्पत्ति मेरी।
है सभी कुछ किंतु अब तो है अथाह विपत्ति मेरी।
एक मां के रूप में, मैंने सदा सबको दुलारा।
दी, सदा इस भूमि को शीतल सुधा सी नीरधारा।
मंगल तुझमें कितना पानी
Posted on 16 Mar, 2014 10:18 PM
प्रख्यात विज्ञान शोध पत्रिका ‘नेचर जिओसाइंस’ में जब 28 सितम्बर 2015 को 'Spectral evidence for hydrated salts in recurring slope lineae on Mars' शीर्षक शोध पत्र प्रकाशित हुआ तो विज्ञान जगत के साथ-साथ मीडिया जगत में भी हलचल मच गई। तरह-तरह के अनुमान लगाए जाने लगे- ‘अब मंगल पर बसेंगी मानव बस्तियाँ’, ‘पानी है तो मंगल पर जीवन भी अवश्य होगा-बस खोजना भर ब
मंगल पर पानी
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