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बीटी बैंगन की व्यावसायिक असफलता
Posted on 16 Aug, 2014 10:56 AM खेतों में उत्पादन प्रक्रिया का सूत्रीकरण, खेतों में जैव सुरक्षा प्र
तिब्बत : विकास के नाम पर हिमालय की तबाही
Posted on 16 Aug, 2014 09:43 AM खनन, बांधों और तेजी से पिघल रहे ग्लेशियरों से अन्य एशियाई देशों की जलवायु और इस पर निर्भर लाखों लोग होंगे प्रभावित।
हिरोशिमा बन रहा है मलांजखंड
Posted on 14 Aug, 2014 03:43 PM हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की खदान से बहता जहर, सैंकड़ों किसानों के खेत तबाह, मुआवजे से मुंह फेरा भूजल स्रोतों में फैला प्रदूषण खतरे में कान्हा नेशनल पार्क
लगातार चर्चा कर लोगों को जगाया और गांव बदल गया: छवि राजावत
Posted on 13 Aug, 2014 04:44 PM

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खाका खींचा, कैसी होगी आजादी के सौ साल पूरे होने पर भारत की तस्वीर

खान को जिंदा करने इंदौर राजी
Posted on 13 Aug, 2014 03:56 PM नदी शुद्धिकरण पर विचार मंथन करने एक मंच पर उतरे प्रबुद्धजन
अफसर नए सिरे से करेंगे पूरी नदी का अवलोकन

संपूर्ण स्वच्छता अभियान से बदली गांवों की तस्वीर
Posted on 10 Aug, 2014 10:07 AM भारत की करीब 70 फीसदी से ज्यादा आबादी अभी भी गांवों में रहती है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ग्रामीण विकास का सपना पूरा करने में जुटी है। पहले सड़कें, बिजली, पानी की सुविधा उपलब्ध कराने के बाद अब स्वच्छता के मुद्दे पर गंभीरता दिखाई जा रही है। अब ग्रामीण इलाके में स्वच्छता एवं स्वच्छ पेयजल को लक्ष्य बनाकर सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है।
विस्थापन, अभाव और विकास की प्रक्रिया
Posted on 09 Aug, 2014 09:00 AM कुछ भी हो, यह याद रखा जा सकता है कि कुछ लोग विस्थापन के मुद्दे पर य
गांवों के संस्थागत ढांचे का विकास पंचायत की सहभागिता से : कुशवाहा
Posted on 07 Aug, 2014 01:45 PM भारत की आत्मा गांवों में बसती हो या नहीं, पर उसका पिछड़ापन वहीं निवास करता है और इसी पिछड़ेपन को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने मॉडल विलेज बनाने की बात कही है। मोदी सरकार के पहले बजट में ग्रामीण विकास के लिए घोषित योजनाओं और सरकार की नीतियों पर केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश :
हिमालय के माथे की लकीर बनेगा-प्रस्तावित पंचेश्वर बांध
Posted on 07 Aug, 2014 10:58 AM पिछले तीन दशकों में बड़े बांधों को लेकर दुनिया में जो बहस हुई उसने छोटे-छोटे बांधों की दिशा में सरकारों को सोचने के लिए बाध्य कर दिया है और कई देशों ने अपने बड़े बांधों को तोड़ा है। अब पंचेश्वर जैसा दुनिया का बड़ा बांध एक बार फिर विश्व के पटल पर वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आमजन और सरकार के बीच निश्चित ही चर्चा का विषय बनेगा।

अब केवल यही अध्ययन होगा कि किन बांधों को पहले बनाया जाए और प्रतियोगिता होगी कि उस सरकार ने तो टिहरी बांध और हम इससे भी बड़ा बनाएंगे। यह कठिन दौर हिमालय के निवासियों को आने वाले दिनों में देखना पड़ेगा। जबकि सुझाव है कि यहां पर छोटी-छोटी परियोजनाएं बने। एक आंकलन के आधार पर मौेजूदा सिंचाई नहरों से 30 हजार मेगावाट बिजली बन सकती है, इससे स्थानीय युवकों को रोजगार मिल सकता है। आगे पानी और पलायन की समस्या का समाधान भी हो सकता है लेकिन इसका काम कौन भगीरथ करेगा?

नर्मदा और टिहरी में बड़े बांधों के निर्माण के बाद अब फिर से हिमालय में पंचेश्वर जैसा दुनिया का सबसे बड़ा बांध भारत-नेपाल की सीमा पर बहने वाली महाकाली नदी पर बनाने की पुनः तैयारी चल रही है। अभी हाल ही में नेपाल की यात्रा पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कुमार कोइराला के साथ मिलकर इस बांध निर्माण के लिए एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

इसके आधार पर पंचेश्वर विकास प्राधिकरण को महत्व देकर समझौता हुआ है कि इसका कार्यालय नेेेपाल के कंचनपुर में होगा, जिसमें भारत औेर नेपाल से 6-6 अधिकारी होंगे। बिजली उत्पादन पर दोनों देशों का बराबर हक होगा, लेकिन इस परियोजना पर होने वाले कुल खर्च में से भारत 62.5 प्रतिशत और नेपाल शेेष 37.5 प्रतिशत राशि खर्च करेगा।
राजनीति किसी भी आपदा से कुछ नहीं सीखती
Posted on 05 Aug, 2014 01:41 PM नदियां रातों रात कहीं से निकल कर नहीं आती हैं। सैकड़ों साल से वो हम
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