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स्थायी विकास के लिये वनीकरण की आवश्यकता
Posted on 30 Aug, 2015 04:20 PM वनाच्छादित क्षेत्र में कमी देश की अर्थव्यवस्था के लिये चिन्ताजनक ह
गंगा
Posted on 30 Aug, 2015 01:16 PM विष्णु पदी धवला विमला शिव शीश जटा बिच शोभित गंगा।
पांव धरे जिस राह भगीरथ दौड़ पड़ी उस ओरही गंगा।
पाप हरे सब जीवन के दुख दूर करे यह पावन गंगा।
दूषित नित्य किया हमने यह सोचत ही नित रोवत गंगा।।

गोमुख से निकसी विकसी हिम शीतल निर्मल पावन गंगा।
तोड़ शिला करती नित नर्तन पर्वत-पर्वत अल्हड़ गंगा।
खेत धरा पर नेह बहा करती निधि वैभव पूरित गंगा।
जल भरा कलश स्थापित कर
Posted on 30 Aug, 2015 12:56 PM जल देवताओं को अति प्रिय है
अघ्र्य उनको अत: दिया जाता।
स्नान जलाशय में करके
सूरज को अघ्र्य दिया जाता।।

जल बिना नहीं करते हैं हम
देवी न देवता का पूजन।
शंकरजी को जल चढ़ा चढ़ा
करते उनका पूजन अर्चन।।

दुर्गा गणेश की मृण्मूर्ति
सादर कई दिन पूजी जाती।
फिर सर, सरिता सागर जल में
विधि सहित विसर्जित की जाती।।
सलिल बिना सागर
Posted on 30 Aug, 2015 12:49 PM सावन भादों क्वाँर औ, बीत गया मधुमास।
पनघट बैठी बावरी, रटती रही पियास।।

दीन हीन यजमान सी, नदिया है लाचार।
याचक से तट पर खड़े, हम निर्लज्ज गँवार।।

बगिया में अब शेष है, केवल ऊँची मेड़।
कहाँ गए मनभावने, वे बातूनी पेड़।।

चादर छोटी हो रही, शहर रवा रहे गाँव।
हुए नयी तकनीक के, इतने लंबे पाँव।।

नदियों का संबल दिया, सागर का विश्वास।
युगों-युगों से लोक मंगलकारिणी है नर्मदा
Posted on 30 Aug, 2015 12:41 PM भूमि भृगु, जमदग्नि ऋषिनर परशुधारी राम की
धर्म, श्रृद्ध भाव की संवर्धिनी है नर्मदा

धार के कंकर कि शंकर नर्मदेश्वर हैं सभी
भक्ति-रस में लोक की अवगाहिनी है नर्मदा

मंडला, मांडव महीष्मति की नगरियाँ तट बसी
उस विगत ऐश्वर्य की संदर्शिनी है नर्मदा

आदिशंकर और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ की
साक्षिणी है, धर्म की प्रोत्साहिनी है नर्मदा
नदी
Posted on 30 Aug, 2015 12:35 PM आह भरती है नदी
टेर उठती है नदी
और मौसम है कि उसके
दर्द को सुनता नहीं।

रेत बालू से अदावत
मान बैठे हैं किनारे
जिन्दगी कब तक बिताए
शंख सीपी के सहारे
दर्द को सहती नदी
चीखकर कहती नदी
क्या समंदर में नया
तूफान अब उठता नहीं।

मन मरूस्थल में दफन है
देह पर जंगल उगे हैं
तन बदन पर कश्तियों के
खून के धब्बे लगे हैं
पानी और निरन्तर विकास
Posted on 30 Aug, 2015 11:23 AM जल परिदृश्य के सर्वेक्षण में लेखक का कहना है कि अब तक इस दिशा में भ
सिर्फ अक्षरज्ञान पर नहीं टिकेगा टिकाऊ विकास
Posted on 28 Aug, 2015 03:25 PM

विश्व साक्षरता दिवस 08 सितम्बर 2015 पर विशेष


वर्ष 2011 की जनगणना मुताबिक 74.04 प्रतिशत भारतीयों को अक्षरज्ञानी कहा जा सकता है। वर्गीकरण करें, तो 82.14 प्रतिशत पुरुष और 65.46 महिलाओं को आप इस श्रेणी में रख सकते हैं। आप कह सकते हैं कि आगे बढ़ने और जिन्दगी की रेस में टिकने के लिये अक्षर ज्ञान जरूरी है।
water
वर्षाजल संरक्षण और उचित प्रबन्धन ही जल संकट का समाधान
Posted on 28 Aug, 2015 10:50 AM जब-जब पानी का अत्यधिक दोहन होता है तब ज़मीन के अन्दर के पानी का उत्
flood due to rainwater
हिमालय
Posted on 28 Aug, 2015 09:38 AM

Himalaya

Himalaya
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