टीकमचन्दर ढोडरिया

टीकमचन्दर ढोडरिया
गंगा
Posted on 30 Aug, 2015 01:16 PM
विष्णु पदी धवला विमला शिव शीश जटा बिच शोभित गंगा।
पांव धरे जिस राह भगीरथ दौड़ पड़ी उस ओरही गंगा।
पाप हरे सब जीवन के दुख दूर करे यह पावन गंगा।
दूषित नित्य किया हमने यह सोचत ही नित रोवत गंगा।।

गोमुख से निकसी विकसी हिम शीतल निर्मल पावन गंगा।
तोड़ शिला करती नित नर्तन पर्वत-पर्वत अल्हड़ गंगा।
खेत धरा पर नेह बहा करती निधि वैभव पूरित गंगा।
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